22 साल पिथौरागढ़ बदहाल: सिर्फ एक सर्जन के भरोसे है 5 लाख की आबादी जानें क्या बोले-डॉ बोरा
22 साल पिथौरागढ़ बदहाल: सिर्फ एक सर्जन के भरोसे है 5 लाख की आबादी जानें क्या बोले-डॉ बोरा
पिथौरागढ़ का जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं के चलते डॉक्टर और मरीज दोनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. पिथौरागढ़ जिले की पांच लाख की आबादी के लिए जिला अस्पताल में मात्र एक सर्जन तैनात हैं.
रिपोर्ट: हिमांशु जोशी
पिथौरागढ़. उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के जिला अस्पताल में इन दिनों इलाज कराना मरीजों के लिए मुसीबत बना हुआ है. हर रोज सैकड़ों मरीज यहां पहुंच रहे हैं, लेकिन अव्यवस्थाओं के चलते डॉक्टर और मरीज दोनों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि पिथौरागढ़ जिले में पांच लाख की आबादी है और इसके आबादी पर जिला अस्पताल में मात्र एक सर्जन तैनात हैं, जिनके ऊपर यहां पहुंचे सभी लोगों के इलाज करने की जिम्मेदारी है.
एकमात्र सर्जन पर मरीजों का कितना दबाव रहता है, इसका अंदाजा उनके केबिन के बाहर रोगियों की भीड़ देखकर लगाया जा सकता है. जबकि मरीज भी घंटों इंतजार करते हुए जिला अस्पताल में देखे जा सकते हैं.
पिथौरागढ़ जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. एलएस बोरा बताते हैं कि यहां पिछले कई समय से दूसरे सर्जन की नियुक्ति नहीं हुई है. उन्हीं के ऊपर ऑपरेशन और ओपीडी दोनों करने की जिम्मेदारी है. यहां मरीज पिथौरागढ़ के साथ-साथ चंपावत जिले और पड़ोसी देश नेपाल से भी अपना इलाज कराने पहुंचते हैं. सभी का इलाज करने की उनकी जिम्मेदारी है, लेकिन काम के अधिक दबाव के कारण दूरदराज से पहुंचे रोगियों को कई बार लंबा इंतजार करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि अगर कोई सर्जन यहां नियुक्त होते हैं, तो ओपीडी और ऑपरेशन दोनों सरलता से हो पाएंगे. वहीं, मरीजों को इससे फायदा मिलेगा.
22 साल में नहीं बदले हालात
इस समय पिथौरागढ़ जिला अस्पताल में रोजाना 600 से से अधिक ओपीडी होती हैं, लेकिन सीमित संसाधनों में ही जिले का सबसे बड़ा अस्पताल चल रहा है. उत्तराखंड राज्य अपनी स्थापना के 22 साल पूरे कर चुका है, लेकिन अभी तक पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदतर हालात में हैं, जिससे यहां के लोगों में नाराजगी है. जिले के समाजसेवी मुकेश पंत ने अस्पताल की बदहाली पर कहा कि अभी तक जिले में डॉक्टरों की नियुक्ति न हो पाना इस बात को जाहिर करता है कि पहाड़ी इलाकों में प्रति सरकार कितनी संवेदनशील है. ऐसा नहीं है कि यह समस्याएं किसी से छुपी हुई हैं. फिर भी पहाड़ी इलाके की जनता उपेक्षा का शिकार होते आ रही है. राज्य बनने के 22 साल बाद भी पहाड़ के लोग मूलभूत सुविधाओं सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए संघर्ष कर रहे हैं और कई बार यह संघर्ष जान से हाथ धोने के बाद ही खत्म हुआ है.
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Tags: Health Department, Pithoragarh news, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : November 10, 2022, 12:05 IST