क्षेत्रफल के लिहाज से कश्मीर से बड़ा लद्दाख फिर क्यों नहीं वहां विधानसभा

Why is there no assembly in Ladakh?: 2019 में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक द्वारा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया. जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश विधानमंडल के साथ बनाया गया, लेकिन लद्दाख को इससे वंचित रखा गया. जानिए आखिर क्यों किया गया लद्दाख से सौतेला व्यवहार.

क्षेत्रफल के लिहाज से कश्मीर से बड़ा लद्दाख फिर क्यों नहीं वहां विधानसभा
हाइलाइट्स 2019 में अनुच्छेद 370 निरस्त करके जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया जम्मू-कश्मीर को विधायिका देने का प्रस्ताव था, लेकिन लद्दाख को वैसी सुविधा नहीं मिली Why is there no assembly in Ladakh?: केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधानों को निरस्त करके जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा खत्म कर दिया था. सरकार ने राज्यसभा में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया, जिसमें राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) – जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया. विधेयक का उद्देश्य राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करके राज्य का नक्शा फिर से बनाना था. दोनों केंद्र शासित प्रदेश एक जैसे नहीं उस समय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा पेश किए गए विधेयक में जम्मू-कश्मीर को विधायिका के साथ केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पेश करने का प्रस्ताव था, लेकिन लद्दाख को वैसी सुविधा नहीं दी गई. अमित शाह द्वारा हस्ताक्षरित प्रस्ताव में कहा गया था, “लद्दाख के लोगों की लंबे समय से मांग रही है कि इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया जाए ताकि वे अपनी आकांक्षाओं को साकार कर सकें.” यह कहा, “इसके अलावा, मौजूदा जम्मू और कश्मीर राज्य में सीमा पार आतंकवाद से उत्पन्न मौजूदा आंतरिक सुरक्षा स्थिति को ध्यान में रखते हुए, जम्मू और कश्मीर के लिए एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया जा रहा है. जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश विधानमंडल के साथ होगा.”  ये भी पढ़ें- वो 10 पारसी जिन्होंने भारत को आगे बढ़ाने में निभाया खास रोल क्या है केंद्र शासित प्रदेश? केंद्र शासित प्रदेश एक छोटी प्रशासनिक इकाई है जिस पर संघ यानी केंद्र सरकार का शासन होता है. केंद्र शासित प्रदेशों का नियंत्रण और प्रशासन सीधे केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है. अब तक, भारत में सात केंद्रशासित प्रदेश थे – दिल्ली, पुडुचेरी, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली, चंडीगढ़, दमन और दीव और लक्षद्वीप. दिल्ली और पुडुचेरी में विधानसभाएं हैं, जबकि बाकी में नहीं. लद्दाख 1947 से 2019 तक जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, उसके बाद 2019 से ये अलग प्रशासनिक इकाई बन गया. लद्दाख क्षेत्रफल के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा केंद्र शासित प्रदेश है. साथ ही सबसे कम आबादी वाला क्षेत्र भी. इसका अधिकतर हिस्सा 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर है.  ये भी पढ़ें- दुश्मनी के बावजूद पाकिस्तान से क्या-क्या खरीदता है भारत, एक चीज की तो हर घर में है मांग यह एक राज्य से किस प्रकार भिन्न है? राज्यों को एक प्रशासनिक इकाई के रूप में समझा जाता है जिसकी अपनी निर्वाचित सरकार होती है, जिसे अपने कानून बनाने का अधिकार होता है. प्रशासन के लिए इसकी अपनी विधान सभा और एक मुख्यमंत्री होता है. एक राज्य में निचले और ऊपरी दोनों सदन होते हैं और राज्यसभा में प्रतिनिधित्व होता है. एक केंद्र शासित प्रदेश सीधे केंद्र द्वारा नियंत्रित होता है. विधायिका सहित और विधायिका रहित UT के बीच क्या अंतर है? दिल्ली और पुडुचेरी जैसे विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश की अपनी विधानसभा और निर्वाचित विधायक होते हैं. लेकिन इसमें विधान परिषद या उच्च सदन नहीं है. अंतिम निर्णय केंद्र द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल पर निर्भर करता है. चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व बिना विधायक के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा नहीं किया जाता है.  विधान सभा वाले केंद्रशासित प्रदेशों को आंशिक राज्य का दर्जा प्राप्त है. ये भी पढ़ें- Explainer: क्यों भारत से कनाडा भागते हैं लोग, पैसा, पावर और मौज… क्या है इस देश का जादू  लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के बीच अंतर विधेयक के कानून बनने के बाद, लद्दाख सीधे केंद्र के अधीन एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया और जम्मू-कश्मीर को आंशिक राज्य का दर्जा मिला. कुछ दिनों पहले ही जम्मू-कश्मीर में चुनाव सम्पन्न हुए हैं और उसे अपनी चुनी हुई सरकार मिल गई है. इन चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला. हालांकि एनसी नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को सरकार में शामिल नहीं किया. उन्होंने निर्दलीय विधायकों का समर्थन लेकर दस साल बाद राज्य में सरकार का गठन किया. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू-कश्मीर में यह पहली निर्वाचित सरकार है. ये भी पढ़ें- Explainer: सिंदूर कैसे बनता है? क्या सच में एक चुटकी खा या खिला देने से जान चली जाती है किसका क्षेत्रफल है ज्यादा क्षेत्रफल के लिहाज से देखा जाए तो लद्दाख कश्मीर से बड़ा है. कश्मीर का क्षेत्रफल 42,241 (कुल 222,236 वर्ग किमी) वर्ग किमी जबकि लद्दाख का क्षेत्रफल 59,146 वर्ग किमी है. वैसे लद्दाख का कुल क्षेत्रफल 166,698 वर्ग किमी है, जिसका बड़ा हिस्सा अवैध तरीके से पाकिस्तान और चीन ने हड़पा हुआ है. यही हाल कश्मीर का भी है, जिसका बड़ा हिस्सा पाकिस्तान ने कब्जाया हुआ है. जिसे हम पाक अधिकृत कश्मीर कहते हैं.  मौजूदा क्षेत्रफल के लिहाज से भी लद्दाख कई भारतीय राज्यों से कहीं ज्यादा बड़ा है. मसलन, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, केरल, दिल्ली और नार्थ ईस्ट के सभी राज्य उससे छोटे हैं. ये भी पढ़ें- Explainer: उमर अब्दुल्ला की पार्टी में कितने हिंदू विधायक? क्यों जोड़ना चाहते हैं निर्दलीयों को भी  लद्दाख में बनाए गए सात नए जिले जम्मू-कश्मीर में कुल 20 जिले है, जबकि लद्दाख में पहले केवल दो जिले थे. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 26 अगस्त को ये घोषणा की कि लद्दाख में 5 नए जिले बनाए जा रहे हैं. इसे जोड़कर अब वहां कुल सात जिले हो जाएंगे. अब तक वहां के दो जिले लेह और कारगिल थे. नए जिलों के नाम ज़ांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग होंगे, जो अभी यहां के कस्बे हैं.  लेह यहां का बड़ा शहर है. यहां मुख्य तौर पर मुस्लिम, बौद्ध और हिंदू रहते हैं.  Tags: Article 370, Central government, Explainer, Jammu and kashmir, Ladakh NewsFIRST PUBLISHED : October 19, 2024, 16:58 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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