सुशील को घर का खर्च चलाने में आ रही थी दिक्कत तो दी थी ये सलाह- गोविंदाचार्य

Sushil Kumar Modi Death News: भाजपा के कभी थिंक टैंक रहे गोविंदाचार्य (K N Govindacharya on Sushil Modi) ने सुशील मोदी के निधन पर उनसे जुड़ी कई किस्से और कहानियां साझा की, जो शायद कम ही लोगों को पता हो. इसमें सुशील मोदी की शादी से लेकर घर चलाने के लिए पैसों का इंतजाम, एमएलए फंड का इस्तेमाल से लेकर दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, विश्वकर्मा पूजा में चंदा मांगने आए लोगों से जुड़ी कहानी शामिल है.

सुशील को घर का खर्च चलाने में आ रही थी दिक्कत तो दी थी ये सलाह- गोविंदाचार्य
Sushil Kumar Modi Death News: बिहार बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के निधन पर न्यूज 18 हिंदी ने कभी बीजेपी के थिंक टैंक रहे गोविंदाचार्य से बातचीत की. गोविंदाचार्य ही वह शख्स हैं, जिनके मार्गदर्शन में सुशील मोदी का राजनीति में उदय हुआ. न्यूज 18 हिंदी के साथ बातचीत में गोंविदाचार्य ने सुशील मोदी से जुड़े कई किस्से सुनाए. बातचीत के दौरान गोविंदाचार्य सुशील मोदी को लेकर काफी भावुक हो गए. गोविंदाचार्य कहते हैं, सुशील मुझसे छोटा था, लेकिन मन से मुझसे भी बड़ा. उसने अंत-अंत तक आपने मूल्यों और आदर्शों को बिकने नहीं दिया. यही संघ का सिद्धांत है. सुशील मोदी को लेकर गोविंदाचार्य के साथ पूरी बातचीत सुशील बचपन से ही साहसी था, वीर था, संघर्षशील और कर्मठ कार्यकर्ता रहा. आदर्शवाद उसकी ताकत थी. जीवन में भी जब कभी भी उसके सामने जो समस्या आई, उसका वह बहादुरी से सामना किया. मूल्यों की राजनीति करना उसको आता था और जीवन भर उसका पालन किया. हमें तो विशेष दुख है कि वह हमसे छोटा था, मन का बड़ा था. जल्दी चला गया, हमसे पहले चला गया. सुशील जैसा था वैसी ही उसकी धर्मपत्नी जेसी जॉर्ज भी है. भला हो ऊपरवाले की जिसने इस जोड़ी को मिलवाने का काम किया. शादी में भी उसने मूल्यों जैसी ही जिंदगी जी. शादी में 11 लोगों की बारात जाएगी. भोजन सिर्फ 11 लोगों का ही होगा. पटना में संघ कार्यालय राजेंद्र नगर के बगल में मैदान के सामने छोटा रिसेप्शन रखा गया था, जहां अटल जी भी आए थे. यह शादी अंतरजातीय और वैसे कहें तो अंतरप्रांतीय भी था. लेकिन, सुशील साहसपूर्वक आगे बढ़ा और परिवार के लोग भी धीरे-धीरे इस रिश्ते को समझ गए. सुशील ने मृत्यु का भी सामना बहादुरी से किया- गोविंदाचार्य दहेज प्रथा का बहिष्कार करने की बात नहीं, सुशील ने वह सबकुछ अपने जीवन में जिया. वह जीवन में सबकुछ बहुत ही बहादुरी से सामना किया. मुझे कहने में कोई दिक्कत नहीं हो रही है कि उसने मृत्यु का भी बहुत बहादुरी से सामना किया. हाल ही में उसके बीमारी की अवस्था में उससे मिलने राजेंद्र नगर के घर पर गया था. उसके घर में मैंने आज भी देखा वैसा ही सब काम हो रहा था जैसे उसके पिताजी के समय उस घर में होता था. सुशील ने संगठन के सिद्धांत जीवन के आखिरी समय तक साथ रखा. पहला सिद्धांत- वाणी संयम, दूसरा सिद्धांत गुणों की चर्चा सर्वत्र, दोषों की यथास्थान…अपना कष्ट खुद ही भुगतना चाहिए. वह कष्ट भी उसने बहुत साहसपूर्ण भोगा. एक बार सुशील ने कहा था खर्चे चलाने के लिए पैसे नहीं एक बार सुशील ने मुझसे कहा कि मुझे विवाह करने की इच्छा है. मैंने कहा कि जरूर करनी चाहिए. यह सन 1984-85 की बात है. हमने उससे कहा कि विवाह की तरफ आगे बढ़ो, लेकिन इससे पहले मदन दास देवी और वेसुत्रा से जरूर बता देना. उन्होंने बता भी दिया. मैंने कहा था कि विवाह सादगी से करना और अपना आदर्श रखना वही बात उसने की भी. एक बार बीजपी में एमपी में लड़ने की बात आई थी तो वह लड़ने से मना कर दिया. हालांकि, बाद में वह लड़ा. लोगों ने पूछा कि आप क्यों नहीं लड़ना चाहते थे तो बाद में उसका कारण पता चला. वह कारण यह था कि वह अपने बच्चों की पढ़ाई देखना चाह रहा था. उस समय उनके दोनों बच्चे बगल में पढ़ते थे. घर में खोल लिया था कंप्यूटर ट्रेनिंग सेंटर एक बार उसने कहा कि मुझे खर्च चलाने में दिक्कत आ रही है. घर में कंप्यूटर सेंटर चल रहे हैं. पटना में रहता हूं, पूर्णियां में तो हूं नहीं कि एमएलए के नाते ट्रेवल अलाउंस ले लूं. घर चलाने में दिक्कत आ रही है. इस पर मैने कहा कि पत्नी को क्यों नहीं नौकरी करवा लेते हो. हालांकि बाद में पत्नी की नौकरी लगने के बाद थोड़ी राहत हुई. एक बार सुशील ने कहा कि राजेंद्र नगर में रहता हूं लोग दुर्गा पूजा में हमसे ज्यादा चंदा की उम्मीद रख रहे हैं. सरस्वती पूजा, काली पुजा, विश्वकर्मा पूजा, लक्ष्मी पूजा में लोग चंदा मांगने आते हैं और ज्यादा उम्मीद करते हैं मैं कितना देय पाऊंगा? घर भी चलाना उसी में है. ये जो सामान्य गृहस्थ की समस्या होती है वह उसके साथ भी थी. प्रमोद महाजन को इस बात के लिए कर दिया था मना एक बार प्रमोद जी ने उससे कहा कि तुम प्रदेश अध्यक्ष बनो तो उसने कहा कि नहीं मैं विधायक दल का नेता ही रहूंगा. बाद में एमपी बना इसके पीछे एक मात्र उद्देश्य था कि परिवार की सहुलियत हो जाएगी. दिल्ली रहूंगा तो बच्चों के पास रहूंगा. छोटी-छोटी बातें राजनीति में यही तो तपस्या का लक्षण है. ये सब मैंने उस समय देखा. एक बार चर्चा हुआ कि पटना में सुशील जी के कार्यालय खर्च चलाने के लिए 10 हजार रुपया संग्रह होगा. बाद में ऐसी व्यवस्था की गई. मैंने कहा कि व्यवस्था करना चाहिए, व्यावहारिक रास्ता निकालना चाहिए. मध्यमार्ग अपनाना चाहिए. मध्यमार्ग में मूल्यों का हनन न हो इसका ध्यान रखना चाहिए. ये सब हुआ. एमएलए बनने के बाद पार्टी के कार्यालय चलाने की अकाउंटीविलिटी का उसने ख्याल रखा. राष्ट्रीय राजनीति में आडवाणी जी सामयिक रूप था सुशील मोदी आडवाणी जी का घर भी कमोबेश यही हाल था. कमला जी ने भी ऐसे ही दिल्ली में अपना घर चलाया. आसान नहीं था दिल्ली में घर चालाना. आडवाणी जी का पंडारा पार्क में घर था, लेकिन कोल्ड ड्रिंक्स सबको मयस्सर नहीं होती थी. हमलोगों को इससे प्रेरणा मिलती थी. सुशील जी, सरयु राय, नंदू (नंद किशोर यादव) रविशंकर जी सभी लोगों की टीम थी. यही लोगों ने चारा घोटाले को आगे बढ़ाया. चारा घोटाले में हमलोगों ने प्लान तैयार किया था. इसमें पॉलिटिकल डायलॉग और पब्लिक से इंटरेक्ट करेंगे सुशील, मीडिया के साथ सरयु राय, लीगल मुद्दों पर रविशंकर प्रसाद और बाकी संगठनात्मक स्तर पर नंद किशोर यादव प्लानिंग कर रहे थे. ये 1994 में तय किया गया था. परिश्रम भी ठीक था औऱ विषय की गंभीरता भी एक कारण है. कैलाशपति मिश्रा थे गार्जियन देखिए जनसंघ काल में बिहार में ठाकुर बाबू का (रविशंकर प्रसाद के पिता) और बीजेपी के कालखंड में बिहार में सुशील मोदी का कद उभरा. दोनों के पिता सामान या पालक कहें वह थे अपने कैलाश जी. मानसिकता के हिसाब से कैलाश जी जीवन के प्रारंभ से जीवन के अंत तक प्रचारक ही रहे. हां, कैलाशपति मिश्रा बहुत बड़े आदमी थे. सुशील भी इस मामले में हमसे बड़ा आदमी था. सुशील अपने परिवार के बारे में मुझसे चर्चा करते थे या फिर दोनों को जानने वाले एक-दूसरे का हाल चाल लेते रहते थे. हमलोग 2000 के बाद से राजनीति की बात करना बंद कर दिए थे. क्योंकि, मैंने 2000 के बाद सन्यास ले लिया. हम दोनों में आपसी अंडरस्टेंडिंग ठीक थी. Tags: Bihar politics, BJP, RSS, Sushil kumar modi, Sushil ModiFIRST PUBLISHED : May 14, 2024, 13:41 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed