गुजरात चुनाव: PM मोदी खुद करेंगे डोर टू डोर कर कैंपेन! वोटर स्लिप भी बांट सकते हैं
गुजरात चुनाव: PM मोदी खुद करेंगे डोर टू डोर कर कैंपेन! वोटर स्लिप भी बांट सकते हैं
Gujarat elections: गुजरात के विधानसभा के चुनाव के लिए पीएम नरेंद्र मोदी खुद डोर-टू-डूर कैंपेन के लिए उतर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान वे वोटरों को वोटर स्लिप भी बांट सकते हैं.
हाइलाइट्सपीएम मोदी के 28-29 नवंबर और 2-3 दिसंबर को गुजरात में डोर-टू-डूर प्रचार करने के लिए उतरने की उम्मीद. पीएम मोदी का 19 से 21 नवंबर के बीच आठ रैलियों को भी संबोधित करने का कार्यक्रम.गुजरात में बीजेपी के लिए केवल पीएम मोदी ही एकमात्र चुनावी ब्रांड हैं.
गांधीनगर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संभवत: 28-29 नवंबर और 2-3 दिसंबर को गुजरात में डोर-टू-डूर प्रचार करने के लिए उतर सकते हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि वे घर-घर जाकर वोटोरों को वोटर स्लिप भी बांटेंगे. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी का 19 से 21 नवंबर के बीच आठ रैलियों को भी संबोधित करने का कार्यक्रम है. इससे पहले पीएम मोदी भावनगर में एक सामूहिक विवाह समारोह में नवविवाहित जोड़ों को आशीर्वाद दे चुके हैं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों ने गुजरात में प्रधानमंत्री मोदी के इस धुंधाधार प्रचार अभियान को ‘बीजेपी की हताशा’ या ‘घबराहट’ के संकेत करार दिया है.
जबकि दूसरी ओर गुजरात में पीएम मोदी के व्यापक दौरों के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रचार अभियान में शामिल कई लोग कुछ अलग ही कारण बताते हैं. उनका कहना है कि गुजरात में बीजेपी के लिए केवल पीएम मोदी ही एक चुनावी ब्रांड हैं. आनंदीबेन पटेल के बाद से गुजरात में भाजपा के मुख्यमंत्रियों को बहुत अधिक राजनीतिक महत्व नहीं मिला है, चाहे वह विजय रूपानी हों या वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल. आनंदीबेन पटेल को उनके ठीकठाक राजनीतिक कद के बावजूद सीएम की कुर्सी से हटा दिया गया और राज्यपाल बनाया गया. क्योंकि सीएम के तौर पर उनकी मौजूदगी राज्य में जातिगत ध्रुवीकरण के समय पाटीदारों और गैर-पाटीदारों दोनों को परेशान कर रही थी.
पाटीदार समुदाय से होने के बावजूद आनंदीबेन पटेल अपने शासन काल में पाटीदार आरक्षण के खिलाफ बड़े पैमाने पर कड़ी कार्रवाई करने के कारण समुदाय के लिए खलनायक बन गईं. जबकि गैर-पटेलों के लिए वह पाटीदार राजनीतिक प्रभुत्व का एक और प्रतीक थीं. विजय रूपाणी राजकोट के एक जैन और एक सौम्य व्यक्ति थे. उनकी मुख्यमंत्री पद पर नियुक्ति ने दोनों पक्षों में से किसी को भी परेशान नहीं किया. बहरहाल इसके अलावा उनका कोई राजनीतिक महत्व नहीं था. 2021 तक रूपाणी ने शायद अपनी उपयोगिता खो दी थी और COVID-19 के कथित कुप्रबंधन के कारण अपनी चमक भी खो दी थी. इसलिए उनकी जगह भूपेंद्र पटेल को लाया गया.
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पाटीदार समुदाय के लिए सम्मान की एक भावनात्मक संतुष्टि के अलावा भूपेंद्र पटेल की चुनावी उपयोगिता बहुत कम है. राज्य के कई हिस्सों में वोटर को उन्हें पहचानते भी नहीं हैं. यहां तक कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गुजरात भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल दोनों बहुत अच्छे रणनीतिकार हैं, लेकिन वे भीड़ खींचने वाले नेता नहीं हैं. गुजारात में बीजेपी के एकमात्र ब्रांड पीएम मोदी हैं. इसलिए भाजपा उनकी अपील का अधिकतम फायदा उठाने की कोशिश कर रही है.
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Tags: Gujarat Assembly Election, Gujarat Elections, Pm narendra modiFIRST PUBLISHED : November 19, 2022, 09:09 IST