क्या है वेट बल्ब टेंपरेचर जिसके कारण वास्तविक से ज्यादा महसूस होता है तापमान

Wet Bulb Temperature : राजस्थान ही नहीं, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी गर्मी ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं. कई राज्य लू की चपेट में आ चुके हैं. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया हुआ है. ये हालात वेट बल्ब टेंपरेचर की स्थिति पैदा करते हैं. 

क्या है वेट बल्ब टेंपरेचर जिसके कारण वास्तविक से ज्यादा महसूस होता है तापमान
उत्तर भारत इस समय गर्म भट्टी की तरह तप रहा है. खासतौर से राजस्थान के कुछ जिलों में टेंपरेचर 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है. मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल राजस्थान का फलौदी राज्य का सबसे गर्म शहर है. यहां का टेंपरेचर 50 डिग्री के आसपास बना हुआ है. राजस्थान ही नहीं, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी गर्मी ने अपने रंग दिखाने शुरू कर दिए हैं. कई राज्य लू की चपेट में आ चुके हैं. मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया हुआ है. ये हालात वेट बल्ब टेंपरेचर की स्थिति पैदा करते हैं.  क्या है वेट-बल्ब टेंपरेचर 35 डिग्री सेल्सियस को इंसान के लिए सर्वाधिक वेट बल्ब टेंपरेचर माना गया है. अगर टेंपरेचर इससे ऊपर जाता है तो शरीर के पसीने का भाप बनने में या वाष्पीकृत होने में दिक्कत होती है. पसीना भाप न बन पाने की वजह से शरीर का टेंपरेचर बढ़ने लगता है. इससे हाइपरथर्मिया की नौबत आ जाती है. ये वो स्थिति है, जिसमें शरीर जितनी गर्मी छोड़ सकता है उससे ज्यादा अवशोषित या उत्पन्न करता है. शरीर गर्मी पैदा करने की तुलना में तेजी से खो देता है. यह एक मेडिकल इमरजेंसी है. जिसमें शरीर का टेंपरेचर खतरनाक रूप से कम हो जाता है. वेट-बल्ब टेपंरेचर गर्मी एवं ह्यूडिटी की वह सीमा है, जिसके आगे मनुष्य हाई टेंपरेचर को सहन नहीं कर सकता है. क्लाइमेट साइंटिस्ट श्नाइडर ने कहा, “यह वास्तव में जीवित रहने के लिए एक कठिन परिस्थिति है. आप वहां बैठे-बैठे ही मर सकते हैं.” कुछ जगहों पर वेट बल्ब थर्मामीटर ही काम आता है. (Photo- picryl) ये भी पढ़ें- Explainer: दुनिया में सबसे ज्यादा लोग हर साल किस धर्म में कन्वर्ट होते हैं? कौन सा रिलीजन सबसे तेजी से बढ़ रहा कहां से आया यह नाम वेट-बल्ब टेंपरेचर नाम कहां आया है. जैसे बीते काफी दिनों से रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है. ऐसे में पारा काफी ऊपर चला जाता है. जब गर्मी इतनी होती है कि इसे मापने के लिए सामान्य थर्मामीटर काम नहीं करता. यही कारण है कि खास वेट बल्ब थर्मामीटर इस्तेमाल होता है. इसमें पारा तो होता है, लेकिन ये गीले कपड़े से कवर किया जाता है. आमतौर पर मलमल का कपड़ा लिया जाता है और उसे ठंडे पानी से भरे बर्तन में डुबोकर रखते हैं. इससे जो तापमान लिया जाता है, वो हवा में नमी का संकेत देता है. इस आधार पर तय करने में आसानी होती है कि अपना रुटीन क्या रखना है या फिर किनके लिए ये खतरनाक हो सकता है. क्लाइमेट की स्टडी से पता चला है कि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान बढ़ेगा, गर्म हवा अधिक नमी धारण करने में सक्षम होगी. इसके परिणामस्वरूप, ह्यूडिटी बढ़ेगी और वेट-बल्ब टेंपरेचर में बढोतरी होगी. Explainer: भारत का एक शहर, जिसके नाम अब भी गाड़ियों की नंबर प्लेट जारी करता है पाकिस्तान; क्या है वजह गर्मी कम करने की जरूरत इंपीरियल कॉलेज लंदन में मौसम विज्ञानी फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन की गति को धीमा करने के लिए महत्वपूर्ण हस्तक्षेप के बिना, दमनकारी और खतरनाक गर्मी बनी रहेगी. उन्होंने कहा, “हमने दुनिया भर में हर जगह देखा है कि हर साल गर्मी के रिकॉर्ड टूट रहे हैं और गर्म होती जलवायु में हम बिल्कुल यही उम्मीद करते हैं. जब गर्मी की बात आती है तो जलवायु परिवर्तन एक वास्तविक गेम-चेंजर रहा है.” फ्रेडरिक ओटो ने कहा कि किसी भी वजह से धूप में ज्यादा समय बिताने वालों के लिए स्थिति अच्छी नहीं है. यह बड़े खतरे के समान है. या यूं कहें कि जानलेवा है. Tags: Climate Change, Extreme weather, Heat Wave, Minimum TemperatureFIRST PUBLISHED : May 27, 2024, 17:54 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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