Explainer: क्या ब्रिक्स आने वाले समय में दुनिया का सबसे दमदार संगठन होगा

Can BRICS create a new world order: ब्रिक्स देशों के पास न केवल बड़े प्राकृतिक संसाधन हैं, बल्कि यह समूह तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, विविध अर्थव्यवस्थाओं, और वैश्विक प्रभाव से युक्त है. जानकारों ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में ब्रिक्स वैश्विक व्यापार, निवेश, और अंतरराष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया में और अधिक प्रभावशाली बन सकता है.

Explainer: क्या ब्रिक्स आने वाले समय में दुनिया का सबसे दमदार संगठन होगा
Can BRICS create a new world order: इस हफ्ते की शुरुआत में ब्रिक्स नाम से जाने जाने वाले देशों के समूह के नेता दो दिवसीय शिखर सम्मेलन के लिए रूस के शहर कजान में मिले. ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं. जिस पर दुनिया भर की नजरें थीं. मौजूदा नजरिये से  देखा जाए तो वे विशाल अर्थव्यवस्थाएं हैं, उनकी आबादी भी बड़ी है और महत्वाकांक्षाएं भी बड़ी हैं.  समूह के आकर्षण का केंद्र इसकी बढ़ती आर्थिक ताकत है. पांच ब्रिक्स देशों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अब क्रय शक्ति समानता के मामले में जी-7 से अधिक है. ब्रिक्स देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 25 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं. तो, क्या ब्रिक्स अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक वैकल्पिक आर्थिक और भूराजनीतिक मंच बनकर उभरेगा? या क्या उनके आंतरिक मतभेद समूह की उपलब्धियों को सीमित कर सकते हैं? क्या है ब्रिक्स ब्रिक्स का शुरुआती रूप 2006 में ब्रिक (ब्राजील, रूस, भारत, चीन) के रूप में शुरू हुआ. 2010 में दक्षिण अफ्रीका के जुड़ने के बाद यह ब्रिक्स बन गया. इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों की अर्थव्यवस्थाओं को सहयोग और समर्थन देना, व्यापार को बढ़ावा देना, और वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक रूप से आवाज उठाना है. ब्रिक्स देशों की आबादी और संसाधनों में बड़ी हिस्सेदारी है, और ये वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करते हैं.   ये भी पढ़ें- ब्रह्मांड के रहस्यों से पर्दा उठाने को तैयार दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा टेलीस्कोप जी-7 क्या है? जी-7 (ग्रुप ऑफ सेवन) दुनिया की सबसे विकसित और औद्योगिक रूप से संपन्न अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और ब्रिटेन शामिल हैं. जी-7 की स्थापना 1975 में की गई थी, जब दुनिया की प्रमुख औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं मिलकर वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच पर आईं. इसका मुख्य उद्देश्य वैश्विक अर्थव्यवस्था, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और मानवाधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श और समाधान निकालना है. जी-7 सदस्य देश आर्थिक रूप से बहुत समृद्ध और वैश्विक राजनीति में प्रभावी हैं. दोनों में अंतर ब्रिक्स में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं, जबकि जी-7 में विकसित और औद्योगिक अर्थव्यवस्थाएं हैं. ब्रिक्स का ध्यान विकासशील देशों के सहयोग और उनके आर्थिक विकास पर है, जबकि जी-7 का फोकस वैश्विक आर्थिक स्थिरता, सुरक्षा और लोकतांत्रिक मूल्यों पर रहता है. ब्रिक्स में सदस्य देश विशाल जनसंख्या और प्राकृतिक संसाधनों के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं. जी-7 देश पहले से ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं और ये आर्थिक नीतियों और वैश्विक वित्तीय संस्थानों पर प्रभाव डालते हैं.   ये भी पढ़ें- Explainer: इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान विमान हवा में ही ईंधन क्यों गिरा देते हैं, कहां जाता है वो फ्यूल? राजनीतिक दृष्टिकोण ब्रिक्स देशों के बीच राजनीति और विकास के प्रति दृष्टिकोण अलग-अलग हो सकता है. जी-7 देशों का दृष्टिकोण अधिकतर लोकतांत्रिक और बाजार अर्थव्यवस्था के आधार पर होता है. इन दोनों समूहों का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन उनके दृष्टिकोण और प्राथमिकताएं अलग हैं. ब्रिक्स में शामिल चीन, रूस, भारत और ब्राजील वैश्विक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. ये चारों देश उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं, और इनकी आर्थिक ताकत लगातार बढ़ रही है ब्रिक्स की आर्थिक ताकत साल 2023 के आंकड़ों के अनुसार ब्रिक्स देशों की कुल जीडीपी लगभग $27.24 ट्रिलियन डॉलर है. ब्रिक्स की कुल जीडीपी विश्व की कुल जीडीपी का लगभग 25 फीसदी है. ब्रिक्स देशों में विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 40 फीसदी हिस्सा रहता है, जो उन्हें एक बड़े उपभोक्ता बाजार के रूप में भी स्थापित करता है. इन देशों की संयुक्त ताकत न केवल वैश्विक व्यापार में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक मंचों पर भी प्रभावी होती है. ये देश विकासशील देशों के लिए एक शक्तिशाली गठबंधन के रूप में उभरे हैं, जो पश्चिमी विकसित देशों के मुकाबले एक संतुलन बना रहे हैं. ये भी पढ़ें- कैसे रशियन हीरोइन बनी आंध्र के डिप्टी सीएम की तीसरी बीवी, कैसी है लव स्टोरी ब्रिक्स में चीन, भारत, रूस, और ब्राजील की संयुक्त आर्थिक ताकत विश्व स्तर पर बेहद महत्वपूर्ण है. इन देशों के पास न केवल बड़े प्राकृतिक संसाधन हैं, बल्कि यह समूह तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या, विविध अर्थव्यवस्थाओं, और वैश्विक प्रभाव से युक्त है. भविष्य में, ब्रिक्स वैश्विक व्यापार, निवेश, और अंतरराष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया में और अधिक प्रभावशाली बन सकता है. दबदबा बढ़ेगा ब्रिक्स का विश्लेषकों का कहना है कि ब्रिक्स देशों का दबदबा बढ़ने की संभावना है. लेकिन इस गुट द्वारा अमेरिका के नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था को नाटकीय रूप से बदलने की तुलना में टुकड़ों में आर्थिक और कूटनीतिक विकल्प पेश करने की अधिक संभावना है. इससे पश्चिम के साथ अभी भी और अधिक तनाव पैदा हो सकता है, क्योंकि समूह के नेता परिवर्तनशील दुनिया में एक स्वतंत्र रास्ता तलाशना चाहते हैं. लेकिन प्रभावी बने रहने के लिए, ब्रिक्स को अपने सदस्य देशों की असमान प्राथमिकताओं को मैनेज करने की आवश्यकता होगी. एक ऐसी चुनौती जिसे संबोधित करना समूह के लिए आसान नहीं होगा. Tags: BRICS Summit, Explainer, G7 group leader, G7 MeetingFIRST PUBLISHED : October 24, 2024, 18:57 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed