मर्ज ठीक नहीं हो रहा है तो अपनी दवाओं को चैक कर लीजिए कहीं वे नकली तो नहीं है

Jaipur News: राजस्थान में धड़ल्ले से नकली और सब स्टैंडर्ड दवाएं बिक रही है. औषधि नियंत्रण संगठन ने इसका खुलासा किया है. संगठन की ओर से दवाइयों के सैम्पल लेकर कराई जांच में 35 दवाओं में मर्ज को ठीक करने वाला कंटेंट ही नहीं मिला जबकि 100 सब स्टैंडर्ड पाई गई.

मर्ज ठीक नहीं हो रहा है तो अपनी दवाओं को चैक कर लीजिए कहीं वे नकली तो नहीं है
जयपुर. अगर लगातार दवाएं लेने के बाद भी आपका मर्ज ठीक नहीं हो रहा है तो एक बार अपनी दवाओं को चैक जरुर कर लीजिए. कहीं वे दवाएं नकली तो नहीं या फिर सब स्टैंडर्ड तो नहीं है. क्योंकि कई दवा निर्माता कंपनियां नकली दवाओं की सप्लाई कर खूब कमा रही है. राजस्थान में औषधि नियंत्रण संगठन की ओर पिछले एक साल के दौरान लिए गए सैम्पल की जांच में 35 दवाओं में कंटेंट ही नहीं मिला है तो 100 से ज्यादा दवाएं सब स्टैंडर्ड की पाई गई हैं. इन दवाओं को लेने से बीमारी तो ठीक नहीं हो रही है बल्कि ये स्वास्थ्य के लिए और खतरनाक साबित हो सकती हैं. गंभीर से गंभीर बीमारी हो या सामान्य सर्दी जुखाम. या फिर विटामिन की कमी ही क्यों ना हो डॉक्टर्स के प्रिस्क्रिप्शन के बाद हम सभी दवाएं लेते हैं. इस उम्मीद से कि ये दवाएं लेने के बाद बीमारी ठीक हो जाएगी. कई बार राहत नहीं मिलने पर हम दवाओं को चेंज भी करा लेते हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि बाजार में मिलने वाली दवाएं हमेशा असली नहीं होती है. कंपनियां नकली दवाएं ही धड़ल्ले से सप्लाई कर रही हैं दवाओं का कारोबार इतना बड़ा हो गया है कि कई दवा निर्माता कंपनियां नकली दवाएं ही धड़ल्ले से सप्लाई कर रही हैं. राजस्थान में इस साल में औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से की गई कार्रवाइयों में 35 दवाओं के अलग अलग बैच में दवा निर्माता कंपनी की ओर से घोषित किया गया कंटेंट ही नहीं मिला है. यानि जिस मर्ज के लिए दवा उपयोग में ली जानी है उस दवा में मर्ज के इलाज वाले घटक ही नहीं है. इस साल 100 से अधिक दवाएं सब स्टैंडर्ड पाई गईं आसान शब्दों में कहें तो वो दवा ही नकली है. इसी तरह इस साल अलग अलग दवाओं के सैम्पल की जांच में सामने आया है कि 100 से अधिक दवाएं सब स्टैंडर्ड पाई गई है यानि दवा निर्माता की ओर से बताए गए कंटेंट पूरे नहीं मिले हैं. राजस्थान स्टेट ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने बताया कि समय समय पर दवाओं के सैम्पल लेकर जांच की जाती है. नकली या सब स्टैंडर्ड पाए जाने पर दवाओं के उपयोग पर रोक लगाने के साथ ही स्टॉक वापस ले लिया जाता है. इसके साथ ही दवा निर्माता कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जाती है. सेम्पल जांच में यह सामने आया रिजल्ट साल 2020 में 29 दवाएं साल 2021 में 14 दवाएं साल 2022 में 4 दवाएं साल 2023 में 9 दवाएं साल 2024 में 35 दवाओं में कंटेंट निल पाया गया. जांच में सब स्टैंडर्ड पाई गई दवाएं साल 2021 में 171 दवाएं साल 2022 में 135 दवाएं साल 2023 में 192 दवाएं साल 2024 में 100 दवाएं सैम्पल की रिपोर्ट आने में करीब 60 दिन का समय लगता है औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से संदेहास्पद पाए जाने पर दवाओं के सैम्पल लिए जाते हैं. उनकी सरकारी लैब में ही जांच की जाती है. जांच में सैम्पल फेल होने पर कार्रवाई होती है. लेकिन दवाओं के सैम्पल की रिपोर्ट आने में करीब 60 दिन का समय लगता है. तब तक नकली या सब स्टैंडर्ड दवाओं की बिक्री हो जाती है. हाल ही में औषधि नियंत्रण संगठन की ओर से लिए गए सैम्पल में एलर्जी के लिए काम आने वाला एविल इंजेक्शन नकली पाया गया है. इसी तरह विटामीन की दवाओं में भी कंटेंट नहीं मिला है. ड्रग कंट्रोलग अजय फाटक ने बताया कि कुछ मामलों में सही रखरखाव नहीं होने के कारण भी दवाएं खराब हो जाती है. कुछ मामलों में दवाओं के उपयोग में रोक लग जाती है नकली और सब स्टैंडर्ड दवाओं की सप्लाई साल दर साल बढ़ती जा रही है. विटामिन, कैल्शियम, बुखार, एंटीबायोटिक, डायबिटीज, कफ सिरप और थाइराइड समेत अन्य दवाओं के सैम्पल फेल हो रहे हैं. कुछ मामलों में दवाओं के उपयोग में रोक लग जाती है. लेकिन कुछ मामलों में कार्रवाई होने तक दवाएं मरीज तक पहुंच जाती है. ऐसे में इस प्रकार की दवाओं से मरीज को राहत तो नहीं मिलती है बल्कि स्वास्थ्य और खराब जरुर हो जाता है. Tags: Big news, Latest Medical news, Medical departmentFIRST PUBLISHED : December 12, 2024, 16:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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