जज्बे को सलाम! 2 सरकारी कर्मचारियों ने बदली 3500 गरीब बच्चों की जिंदगी!
जज्बे को सलाम! 2 सरकारी कर्मचारियों ने बदली 3500 गरीब बच्चों की जिंदगी!
सुशील और तरुणा ने न केवल कोचिंग सेंटर चलाया बल्कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ाना शुरू किया. वे उन बच्चों तक पहुंचे जो पढ़ाई छोड़ चुके थे या आर्थिक तंगी के कारण काम कर रहे थे. आज वे यूपी, बिहार, झारखंड, और राजस्थान के चारों सेंटरों में 3500 बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.
गाजियाबाद. हम ऐसे समय में जी रहे हैं जहां हर व्यक्ति को आगे बढ़ने, जीवन यापन करने और सबसे महत्वपूर्ण रूप से जीवित रहने के लिए अपने साथी इंसान के सहयोग की आवश्यकता है. आधुनिक युग में प्रतिस्पर्धा का स्तर इतना बढ़ गया है कि लगभग हर व्यक्ति अपनी आजीविका के लिए संघर्षरत है. सबसे अधिक प्रभावित होने वाला समाज का वह वर्ग है जो आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है. भारत में शिक्षा से वंचित बच्चों की स्थिति गंभीर है. 2016 में एमएचआरडी द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2014-15 में प्राथमिक स्तर पर 4.34% और माध्यमिक स्तर पर 17.86% बच्चे स्कूल छोड़ चुके थे. इसके कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इनमें से एक प्रमुख कारण गरीबी है.
वंचित परिवारों के लिए बच्चों को शिक्षा देने से अधिक महत्वपूर्ण उन्हें कार्यबल में लाना है, ताकि जीविका के साधन जुटाए जा सकें. बच्चे कूड़ा बीनने, कारखानों में काम करने या छोटी दुकानों में मदद करने लगते हैं, जिससे उनके शिक्षा के अधिकार पर अंकुश लगता है. इस समस्या का समाधान करने के लिए, भारतीय रेलवे के कर्मचारी सुशील मीना और बैंक में कार्यरत तरुणा विद्या ने 2015 में ‘निर्भेद फाउंडेशन’ की स्थापना की. इस एनजीओ का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित बच्चों को शिक्षा प्रदान करना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है.
3500 बच्चों को दे रहे शिक्षा
सुशील मीना ने बताया कि उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में देखा था कि कैसे बच्चे बाल मजदूरी में फंस जाते हैं, और इसी अनुभव ने उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी. 2012 में रेलवे सेवा में आने के बाद, उन्होंने अपने दोस्त तरुणा विद्या के साथ मिलकर सरकारी नौकरी के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए एक निःशुल्क कोचिंग सेंटर की शुरुआत की. सुशील और तरुणा ने न केवल कोचिंग सेंटर चलाया बल्कि झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को भी पढ़ाना शुरू किया. वे उन बच्चों तक पहुंचे जो पढ़ाई छोड़ चुके थे या आर्थिक तंगी के कारण काम कर रहे थे. कुछ ही समय में उनके प्रयासों से बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई, और आज वे यूपी, बिहार, झारखंड, और राजस्थान के चारों सेंटरों में 3500 बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं.
नगद दान देना है मना
निर्भेद फाउंडेशन ने बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ भोजन भी उपलब्ध कराने का संकल्प लिया. फाउंडेशन द्वारा प्रतिदिन 700 बच्चों को भोजन उपलब्ध कराया जाता है. सुशील मीना ने बताया कि उनके संगठन का मुख्य वित्तपोषण टीम के सदस्यों के वेतन और मिलाप नामक क्राउड फंडिंग प्लेटफॉर्म से आता है. निर्भेद फाउंडेशन नकद दान स्वीकार नहीं करता. इसके बजाय, वे स्टेशनरी, भोजन, कपड़े, और खिलौनों जैसी चीज़ों का दान स्वीकार करते हैं. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी दान सीधे बच्चों की ज़रूरतों को पूरा करें.
Tags: Ghaziabad News, Local18, Uttar Pradesh News HindiFIRST PUBLISHED : September 5, 2024, 18:01 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed