जब संसद में लगा नोटों की गड्डियों का पहाड़1 करोड़ रु लेकर पहुंचे BJP के सांसद
जब संसद में लगा नोटों की गड्डियों का पहाड़1 करोड़ रु लेकर पहुंचे BJP के सांसद
16 साल पहले बीजेपी के तीन सांसद आखिर क्यों 1 करोड़ रुपयों के बंडल के साथ लोकसभा में पहुंचे. जब उन्होंने हाउस में अपनी टेबल पर इन नोटों का ढेर लगाया तो हंगामा ही आ गया.
हाइलाइट्स 22 जुलाई 2008 के दिन बीजेपी के तीन सांसद बड़े बैगों के साथ सदन में दाखिल हुए फिर उन्होंने अपनी टेबल पर नोट की गड्डियों का ढेर लगा दिया बाद में इस मामले की जांच हुई और मामला अदालत तक पहुंचा
ये 22 जुलाई 2008 का दिन था. संसद का मानसून सत्र चल रहा था. बीजेपी के तीन सांसदों ने जब तीन बड़े उठाए हुए लोकसभा में प्रवेश किया तो लोगों ने उनसे सवाल भी किया वो इतने बड़े बैग क्यों लेकर आए हैं. आखिर इसमें क्या है. थोड़ी देर बाद इन तीनों सांसदों ने जब बैग खोला जो पूरा संसद अचरज से भर गया. जब उन्होंने बैग से निकाल कर नोटों की गड्डियां टेबल पर रखनी शुरू की तो हंगामा ही मच गया कि ये आखिर हो क्या रहा है.
ये नोट 500 रुपए और 1000 रुपए की गड्डियों में थे. देखते ही देखते टेबल पर नोटों का ऊंचा सा ढेर लग गया. ये एक करोड़ रुपए थे. इतने रुपए संसद में पहली बार आए थे. हर कोई इन्हें देखकर हैरान तो था ही. हंगामा मचना शुरू हो गया था. सत्ता पक्ष और विपक्ष का शोरनुमा हंगामा शुरू हो चुका था.
जब टेबल पर नोटों की गड्डियों का पहाड़ बन गया
जब तीनों सांसदों ने सारे नोट टेबल पर रख दिए तो उन्होंने फिर एक बड़ा विस्फोट किया, जिसे सुनकर हर कोई हतप्रभ रह गया. पूरे सदन को सांप सूंघ गया. एकबारगी पूरा सदन सन्नाटे में आ गया.
फिर उन्होंने क्या धमाका किया
यह घटना तब की है जब यूपीए-1 सरकार को विश्वास मत का सामना करना पड़ा था. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए-1 सरकार को भारत-अमेरिका परमाणु समझौते पर वामपंथी दलों के समर्थन खोने के बाद विश्वास मत का सामना करना पड़ा. ऐसे में उसे बहुमत साबित करने के लिए विपक्षी सांसदों के समर्थन की जरूरत थी. कुल मिलाकर विश्वास मत हासिल करने के लिए 272 सांसदों की के समर्थन की जरूरत थी. 22 जुलाई 2008 के दिन बीजेपी के तीन सांसद एक करोड़ रुपए लेकर लोकसभा में पहुंचे, जब उन्होंने इसका प्रदर्शन किया तो पूरा सदन हतप्रभ रह गया. (image generated by ChatGpt)
कौन थे बीजेपी के वो तीन सांसद
बीजेपी के उन तीन सांसदों के नाम थे अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगोरा, जिन्होंने लोकसभा में एक करोड़ रुपए नकदी के बंडल टेबल पर रखकर दावा किया कि उन्हें यूपीए सरकार के सदस्यों द्वारा रिश्वत दी गई थी ताकि वो सरकार के विश्वास मत में उनका साथ दें. ये एक करोड़ रुपए उन्हें एडवांस के बतौर दिए गए जबकि 9 करोड़ रुपए और देने की बात कही गई.
बस इतना सुनते ही सदन में भारी हंगामा शुरू हो गई. कार्यवाही बाधित हो गई. विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर “काला धब्बा” कहा. सरकार ने आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया. इसे विपक्ष की साजिश बताया.
क्या हुआ इन नोटों का
ये घटना भारतीय लोकतंत्र के इतिहास की सबसे विवादास्पद घटनाओं में एक बन गई. हालांकि इसमें अभी बहुत कहानी बाकी थी. इन नोटों का क्या हुआ. क्या वाकई इन तीन बीजेपी सांसद सच कह रहे थे कि इन्हें नोटों का ये जखीरा रिश्वत के तौर पर दिया गया था. इसने राजनीतिक खरीद-फरोख्त के मुद्दे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी को उजागर किया.
फिर आगे क्या कार्रवाई हुई
अब सबसे बड़ा सवाल था कि क्या वास्तव इन तीनों सांसदों को रिश्वत दी गई. संसद की विशेष समिति ने इस मामले की जांच शुरू की. बाद में यह मामला दिल्ली पुलिस और सीबीआई को सौंपा गया. भाजपा ने एक मीडिया चैनल के साथ मिलकर स्टिंग ऑपरेशन किया. इस ऑपरेशन में दावा किया गया कि कांग्रेस के सहयोगी सांसद अमर सिंह (सपा) और अन्य नेताओं ने रिश्वत की पेशकश की थी.
अमर सिंह और कई नेताओं का नाम आया
सीबीआई ने मामले की जांच की. भाजपा सांसदों, कांग्रेस नेताओं, और अन्य दलों के नेताओं से पूछताछ की गई. 2011 में सीबीआई ने अमर सिंह और अन्य पर आरोप लगाए, लेकिन ठोस सबूतों के अभाव में मामला ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका. 2013 में, दिल्ली की एक अदालत ने अमर सिंह, भाजपा सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते और अन्य आरोपियों को जमानत दी. केस की लंबी प्रक्रिया के कारण इसमें कोई निर्णायक निष्कर्ष नहीं निकला
वो एक करोड़ रुपए कहां – कहां गए
2008 के “नोट फॉर वोट” मामले में जो ₹1 करोड़ रुपये संसद में लाए गए, उनका इस्तेमाल एक महत्वपूर्ण साक्ष्य के रूप में किया गया. संसद के सुरक्षा अधिकारियों ने तुरंत इन रुपयों को अपने कब्जे में ले लिया. फिर इन्हें दिल्ली पुलिस को सौंप दिया गया. मामले की जांच जब सीबीआई को सौंपी गई तो उसने इस नकदी को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया ताकि पता लगाया जा सके कि नोट असली हैं या नकली, इन्हें किस स्रोत से प्राप्त किया गया.
फिर इन ₹1 करोड़ रुपये को अदालत में साक्ष्य के रूप में पेश किया गया. अदालत ने इस नकदी को केस खत्म होने तक सुरक्षित रखने का आदेश दिया. इसे एक केस प्रॉपर्टी माना गया. इसे अदालत के निर्देश के तहत सरकारी ट्रेजरी में रखा गया. चूंकि यह मामला वर्षों तक चला. किसी ठोस निर्णय पर नहीं पहुंचा, इसलिए यह नकदी सरकारी ट्रेजरी में ही सुरक्षित रखी है. इस पर बाद में किसी ने दावा नहीं किया.
अगर मामला पूरी तरह से बंद हो जाता है. नकदी पर कोई दावा नहीं किया जाता, तो ऐसी नकदी अक्सर सरकारी संपत्ति (राजस्व) में बदल दी जाती है. इस रकम का भी यही हुआ.
बीजेपी के उन तीन सांसदों का क्या हुआ
बीजेपी के उन तीन सांसदों में अब केवल फग्गन सिंह कुलस्ते ही लोकसभा में बीजेपी के सांसद हैं. वह मंडला से सांसद हैं. पिछली यूपीए सरकार में वह राज्यमंत्री थे. अशोक अर्गल पांच बार भिंड और मुरैना से बीजेपी सांसद रहे. हालांकि वह अब भी मुरैना में सक्रिय हैं लेकिन अब सांसद नहीं हैं. महावीर फगोरा उदयपुर से बीजेपी के सांसद थे. वर्ष 2021 मेंं कोविड के चलते उनकी जान चली गई.
जब एक कांग्रेसी सांसद ने नकली नोट लोकसभा में लहराए
वर्ष 2013 में, भारतीय संसद में एक सांसद ने नकली नोटों का प्रदर्शन किया. वह सांसद कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी थे. उन्होंने लोकसभा में यह दिखाया कि भारत में नकली नोटों का कैसे प्रसार हो रहा है, खासकर ₹500 और ₹1000 के नोटों का.
अधीर रंजन चौधरी का कहना था कि उन्होंने संसद में नकली नोटों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए यह प्रदर्शन किया था. ताकि सरकार और संबंधित एजेंसियां इस गंभीर मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करें. नकली नोटों के प्रसार को रोका जाए.
एक साल पहले भी संसद में लहराई नोटों की गड्डी
वर्ष 2023 में राज्यसभा में कुछ सांसदों ने नोटों की गड्डियां दिखाईं. यह घटना 14 मार्च 2023 को हुई, जब तेलंगाना के सांसद के. कविता और कुछ अन्य विपक्षी नेताओं ने राज्यसभा में नोटों की गड्डियां दिखाईं. यह प्रदर्शन काले धन और भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर किया गया था.
सांसदों ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के तहत बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और काले धन का प्रसार हो रहा है, खासकर चुनावी धन के रूप में. सांसदों का कहना था कि भारतीय राजनीति में पैसे का अवैध प्रवाह बढ़ गया है. इस पर सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.
Tags: Abhishek Manu Singhvi, Indian currency, Indian Parliament, Lok sabha, Note ban, Parliament houseFIRST PUBLISHED : December 6, 2024, 15:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed