12 साल पहले शिरडी के लड्डओं में क्यों आने लगी थी बदबू मिलावट पर हुआ था बवाल
12 साल पहले शिरडी के लड्डओं में क्यों आने लगी थी बदबू मिलावट पर हुआ था बवाल
Rotten laddoos of Sai Baba Temple: तिरुपति बालाजी के लड्डू इन दिनों चर्चा में हैं. लेकिन आपको शायद यह बात नहीं मालूम होगी कि 12 साल पहले शिरडी के साईं बाबा मंदिर के लड्डुओं को लेकर भी बवाल हो चुका है. तब शिरडी में प्रसाद में मिलने वाले लड्डुओं में बदबू आने की शिकायत की गई थी.
Rotten laddoos of Sai Baba Temple: साईं बाबा के कारण महाराष्ट्र के अहमदनगर का शिरडी भी एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है.साईं बाबा पर लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था है. शिरडी में भी तिरुपति बालाजी की तरह प्रसाद में लड्डू मिलता है. तिरुपति बालाजी के लड्डू इन दिनों चर्चा में हैं. एक जांच में यह पाया गया है कि इन लड्डुओं में जानवरों की चर्बी मिलाई जाती थी. इस खुलासे के बाद से ही न केवल आंध्र प्रदेश की राजनीति गरमाई हुई है, बल्कि दुनिया भर में करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था को भी ठेस पहुंची है. इस बीच आपको ये बता दें कि शिरडी साईं बाबा के मंदिर में मिलने वाले प्रसाद में भी एक बार मिलावट का आरोप लग चुका है.
घी की क्वालिटी पर उठे थे सवाल
यह 2012 के अगस्त महीने का वाकया है. उस समय कई श्रद्धालुओं ने आरोप लगाया था कि मंदिर में प्रसाद के रूप में जो लड्डू मिलता है, उसमें मिलावट है. भक्तों की शिकायत थी कि इस लड्डू की क्वालिटी बहुत खराब है. कुछ भक्तों ने तो यह आरोप भी लगाया कि इससे बदबू आती है. उस समय भी तिरुपति बालाजी की तरह शिरडी में प्रसाद बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले देशी घी की क्वालिटी पर भी सवाल उठाए गए थे. देश के कोने कोने से भक्त साईं बाबा के दरबार में माथा टेकने आते हैं और मंदिर की ओर से मिलने वाले लड्डू को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. वे इसे लेकर घर भी जाते हैं और अपने परिवार के सदस्यों और जान-पहचान वालों में बांटते हैं. लेकिन प्रसाद में मिलावट की इस खबर से लोगों की आस्था को चोट पहुंची थी.
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लड्डू में आ रही थी कड़वाहट
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रसाद के बारे में एक भक्त ने कहा था, “हम यहां कई बार आ चुके हैं, लेकिन प्रसाद के रूप में इस बार जो लड्डू मिला है, उसका स्वाद कुछ कड़वाहट भरा है. एक और भक्त ने कहा कि यह आस्था का मामला है, इसलिए कोई भी कुछ कहने से संकोच कर रहा है. लेकिन स्वाद में कसैलापन काफी दिनों से महसूस किया जा रहा था. शिकायत के बाद फूड एंड अडल्टरेशन विभाग (FDA) ने साईं बाबा मंदिर की रसोई पर छापा मारा था. एफडीए टीम ने मंदिर में प्रसाद तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए गए घी के नमूने एकत्र किए, जिन्हें परीक्षण के लिए भेजा गया. जांच में क्या निकला ये तो पता नहीं चल सका. लेकिन तब लगभग साढ़े चार लाख लड्डुओं को नष्ट किया गया था.
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हलवे में इस्तेमाल सूजी की भी शिकायत
शिरडी के साईं बाबा के मंदिर में उस समय रोज तकरीबन 50 क्विंटल तक प्रसाद बनता था. प्रसाद का सामान टेंडर के जरिये मंगाया जाता था. कुछ भक्तों ने लड्डू की खराब क्वालिटी की ओर तो ध्यान आकर्षित किया ही, उसके अलावा सत्यनारायण प्रसाद के लिए बने सूजी के हलवे की क्वालिटी की भी शिकायत की थी. शिकायतों के बाद, जिले के शीर्ष प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ मंदिर ट्रस्ट की समिति के सदस्यों ने भी पाया कि लड्डू का स्वाद खराब था. उन्होंने तब घी निर्माता और आपूर्तिकर्ता के खिलाफ कार्रवाई का संकेत दिया था.
इससे पहले भी की गई थी कंपलेंट
प्रसाद की खराब क्वालिटी के बारे में यह शिकायत पहली बार नहीं की गई थी. इससे पहले 2009 में भी लड्डुओं में बदबू का मामला सामने आया था. उस दिन बने लगभग डेढ़ लाख लड्डओं को नष्ट कर दिया गया था ताकि उन्हें खाकर कोई बीमार न पड़े. उस समय इन लडडुओं को खाने वाले भक्तों को उल्टियां होने लगी थीं. इसमें इस्तेमाल किए गए घी पर सवाल उठे थे.
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कितने लोग रोज करते हैं दर्शन
शिरडी मंदिर में साईं बाबा की मूर्ति इटैलियन मार्बल से बनाई गई है. ये मूर्ति कीमती कपड़ों से सुसज्जित है, जो सोने का मुकुट पहने और ताजे फूलों की मालाओं से सजी हुई दिखाई देती है. शिरडी में साईं बाबा के दर्शन के लिए हर दिन लगभग 30,000 भक्त आते हैं. किसी खास मौके या त्योहार पर ये संख्या दो-तीन लाख तक भी पहुंच जाती है. मंदिर में बाबा के जीवनकाल से चली आ रही परंपराओं का पालन किया जाता है. समाधि मंदिर में हर दिन चार आरती की जाती हैं. मंदिर का प्रबंधन श्री साईं बाबा संस्थान ट्रस्ट शिरडी द्वारा किया जाता है.
Tags: Ahmednagar News, Hindu Temple, Maharashtra News, Shirdi sai baba, Shirdi Sai Baba MandirFIRST PUBLISHED : September 21, 2024, 09:35 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed