बंटोगे तो कटोगे का महाराष्ट्र में क्यों हो रहा विरोध BJP के अपने भी नाराज
बंटोगे तो कटोगे का महाराष्ट्र में क्यों हो रहा विरोध BJP के अपने भी नाराज
Maharashtra Chunav 2024: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath) के नारे बंटेंगे तो कटेंगे पर महाराष्ट्र में सियासी पारा हाई है. लेकिन विपक्ष तो विपक्ष, पंकजा मुंडे, अशोक चव्हाण और अजित पवार, बीजेपी के अपने ही लोग इस नारे के दूरी क्यों बना रहे हैं? आइए जानते हैं वजह.
‘बंटोगे तो कटोगे’ नारा महाराष्ट्र चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है. पक्ष हो विपक्ष, हर कोई योगी आदित्यनाथ के इस नारे पर बात कर रहा है. विपक्ष ने इसे देश बांटने वाला नारा करार दिया तो समर्थन में बीजेपी के साथी भी आ गए. अजित पवार खुलकर बोल रहे हैं कि महाराष्ट्र में ये नारा नहीं चलेगा. यहां तक कि बीजेपी की दिग्गज नेता पंकजा मुंडे भी विरोध में उतर आई हैं. अब तो चंद दिनों पहले बीजेपी में आए अशोक चव्हाण भी कहने लगे हैं कि ये नारा गलत है. तो क्या यह नारा बीजेपी को बैकफायर कर रहा है? महाराष्ट्र में अपने ही लोग इसके खिलाफ क्यों खड़े नजर आ रहे हैं?
किसने क्या कहा…
पंकजा मुंडे: महाराष्ट्र में ऐसा कोई मुद्दा लाने की जरूरत नहीं
बीजेपी की दिग्गज नेता पंकजा मुंडे ने एक इंटरव्यू में कहा, मेरी राजनीति अलग है. मैं बीजेपी से हूं, इसलिए मैं इस नारे का समर्थन नहीं करूंगी, मेरा यह भी मानना है कि हमें विकास पर काम करना चाहिए, इसलिए सभी को खुश करना मेरे नेता का काम है. महाराष्ट्र में ऐसा कोई मुद्दा लाने की जरूरत नहीं है. पंकजा कई मौकों पर कह चुकी हैं कि हमें सिर्फ डेवलपमेंट पर बात करनी होगी.
अशोक चव्हाण: यह बीजेपी का नारा नहीं
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए अशोक चव्हाण ने कहा, यह नारा किसी तीसरे पक्ष की ओर से लाया गया. पार्टी ने इसे किसी भी तरह समर्थन नहीं दिया. जहां तक मेरी राय है तो मैं भी इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करूंगा. लोग मुझसे पूछते हैं कि आप इस पार्टी में आए, आपकी विचारधारा क्या है, तो मैं बता दूं कि मैं एक हिन्दू हूं, धर्मनिरपेक्ष हिन्दू हूं. किसी भी चुनाव में सामाजिक या जातिगत रंग नहीं आना चाहिए. हम संविधान के हिसाब से काम करने वाले लोग हैं.
अजित पवार: महाराष्ट्र यूपी नहीं है
बीजेपी की सहयोगी एनसीपी के नेता अजित पवार तो बार-बार इस नारे का खुलेआम विरोध कर रहे हैं. शुक्रवार को भी उन्होंने कहा, मैं ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे के खिलाफ हूं. बीजेपी ने भी इस नारे का विरोध किया है. हर राज्य की राजनीति अलग होती है. यह उत्तर प्रदेश में काम कर सकता है, महाराष्ट्र में नहीं. यह छत्रपति शिवाजी महाराज की धरती है. यहां सब मिलकर साथ रहते हैं. यहां बांटने-काटने वाली बातें नहीं हो सकतीं. यही वजह है कि पंकजा मुंडे ने भी इस नारे का विरोध किया है.
विरोध की वजह जान लीजिए अजित पवार इसलिए विरोध में खड़े हैं, क्योंकि उनके वोट बैंक का एक बड़ा हिस्सा अल्पसंख्यक वर्ग से आता है. इस चुनाव में भी उन्होंने सना मलिक, हसन मुश्रीम, जीशान सिद्धीकी समेत कई मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं. अगर वे इस नारे के साथ खड़े नजर आते तो अल्पसंख्यक वोटों के छिटकने का खतरा था. पंकजा मुंडे का विरोध मायने रखता है. वो एक दिग्गज ओबीसी नेता हैं और खुलेआम बोलने के लिए जानी जाती हैं. पंकजा की राजनीति बीड के इर्द गिर्द घूमती है. लेकिन वहां 12 फीसदी मुस्लिम वोटर एक्स फैक्टर है, जो किसी भी चुनाव में खेल बिगाड़ सकता है. पंकजा आसानी से इन वोटर्स को एमवीए की ओर नहीं जाने देना चाहतीं. हालांकि, कहा तो ये भी जा रहा है कि बीजेपी की प्रदेश लीडरशिप से उनकी बनती नहीं, शायद यह बयान उन्होंने इस वजह से भी दिया होगा. अब बात अशोक चव्हाण की. चव्हाण लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहे. वे नांदेड़ से राजनीति करते रहे हैं. जहां मुस्लिमों की आबादी लगभग 14 फीसदी है. चव्हाण नहीं चाहते कि मुस्लिम वोट एकतरफा एमवीए के पास चला जाए, इसलिए उन्होंने ऐसा बयान दिया. यहीं की एक सीट भोकर से उनकी बेटी श्रीजया भी चुनावी मैदान में हैं.
Tags: Ajit Pawar, CM Yogi Adityanath, Maharashtra bjp, Maharashtra ElectionsFIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 16:16 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed