लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में कई बड़े-बड़े सूरमा गच्चा खा गए. सारे चुनावी पंडित कुछ और कह रहे थे लेकिन जनता ने फैसला कुछ और दे दिया. राज्य में 37 सीटों पर जीत हासिल कर समाजवादी पार्टी सबसे बड़ा दल बनकर उभरी तो उसके मुखिया अखिलेश यादव सबसे बड़े राजनीतिक खिलाड़ी. चुनाव में उनको मिली इस सफलता ने उन्हें देश के ‘चाणक्यों’ की सूची में ला दिया है. ऐसे में उनकी हर एक चाल सटीक बैठती दिख रही है.
लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा के आक्रामक हिंदुत्व की राजनीति के काट में पीडीए फॉर्मूले को अपनाया. पीडीए यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. इस फॉर्मूले पर उनको शानदार सफलता मिली. उन्होंने इस फॉर्मूले के आधार पर ही समाजवादी पार्टी की छवि बदलने की कोशिश की. सपा पर यादव समुदाय की पार्टी होने का ठप्पा लगा था. उन्होंने उसे मिटाते हुए सपा को ओबीसी, दलित और अल्पसंख्यकों की पार्टी बनाई.
जमीन पर उतारा फॉर्मूला
अखिलेश यादव ने ये बातें केवल कागज या भाषणों में नहीं की. बल्कि उन्होंने यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे में भी इसकी झलक दिखाई. आपको जानकार हैरानी होगी कि राज्य की 63 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली सपा ने केवल पांच सीटों पर यादव समुदाय के नेताओं को टिकट दिया. ये पांचों सीटें उन्होंने अपने परिवार के भीतर ही दी. दूसरी तरफ उन्होंने आरक्षित के अलावा जनरल सीट पर दलित उम्मीदवार को मैदान में उतारा. फैजाबाद जनरल सीट से दलित नेता अवधेश प्रसाद को टिकट दिय. फिर बड़ी संख्या में गैर यादव ओबीसी समुदाय के नेताओं पर भी जमकर दांव खेला. इन सबका नतीजा ये हुआ कि राम मंदिर निर्माण के बावजूद राज्य में भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति पर जाति की राजनीति भारी पड़ी.
पीडीए का विस्तार
अब राज्य में अखिलेश यादव अपने पीडीए फॉर्मूले को विस्तार देना चाहते हैं. उन्होंने विधानसभा में माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता नियुक्त किया है. माता प्रसाद पांड पुराने समाजवादी नेता है. वह दो बार यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रह चुके हैं. अखिलेश ने माता प्रसाद पांडे के रूप में पीडीए+बी का फॉर्मूला ला दिया है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अखिलेश की पार्टी में अगड़ी जाति से एक मात्र सांसद विजयी हुए हैं वो भी ब्राह्मण समाज हैं. बलिया सीट से सनातन पांडे विजयी हुए हैं.
अगड़ी जातियों में सेंधमारी की कोशिश
अखिलेश यादव यह अच्छी तरह जानते हैं कि राज्य की सत्ता में वापसी के लिए किसी भी पार्टी को जातियों का एक अंब्रेला समीकरण तैयार करना होगा. चरम हिंदुत्व के उभार के वक्त भी भाजपा जातियों के इस अंब्रेला समीकरण की बदौलत ही सत्ता में आई. उसने यूपी में गैर यादव ओबीसी वोटर्स को साधने के लिए तमाम छोटे-छोटे दलों के साथ गठबंधन किया. उनके नेताओं को अपने साथ जोड़ा. अखिलेश भी करीब-करीब उसी फॉर्मूले पर चल रहे हैं. वह पार्टी के भीतर दूसरी और तीसरी कतार में गैर यादव, अल्पसंख्यक और अगड़ी जाति के नेता तैयार कर रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने माता प्रसाद पांडे के जरिए ब्राह्मण वोट बैंक में सेंधमारी की कोशिश की है. राज्य में 12 से 16 फीसदी ब्राह्मण वोट के दावे किए जाते हैं.
ब्राह्मण पर ही दाव क्यों
यह सहज सवाल है. अखिलेश अगड़ी जाति में सेंधमारी के लिए ब्राह्मण वोट में ही सेंधमारी की कोशिश क्यों कर रहे हैं? दरअसल, राज्य में बीते करीब आठ साल से योगी आदित्यनाथ सीएम हैं. वह वैसे तो एक योगी हैं लेकिन मंच से कई बार कह चुके हैं कि राजपूत समाज से होने पर उनको गर्व है. उनकी एक छवि ठाकुर नेता के तौर पर भी है. दूसरी तरफ समाज में ऐसा भी संदेश है कि योगी राज में ब्राह्मण समुदाय को उचित सम्मान नहीं मिल रहा है. अखिलेश यादव इसी भावना को भुनाना चाहते हैं. उनकी कोशिश है कि वह अगड़ी जाति के वोट बैंक में थोड़ा-बहुत भी सेंधमारी कर दें तो उनका पीडीए+बी का फॉर्मूला अजेय हो जाएगा.
चचा गच्चा खा गए…
अब आते हैं मंगलवार को यूपी विधानसभा में सीएम योगी के बयान पर. सीएम योगी ने अखिलेश यादव के इस फॉर्मूले की धार कुंद करने के लिए उनके पुराने घाव पर चोट किया. समाजवादी पार्टी पर अधिकार की लड़ाई में अखिलेश यादव और उनके चाचा शिवपाल यादव के बीच तनातनी की लंबी कहानी है. बात यहां तक पहुंच गई थी कि शिवपाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली और भाजपा के साथ गठबंधन भी कर लिया था. हालांकि 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले चाचा-भतीजा एक हो गए. मौजूदा वक्त में अखिलेश सपा के सर्वमान्य नेता बन चुके हैं. लेकिन, सीएम योगी ने शिवपाल को कुरेदने की कोशिश की. क्योंकि ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि अखिलेश सदन में विपक्षी दल के नेता की कुर्सी शिवपाल को देंगे. लेकिन, अखिलेश ने यहां भी बड़ा गेम खेला और शिवपाल के बेहद करीब माता प्रसाद पांडे को विपक्ष का नेता बनाकर एक तीर से दो निशान साध दिए.
Tags: Akhilesh yadav, CM Yogi Aditya Nath, Shivpal singh yadavFIRST PUBLISHED : July 30, 2024, 14:28 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed