रिपोर्ट- हिमांशु जोशी
नैनीताल. उत्तराखंड की सरोवर नगरी नैनीताल आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. यह नगरी प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है. दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक यहां की झील का दीदार करने के लिए आते हैं. हालांकि नैनीझील के चारों ओर नालों का एक समूह देखने को मिलता है, जो ब्रिटिशकाल के बने हुए हैं. आज यही नाले नैनीझील के लिए खतरा बने हुए हैं. इनसे निकलने वाले मलबे की तादाद काफी ज्यादा है, जो नैनीझील के लिए खतरे का संकेत है. इन नालों से एक साल में 726 ट्रक मलबा निकलना चिंता का विषय है.
देखने में तो ये नाले सामन्य नालों की तरह ही दिखते हैं, लेकिन आज इनके होने की वजह इतिहास में हुआ एक भयानक हादसा रहा है. अगर सही मायने में यह नाले ना हों, तो आज जैसी दिखने वाली यह नगरी शायद ऐसी कभी होती ही नहीं. इतिहासकार और पर्यावरणविद डॉ अजय रावत ने बताया कि साल 1880 में नैनीताल में एक भयानक भूस्खलन हुआ था जिसमें 151 लोगों की मौत भी हुई थी. इस भूस्खलन के होने के पीछे की वजह उस दौरान हुई भयानक बारिश रही. उस दौरान करीब 48 घंटों तक लगातार 20 इंच से 35 इंच तक बारिश हुई थी. इसके बाद हिल साइड सेफ्टी कमेटी की तरफ से झील के चारों ओर 79 किलोमीटर लंबाई के नालों का निर्माण किया गया, जिससे बारिश का पानी सीधा नालों से बहकर झील में चला जाए और कोई नुकसान न हो.
मलबा बन रहा खतरा
रावत ने आगे कहा कि भले ही तब ये नाले नैनीताल को बचाने के लिए बनाए गए हों, लेकिन आज इनसे निकलने वाला मलबा नैनीझील के लिए खतरा बन रहा है. सिंचाई विभाग के आंकड़ों की मानें तो बीते एक साल में 3630 क्यूबिक मीटर अनयूजेबल वेस्ट के साथ रेता, बजरी और मिट्टी भी निकाली. एक ट्रक में करीब 5 क्यूबिक मीटर के हिसाब से लगभग 726 ट्रक मलबा निकाला गया.
सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता डीडी सती ने बताया कि बीते दो हफ्तों में माल रोड, जिला पंचायत रोड और जू रोड के आसपास करीब 32 नालों की सफाई हुई, जिसमें से लगभग 500 कट्टा मलबा निकाला गया. वर्तमान में ये नाले पूरी तरह साफ हैं. उन्होंने बताया कि इसमें अधिकतर कंस्ट्रक्शन की सामग्री और डोमेस्टिक वेस्ट मिलता है.
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Tags: Nainital Mallroad, Nainital news, Nainital tourist placesFIRST PUBLISHED : August 30, 2022, 10:37 IST