कौन है वो दिहाड़ी मजदूर जिससे हार गए ओडिशा के 5 बार के CM नवीन पटनायक

Stunning Upset in Odisha: नवीन पटनायक करीब ढाई दशक से ओडिशा के मुख्यमंत्री पद पर काबिज थे. राज्य की राजनीति में उनको एक तरह से अजेय माना जाता था. लेकिन भाग्य का फेर देखिए इस बार के विधानसभा चुनाव में उन्हें एक ऐसे शख्स के हाथों हार झेलनी पड़ी जिसने कभी परिवार में आर्थिक दिक्कतों की वजह से दिहाड़ी मजदूर का काम किया था. लक्ष्मण बाग ने कांताबांजी विधानसभा क्षेत्र में नवीन बाबू को 16 हजार वोटों से शिकस्त दी.

कौन है वो दिहाड़ी मजदूर जिससे हार गए ओडिशा के 5 बार के CM नवीन पटनायक
2024 लोकसभा चुनावों के साथ ओडिशा में विधानसभा चुनाव भी हुए. लेकिन इसके नतीजे लगभग ढाई दशकों से यहां की राजनीति में छायी रहने वाली बीजू जनता दल (BJD) के लिए विध्वंसकारी साबित हुए. बीजेडी ने ना केवल राज्य की सत्ता गंवा दी, बल्कि चुनावी राजनीति में अजेय नजर आने वाले ओडिशा के निवर्तमान मुख्यमंत्री नवीन पटनायक अपनी सीट भी हार गए. नवीन पटनायक पिछले 24 साल से ओडिशा के मुख्यमंत्री थे. उनके नाम इस तटीय राज्य का सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड दर्ज है. नवीन पटनायक, 1998 में अस्का संसदीय क्षेत्र से उपचुनाव में 11वीं लोकसभा के सदस्य के रूप में चुने जाने के बाद से कभी चुनाव नहीं हारे थे. कांताबांजी से आया चौंकाने वाला रिजल्ट ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजों को सांसें थाम कर देखा जा रहा था. खासकर ओडिशा के कांताबांजी के चुनावी मैदान में. मतगणना 28 राउंड से अधिक समय तक चली और 4 जून की देर शाम को वहां से एक चौंकाने वाला परिणाम मिला. अजेय प्रतीत होने वाले नवीन पटनायक, जिन्होंने अपने शानदार राजनीतिक करियर में कभी हार का सामना नहीं किया था, को पहली हार का सामना करना पड़ा. उनको भारतीय जनता पार्टी के लक्ष्मण बाग ने करारी शिकस्त दी. लक्ष्मण बाग 15 साल पहले तक दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम कर रहे थे.  ये भी पढ़ें- इस लोकसभा चुनाव में कितने कैंडिडेट की जमानत जब्त? कितने का नुकसान, कहां जाता है ये पैसा बाग की जीत महज भाग्य का खेल नहीं लक्ष्मण बाग को 90,878 वोट मिले, जबकि पटनायक को कांताबांजी विधानसभा क्षेत्र में 74,532 वोट मिले. यानी लक्ष्मण बाग की जीत का अंतर 16,344 वोट का रहा. पटनायक के प्रभाव को देखते हुए, यह हार और इसका अंतर अकल्पनीय है. ‘द हिंदू’ की एक रिपोर्ट के अनुसार लक्ष्मण बाग की जीत महज संयोग या भाग्य का खेल नहीं है. लक्ष्मण बाग ने कांताबांजी निर्वाचन क्षेत्र में लगातार जरूरतमंद लोगों की मदद की और उनके अच्छे कामों ने उनकी शानदार जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. लक्ष्मण बाग का जन्म एक गरीब किसान परिवार में हुआ था, जो गुजारा करने के लिए संघर्ष कर रहा था.  ट्रक हेल्पर से लेकर मजदूरी तक की वे छह भाई-बहन थे. घर चलाने के लिए उन्होंने अपने परिवार के खेत पर काम किया. मामूली तनख्वाह पर एक ट्रक ड्राइवर के लिए हेल्पर का काम किया. पैसा कमाने के लिए लक्ष्मण बाग दिहाड़ी मजदूर तक बन गए. हालांकि उनके बारे में ऐसी अफवाह थी कि वह दूसरे राज्यों में लेबर भेजने के एजेंटों के लिए काम करते थे. लेकिन यह बात कभी साबित नही हो सकी. बाद में उन्होंने ट्रक खरीदा और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में सफल रहे. पिछले साल दाखिल किए गए इन्कम टैक्स रिटर्न में उन्होंने अपनी आय 4.89 लाख रुपये दिखाई है. ये भी पढ़ें- Explainer: ये कौन से 17 सांसद हैं जिन्हें अपने साथ मिलाना चाहेंगे मोदी राजनीतिक रूप से परिपक्वता दिखाई लक्ष्मण बाग ने राजनीति में पहला कदम 2014 के विधानसभा चुनाव में रखा. तब वह तीसरे स्थान पर रहे थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में वह महज 128 वोटों से हार गए. पटनायक की उम्मीदवारी की घोषणा करने से बहुत पहले, भाजपा उम्मीदवार ने पहले ही जमीनी कार्य कर लिया था और लगभग हर गांव का दौरा किया था, जिससे उन्हें फायदा हुआ. 48 वर्षीय बाग की जीत सिर्फ एक चुनावी उलटफेर से कहीं अधिक थी. बाग ने बीजू जनता दल सरकार द्वारा लागू रोजगार सृजन कार्यक्रमों के अप्रभावी होने पर जोरदार बहस छेड़ी. कांताबांजी से सीएम के नामांकन ने श्रमिक प्रवासन मामले को और तूल दे दिया. हालांकि पटनायक ने अपने अभियान के दौरान दो जनसभाएं कीं, लेकिन वे प्रवासी मजदूरों की पीड़ा को दूर करने की अपनी योजनाओं के बारे में मतदाताओं को समझाने में विफल रहे. लेबर मार्केट के तौर पर जाना जाता है यह क्षेत्र कांताबांजी को लेबर मार्केट के रूप में जाना जाता है जहां ईंट भट्ठा चलाने वाले अपेक्षाकृत कम मजदूरी पर मजदूरों को काम पर रखते हैं. कांटाबांजी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, जिसमें बलांगीर जिले के तुरीकेला, मुरीबाहल और बंगोमुंडा ब्लॉक शामिल हैं, ऐसे हजारों परिवारों का घर है, जो हर साल कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए दक्षिणी राज्यों में पलायन करते हैं. यह क्षेत्र पहले भी भूख से मौत और बाल तस्करी जैसे दुर्भाग्यपूर्ण कारणों से सुर्खियां बटोर चुका है. कांताबांजी में राजनीति श्रमिक मुद्दों के इर्द-गिर्द केंद्रित रही है. पहले भी यहां प्रभावशाली बिचौलियों से संबंध रखने वाले नेता जीतते रहे हैं. ये भी पढ़ें- नानाजी ने चुनाव में जिस रानी को हराया उसी ने दिया उन्हें घर भी, जानें क्या था बलरामपुर का वो वाकया बीजेडी के हाथ से फिसली सत्ता ओडिशा विधानसभा में इस बार बीजेपी ने बहुमत हासिल किया है. 146 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी ने 78 सीटें हासिल की हैं, जिससे उसे पहली बार ओडिशा में सरकार बनाने का मौका है. बहुमत के लिए उसे 74 सीटों की दरकार थी. बीजेडी 51 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही. बीजेडी यहां मार्च 2000 से सत्ता में थी. कांग्रेस ने 14 सीटें जीतीं जबकि चार सीटें अन्य के खाते में गईं. Tags: Naveen patnaik, Odisha Assemble Election, Odisha assembly election 2024, Odisha politicsFIRST PUBLISHED : June 7, 2024, 08:20 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed