फडणवीस के नाम ऐसा रिकॉर्ड जिसे तोड़ने का सपना देखते रह गए उद्धव-पवार

वर्ष 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से यहां अब 14 विधानसभा चुनाव हुए और कुल 20 मुख्यमंत्री चुने गए. हालांकि यहां केवल दो ही ऐसे सीएम जो अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा कर पाए. इसमें देवेंद्र फडणवीस के नाम पर ऐसा रिकॉर्ड है, जो शरद पवार तीन बार मुख्यमंत्री रहकर भी नहीं तोड़ पाए.

फडणवीस के नाम ऐसा रिकॉर्ड जिसे तोड़ने का सपना देखते रह गए उद्धव-पवार
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी (MVA) और महायुती ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. महाराष्ट्र हमेशा से ही इस पद के लिए स्थानीय नेताओं को मौका देता रहा है, लेकिन यहां ऐसा कम ही हुआ है कि कोई मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा कर पाया हो. महाराष्ट्र के इतिहास में अब तक हुए 14 विधानसभा चुनावों में कुल 20 मुख्यमंत्री चुने गए, लेकिन केवल वसंतराव नाइक और देवेंद्र फडणवीस ने ही अपना कार्यकाल पूरा किया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्रियों का इतिहास वर्ष 1960 में महाराष्ट्र के गठन के बाद से ही कांग्रेस सत्ताधारी पार्टी थी. तत्कालीन बॉम्बे स्टेट को महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में बांट दिया गया था. तब यशवंतराव चव्हाण को महाराष्ट्र का पहला मुख्यमंत्री चुना गया. लेकिन 1962 में भारत-चीन युद्ध के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चव्हाण को रक्षा मंत्री नियुक्त किया और उनकी जगह मारोतराव कन्नमवार को मुख्यमंत्री बनाया. वर्ष 1963 में कन्नमवार के अचानक निधन से सीएम पद एक बार फिर खाली हो गया. इसके बाद वसंतराव नाइक ने उनका कार्यकाल पूरा किया. वह 1967 में दोबारा सीएम चुने गए और 1972 तक अपना कार्यकाल पूरा किया. 1975 में आपातकाल के दौरान इंदिरा गांधी के वफादार शंकरराव चव्हाण ने उनकी जगह ली. आपातकाल के बाद टूटी कांग्रेस, फिर सरकार बनाने के लिए आ गई साथ आपातकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस केंद्र की सत्ता से पहली बार बाहर हो गई और महाराष्ट्र में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद एसबी चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया. उनकी जगह मराठा दिग्गज नेता वसंतदादा पाटिल ने ली. इस करारी हार के बाद कांग्रेस दो गुटों में बंट गई- कांग्रेस (यू) और कांग्रेस (आई). 1978 के चुनाव में कांग्रेस (यू) ने 69 और कांग्रेस (आई) ने 62 सीटें जीतीं. दोनों गुटों ने जनता पार्टी को सबसे बड़ी पार्टी बनने से रोकने के लिए हाथ मिलाया, जिसके पास 288 सीटों में से 99 सीटें थीं. कांग्रेस ने फिर वसंतदादा पाटिल को मुख्यमंत्री बनाए रखा. शरद पवार बने सबसे युवा सीएम तब 38 वर्षीय नेता शरद पवार, कांग्रेस (यू) से अलग हो गए और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (समाजवादी) यानी कांग्रेस (एस) का गठन किया. वह राज्य में लगातार गैर-मराठा मुख्यमंत्रियों के चयन के लिए इंदिरा गांधी से नाराज थे. पवार ने तब जनता पार्टी और वामपंथी समर्थित भारतीय किसान और मजदूर पार्टी के साथ मिलकर प्रगतिशील लोकतांत्रिक मोर्चा (पीडीएफ) सरकार बनाई और राज्य के सबसे कम उम्र के मुख्यमंत्री बने. हालांकि शरद पवार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए. जब 1980 में इंदिरा गांधी दोबारा सत्ता में आईं, तब उन्होंने पवार की सरकार को बर्खास्त करके वहां पहली बार राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया. फिर नए सिरे से हुए चुनाव में और कांग्रेस (आई) राज्य में सत्ता में आई, जिसमें अब्दुल रहमान अंतुले को पहले मुस्लिम मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया. फिर 1980 और 1995 के बीच, राज्य में तीन चुनाव हुए और आठ मुख्यमंत्री बने, जिसमें शरद पवार ने दो बार सीएम पद संभाला. 1985 में कांग्रेस (आई) के फिर से चुने जाने के बाद, शिवाजीराव पाटिल नीलंगेकर को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया और वह दो साल तक इस पद पर रहे. शरद पवार तब तक कांग्रेस में लौट आए थे और उन्हें महाराष्ट्र में बढ़ती शिवसेना पर लगाम लगाने का काम सौंपा गया था. फिर वर्ष 1988 में वह एसबी चव्हाण की जगह मुख्यमंत्री बने. उन्होंने 1990 के चुनाव में कांग्रेस को 141 सीटों पर जीत दिलाई और 12 निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ सरकार बनाई, जिससे वह तीसरी बार मुख्यमंत्री बने. 1991 में कांग्रेस के चुनाव जीतने और राजीव गांधी की हत्या के बाद शरद पवार ने प्रधानमंत्री बनने की एक असफल कोशिश की. कांग्रेस ने इसके बजाय पीवी नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री और पार्टी प्रमुख चुना. पवार ने कांग्रेस को ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत की याद दिलाई, लेकिन उन्हें रक्षा मंत्रालय दिया गया, और सुधाकरराव नाइक को मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने के लिए चुना गया. बीजेपी और शिवसेना का उदय दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस के दौरान मुंबई में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे. शरद पवार ने मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की कमान संभाली. इसी दौरान मुंबई (तब बॉम्बे) को दहलाने वाले बम धमाके हुए, जिसमें 250 लोग मारे गए. 1995 के चुनावों में भाजप-शिवसेना गठबंधन सत्ता में आया, जिसने 138 सीटें जीतीं और राज्य में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई. बाल ठाकरे ने मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री चुना. हालांकि इस दौरान ठाकरे पर ‘रिमोट कंट्रोल’ से सरकार चलाने का आरोप लगा. फिर वर्ष 1999 में, जोशी की जगह ठाकरे के वफादार और कोंकण के दिग्गज नेता नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया गया. एनसीपी-कांग्रेस की गठबंधन सरकार इस बीच शरद पवार ने एक बार फिर कांग्रेस ने नाता तोड़कर एनसीपी बना ली थी. एनसीपी ने 1999 के चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में सेंध लगाई, और भाजपा-कांग्रेस दोनों को बहुमत से वंचित कर दिया था. इसके बाद कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सरकार बनी और कांग्रेस के विलासराव देशमुख को मुख्यमंत्री चुना गया. वर्ष 2004 में राज्य में चुनाव होने से पहले देशमुख को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा और दलित नेता सुशील कुमार शिंदे को कार्यवाहक मुख्यमंत्री चुना गया. कांग्रेस-एनसीपी फिर से चुनी गई और देशमुख सत्ता में वापस आ गए. लेकिन 26/11 के मुंबई आतंकी हमलों के कारण उनका दूसरा कार्यकाल छोटा रह गया, जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. शंकरराव चव्हाण के बेटे अशोक चव्हाण को 2009 के विधानसभा चुनाव तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बनाया गया. उनका दूसरा कार्यकाल 2012 में समाप्त हो गया, जब वह और कई दूसरे नेता आदर्श सोसायटी हाउसिंग घोटाले में फंस गए. मोदी लहर और फडणवीस को कमान वर्ष 2014 के चुनाव में, मोदी लहर की वजह से कांग्रेस का मानो सफाया हो गया. शिवसेना, जिसने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था, उसे भाजपा के साथ गठबंधन करना पड़ा और देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाना पड़ा. इस दौरान दोनों दलों के बीच मतभेद और राजनीतिक कटुता बनी रही, लेकिन फडणवीस ने अपना कार्यकाल पूरा किया. ऐसा करने वाले वे वसंतराव नाईक के बाद दूसरे सीएम थे. 2019 के महाराष्ट्र चुनाव में भाजपा और शिवसेना वापस सत्ता में आ गईं, लेकिन दोनों फिर से विभाग और सीएम कार्यकाल के बंटवारे पर अलग हो गईं. उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने गठबंधन सरकार बनाने के लिए कट्टर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस-एनसीपी के साथ बातचीत शुरू कर दी, लेकिन फडणवीस ने एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ गठबंधन किया और सीएम पद की शपथ ली. तीन दिनों के अंदर, पवार ने समर्थन वापस ले लिया और फडणवीस सरकार गिर गई. उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया और सीएम पद की शपथ ली. हालांकि, उनका कार्यकाल भी अल्पकालिक रहा, जब शिवसेना के एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी, 38 विधायकों को अपने साथ ले लिया और राज्य में महायुती सरकार बनाई. Tags: Maharashtra NewsFIRST PUBLISHED : November 13, 2024, 22:38 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed