सोनिया की बनाई अंडे की प्लेट संजय गांधी ने फेंक दी कैसे थे भाई-भाभी से रिश्ते
सोनिया की बनाई अंडे की प्लेट संजय गांधी ने फेंक दी कैसे थे भाई-भाभी से रिश्ते
Sanjay Gandhi Birthday: देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खासे चर्चित रहे बेटे संजय गांधी का आज जन्मदिन है. वह दिल्ली में 14 दिसंबर 1946 को पैदा हुए थे. विनोद मेहता की किताब कहती है राजीव और संजय की आपस में बनती नहीं थी
हाइलाइट्स संजय जब डायनिंग टेबल पर नाराज हुए तो इंदिरा गांधी चुप थीं परिवार में दोनों भाइयों और उनकी पत्नियों में तनाव कम नहीं हो रहा था राजीव अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अलग जगह रहने चले गए
संजय गांधी जिंदा होते तो आज 78 साल के होते. जिंदा होते तो भारतीय राजनीति भी निश्चित तौर पर कुछ अलग ही होती. इंदिरा गांधी ने जब 15 जून 1975 को आपातकाल लगाया तो माना जाता है कि इसके पीछे संजय गांधी का दबाव ज्यादा था. संजय का आज जन्मदिन है. वह दिसंबर की ठिठुरती हुई ठंड में दिल्ली के विलिंगडन हास्पिटल में पैदा हुए थे. विनोद मेहता की किताब कहती है कि संजय और राजीव के बीच रिश्ते बाद में ठंडे होने लगे थे. दोनों भाइयों और उनकी पत्नियों में बनती नहीं थी.
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी पर एक ही किताब तरीके से लिखी गई है. ये किताब कई पत्रिकाओं और समाचार पत्रों के संपादक रहे विनोद मेहता ने लिखी. इसका नाम है ‘द संजय स्टोरी‘. इस किताब की भूमिका और आगे उन्होंने दोनों भाइयों और घर में दोनों भाइयों की पत्नियों के बीच बिगड़ते रिश्तों को हल्के से या कहें कि इशारों में छुआ है.
दोनो भाई और उनकी पत्नियों के रिश्ते ठंडे थे
किताब कहती है कि जब इंदिरा गांधी आपातकाल उठाने के बाद 1977 में चुनाव हार गईं तो मोरारजी देसाई की सरकार ने उनके खिलाफ बदले की तमाम काम करने शुरू कर दिए. ये इंदिरा गांधी परिवार के लिए मुश्किल दिन थे. जब संजय और इंदिरा अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे, घर पर दोनों भाई और दोनों पत्नियों के रिश्ते ठंडे थे. संजय गांधी पर एक ही किताब तरीके से लिखी गई है, उसे कई सालों पहले जाने माने जर्नलिस्ट विनोद मेहता ने लिखा था. इसमें काफी कुछ उनके बारे में पढ़ने को मिलता है. (photo Sanjay Srivastava)
सोनिया की वो डिश संजय को पसंद नहीं आई
सोनिया और मेनका के बीच ‘इंदिरा गांधी तटस्थ रहने की कोशिश करती रहीं. परिवार में शांति बनाए रखने की हरसंभव कोशिश करती रहीं. एक सुबह, बी.के. नेहरू और उनकी पत्नी फ्लोरी गांधी परिवार के साथ नाश्ता कर रहे थे कि अचानक डायनिंग टेबल पर बैठे हुए ‘संजय गुस्से में आ गए. उन्होंने अपनी प्लेट उठाकर कमरे में फेंक दी, जिसमें सोनिया गांधी ने अंडे की डिश बनाकर दी थी.
इंदिरा ने एक शब्द भी नहीं कहा
संजय इसलिए नाराज हो गए,क्योंकि सोनिया ने उनके अंडे ठीक उसी तरह नहीं पकाए, जैसा उन्होंने कहा था. किताब लिखती है कि खाने की टेबल पर इंदिरा भी बैठी हुईं थीं, उन्होंने संजय से एक शब्द भी नहीं कहा.
तब राजीव अपनी फैमिली के साथ अलग रहने चले गए
1980 में जब इंदिरा गांधी और संजय गांधी चुनाव जीतकर वापस आ गए तो इंदिरा वापस प्रधानमंत्री आवास में आ गईं. पूरा परिवार एक साथ रह रहा था. 31 मार्च 1980 को मेनका ने एक बेटे को जन्म दिया. उसका नाम वरुण रखा गया. इंदिरा बहुत खुश थीं. अब उनके तीन पोते-पोतियां थे.
किताब की भूमिका में विनोद मेहता ने लिखा, अफ़सोस, वरुण के जन्म से भाइयों और उनकी पत्नियों के बीच तनाव कम नहीं हुआ. ये इतना बढ़ा कि राजीव और सोनिया पीएम हाउस से अलग निजी स्थान में रहने चले गए. ऐसा लग रहा था जैसे भारत के सबसे राजनीतिक रूप से सक्रिय घर में होने वाली व्यस्त गतिविधियों से उन्हें पूरी तरह से अलग रखा गया हो. इंदिरा गांधी अपने दोनों बेटों राजीव और संजय के साथ. (विकी कामंस)
क्या होता तब
किताब लिखती है, क्या होता अगर संजय दुर्घटना में बच जाते? क्या यह संभव है कि राजीव एक निजी नागरिक बने रहते और छोटा भाई वंशवाद की मशाल को आगे बढ़ाता? क्या होता अगर मेनका अपनी सास से इस बात पर इतनी कटुता से नहीं झगड़ती कि संजय के उत्तराधिकारी के रूप में कौन होगा और क्या होता अगर मेनका को अपनी सास की सार्वजनिक अवज्ञा करने और पार्टी विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में आधी रात को विलिंगडन क्रीसेंट से बाहर नहीं निकाला जाता. क्या मेनका वह भूमिका निभा रही होतीं जो सोनिया ने बाद में निभाई.
संजय की बात काटने का साहस किसी का नहीं होता था
किताब लिखती है कि इंदिरा गांधी के घर में संजय को ज्यादा तवज्जो दी जाती थी. इंदिरा शायद ही कभी उनकी कोई बात काटती रही हों. घर में संजय ने ऐसा माहौल बना लिया था मानो वह किसी भी विषय के एक्सपर्ट हैं. उनके आसपास जुटे लोग उनकी हां में हां मिलाने वालें थे. दुर्लभ मौका होता था जबकि कोई उनके सामने अलग दृष्टिकोण पेश करने का साहस करता था. अगर ऐसा होता तो संजय कहते थे: ‘आप इस बारे में फिर से सोचें.’
केवल राजीव ही उन्हें टोक पाते थे
संजय की अचूकता पर सवाल उठाने वाला एकमात्र व्यक्ति राजीव ही थे. हालांकि वह ये काम तभी करते थे जबकि उन्हें उकसाया जाता था. संजय ने जब फ्लाइट की ट्रेनिंग लेनी शुरू की और इसमें उनकी दिलचस्पी बढ़ गई तो इसके कुछ महीनों बाद ही विमानन से संबंधित किसी तकनीकी मुद्दे पर राजीव के साथ बहस कर ली, जो कई बरसों से पायलट थे और लंबी दूरी की उड़ानों में लगातार विमान को उड़ाते थे.
दिल्ली फ्लाइंग क्लब में आधा दर्जन पायलटों से घिरे संजय ने फ्लाइट से जुड़ी किसी बात पर जोर वह सही हैं जबकि उनका भाई गलत है. हताश होकर राजीव ने आखिरकार व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा, ‘संजय, तुम कब से उड़ान भर रहे हो?’
जब संजय दाल से रोटी खा रहे थे
इंदिरा हमेशा संजय का ख्याल रखती थीं. कभी उन्होंने संजय को किसी बात के लिए गलत नहीं ठहराया. वह संजय का बहुत ख्याल भी रखती थीं. इसी से जुड़ा एक किस्सा और भी है. बल्कि 1977 में चुनाव हारने और वापस 1980 में सत्ता में आने के बाद वह अपने छोटे बेटे के प्रति और भी अधिक चिंतित और सुरक्षात्मक हो गईं. उन्होंने अपने मित्रों और पार्टी कार्यकर्ताओं की अपील के बावजूद अपने बेटे की निंदा करने या उसकी भूमिका की हल्की-फुल्की आलोचना करने से इनकार कर दिया. वह लगातार अपने बेटे और उसके कार्यक्रमों का बचाव करती रहीं.
तो इंदिरा रसोइए पर गुस्से से भड़कीं
वर्ष 1977 में कांग्रेस की हार के तीन दिन बाद, गांधी परिवार दोपहर के भोजन के लिए बैठा. यह हमेशा की तरह एक साधारण भोजन था, दाल और करेले की सब्जी. भोजन के दौरान श्रीमती गांधी ने संजय की प्लेट पर नज़र डाली और देखा कि वह दाल के साथ अपनी चपातियां खा रहे थे. फिर उन्हें याद आया, संजय को करेले पसंद नहीं हैं. वह गुस्से से भड़क उठीं.
उन्होंने रसोइए को बुलाया, ‘क्या तुम्हें नहीं पता कि संजय करेले नहीं खाता? तुम ऐसी सब्ज़ियाँ क्यों बनाती हो जो उसे पसंद नहीं हैं?’ वह गरज उठीं. रसोइए ने माफ़ी मांगी, अपनी गलती कभी न दोहराने का वादा किया. कांपते हुए पीछे हट गया. इससे जाहिर है कि वह वाकई संजय के लिए बहुत चिंतित रहती थीं और कोई दुर्भावना नहीं रखती थीं. विनोद मेहता किताब में लिखते हैं कि ये अफवाहें सिरे से गलत थीं कि संजय के पास अपनी मां की कोई फाइल थी और वह उन्हें ब्लैकमेल करते थे.
Tags: Gandhi Family, Indira Gandhi, Maneka Gandhi, Rajiv Gandhi, Sonia GandhiFIRST PUBLISHED : December 14, 2024, 12:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed