महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अमित शाह ने सेट किया बीजेपी का एजेंडा
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अमित शाह ने सेट किया बीजेपी का एजेंडा
लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा आलाकमान महाराष्ट्र में पार्टी कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है. इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य कार्यकारिणी की बैठक में शामिल हुए और कार्यकर्ताओं के तमाम सवालों के बखूबी जवाब दिए.
उत्तर प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में हुई तनातनी पर काबू पाने के बाद बीजेपी आलाकमान का फोकस महाराष्ट्र पर शिफ्ट हो गया है. वह राज्य में पार्टी और सरकार के बीच चल रही तनातनी पर काबू पाने में जुट गया है. महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में मिले बड़े झटके के बाद एक बार फिर आलाकमान ने ही मोर्चा संभाला है. गृह मंत्री अमित शाह खुद पुणे में आयोजित भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक में मोर्चा संभाला. लोकसभा चुनावों के बाद थोड़े भ्रमित कार्यकर्ताओं को दशा और दिशा देने का काम अमित शाह ने बखूबी किया. अमित शाह ने अपने संबोधन में न सिर्फ ये जता दिया कि पार्टी चुनावों में अपने प्रमुख विरोधियों के लिए सिर्फ आक्रामक तेवर ही नहीं अपनाएगी बल्कि विपक्षी खेमें की उन सभी कमजोरियों को पूरी ताकत से उठाएगी जिन्हें लेकर बीजेपी का कार्यकर्ता असमंजस की स्थिति में रहता था.
अजीत पवार को लेकर कार्यकर्ता भ्रमित था और साथ ही शरद पवार के साथ खट्टे-मीठे संबंधों के कारण बीजेपी का अपना वोटर भी असमंजस की स्थिति में ही रहता था. उधर, शिव सेना में टूट और उनका चुनाव चिन्ह शिंदे गुट को सौंपे जाने के कारण उद्धव ठाकरे को शिव सैनिकों और बाला साहेब के समर्थकों की सहानुभूति मिल रही थी. मराठा आरक्षण और आपसी फूट की वजह से लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र में खासा झटका लगा. लोकसभा चुनावों में झटके के बाद बीजेपी आलाकमान संभल गया और राज्य में दो नए चुनाव प्रभारी नियुक्त किए. केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को प्रभारी और रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को सह प्रभारी बनाया गया. ये जोड़ी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी आखिरी चंद महीनों में हारी हुई बाजी को पलट कर पार्टी को ऐतिहासिक जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. उनके लोकसभा क्षेत्र अलवर में मतदान के बाद आलाकमान ने भूपेन्द्र यादव को ओडिशा भेजा. ये दोनों नेता बयानबाजी से ज्यादा संगठन के स्तर पर काम कर उसे दुरुस्त करने का काम करने में माहिर हैं.
इस बार भी पार्टी आलाकमान ने अपने कार्यकर्ताओं को मैदान में उतारने का काम शुरू कर दिया है. लोकसभा चुनाव में देखा गया कि अल्पसंख्यक मतदान केन्द्रों पर लंबी-लंबी कतारें नजर आयीं. वहीं मध्य वर्ग और बीजेपी के मजबूत केन्द्रों पर उपस्थिति कम रही. इसलिए पहली प्राथमिकता थी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरना. जो काम अब शुरू हो गया है. और कार्यकर्ताओं को आक्रामक तेवरों के साथ चुनावी जंग में उतरने का एजेंडा तय कर दिया गृह मंत्री अमित शाह ने. पुणे की बीजेपी की राज्य कार्यकारिणी में अमित शाह बोले और खूब बोले.
शरद पवार पर सीधा हल्ला बोल
सबसे पहला निशाना थे एनसीपी (शरद गुट) के सुप्रीमो शरद पवार. पवार किसके साथ जाएंगे- ये एक ऐसा सवाल था जो बीजेपी के राज्य स्तर के नेताओं को अक्सर उनके लिए नरम रखता था. लेकिन अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं को इस भ्रम की स्थिति से निकाल दिया. अमित शाह ने तीखा हमला करते हुए कहा कि शरद पवार भ्रष्टाचार के सबसे बड़े सरगना हैं. अमित शाह ने शरद पवार पर आरोप लगाया कि जब-जब महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार आती है, मराठा आरक्षण मिलता है और जब शरद पवार की सरकार आती है, तब मराठा आरक्षण खत्म हो जाता है. शाह ने कहा कि मैं फिर बोल रहा हूं शरद पवार की सरकार फिर आएगी तो मराठा आरक्षण फिर से चला जाएगा. मराठा आरक्षण के सवाल पर शिंदे सेना-बीजेपी के दौरान खासा बवाल हुआ था. लेकिन अब अमित शाह ने कार्यकर्ताओं और नेताओं को एक लाइन दे दी है जो विधानसभा में उन्हें बैकफुट पर नहीं आने देगी.
बाला साहेब के समर्थकों को साधा
एक बात और साफ है कि शिव सेना उद्धव ठाकरे गुट के साथ बीजेपी की तल्खी कम नहीं होने वाली. अमित शाह ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों औरंगजेब फैन क्लब के सदस्य हैं. देश की सुरक्षा औरंगजेब फैंस क्लब नहीं कर सकती क्योंकि ये तो कसाब को बिरयानी खिलाने वाले लोग हैं. औरंगजेब फैन क्लब के नेता उद्धव ठाकरे पीएफआई का समर्थन और संभाजीनगर का विरोध करने वालों की गोद में बैठे हैं. जाहिर है संदेश उन शिव सैनिकों और बाला साहेब के समर्थकों के लिए था जिनकी राजनीति अल्पसंख्यकों की खिलाफत करने की थी. संदेश तो बीजेपी कार्यकर्ताओं के लिए भी था कि उन्हें अब उद्धव ठाकरे पर हमला बोलने में नरमी नहीं बरतनी है. इसलिए बीजेपी भी एकनाथ शिंदे को ही आगे रख कर अपनी चाल चल रही है ताकि शिव सैनिक उनके साथ ही चले.
कांग्रेस की गलतफहमी पर तीखा हमला
अमित शाह ने उद्धव, शरद पवार और कांग्रेस के गठबंधन पर तो सवाल उठाया. राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि देश की जनता ने इन चुनावों में कांग्रेस के खटाखट–फटाफट को नकारने का काम किया. जीत कर अहंकारी होने के दुनिया में बहुत उदाहरण हैं, मगर राहुल गांधी लगातार हारकर भी अहंकारी होने का अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं. बाबा साहेब अंबेडकर का जितना अपमान अंग्रेजों ने नहीं किया उतना कांग्रेस ने किया है. शाह ने कहा कि कांग्रेस की सरकारें तीन राज्यों मे हैं तो अपनी घोषणाएं लागू क्यों नहीं कर पा रही हैं. यानी महाराष्ट्र की जनता को ये संदेश कि कांग्रेस सिर्फ लोक लुभावन घोषणाएं करती है उसे पूरा नहीं करती.
लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में चुनावी जंग कांटे की नजर आ रही है. लेकिन बीजेपी इस टक्कर को अपने हक में बदलने के लिए बिगुल फूंक चुकी है. लेकिन अभी कई होम वर्क पूरे करने हैं. एक तो पार्टी और संघ के बीच दूरियों के नैरेटिव को हटाना है और दूसरा अपने कार्यकर्ताओं और नेताओं को जंग के मैदान में उतारना है. मध्य प्रदेश की सफल रही लाडली योजना की तर्ज पर महाराष्ट्र मे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने एक योजना लागू की है. एक बात तो आलाकमान जानता है कि महिलाओं के खाते में सीधे पैसे भेजना गेम चेंजर साबित हो सकता है. छत्रपति शिवाजी महाराज का बघनखा जिससे उन्होंने अफजल खान को मारा था वो भी ब्रिटेन से भारत लाया जा चुका है. शिवाजी महाराज को आज भी महाराष्ट्र में पूजा जाता है. इसलिए उनकी इस याद को भारत लाना और मराठा वीरों की बात करना भी बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. गृहमंत्री अमित शाह ने इन्हीं कमियों को दूर करने की शुरुआत की है और दोनों प्रभारियों भूपेन्द्र यादव और अश्विनी वैष्णव कार्यकर्ताओं का दर्द और गुस्सा दोनों बांटने में लग गए हैं.
Tags: Amit shah, BJPFIRST PUBLISHED : July 24, 2024, 18:40 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed