स्मॉग और फॉग के बीच क्या है अंतर अक्सर लोग चकरा जाते हैं इसे समझ पाने में
स्मॉग और फॉग के बीच क्या है अंतर अक्सर लोग चकरा जाते हैं इसे समझ पाने में
इन दिनों उत्तर भारत में स्मॉग का कहर है. ठंड दस्तक दे चुकी है. हालांकि अभी इस सीजन का तगड़ा कोहरा नहीं नजर आया है. ठंड का मौसम दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत में स्मॉग भी लाता है और फॉग भी. क्या आपको दोनों का अंतर मालूम है.
हाइलाइट्स आमतौर पर जब ठंडी हवा धुएं और प्रदूषण के साथ घुल जाती है, तो धुएंदार स्मॉग बनता है. कोहरा प्राकृतिक मौसम संबंधी घटना है, जिसमें हवा में मौजूद पानी इसमें घुलकर चादर सा बनाती है स्मॉग की स्थिति में हवा में सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य विषैले पदार्थ होते हैं
दिल्ली-एनसीआर से लेकर पंजाब और हरियाणा तक इन दिनों आसमान में कई दिनों से धुआं – धुआं ही नजर आ रहा है नीचे आसमान दिखना बंद हो चुका है. सुबह से लेकर रात तक खुले में निकलने में नाक जलने जैसी धुएं की गंध घुस रही है. गला चोख हो जा रहा है. नवंबर की शुरुआत दिल्ली-एनसीआर में घने कोहरे नहीं बल्कि स्मॉग के साथ हुई है. पंजाब से लेकर उत्तर भारत तक यही स्थिति है. हर ठंड के सीजन में देश का उत्तरी इलाका स्मॉग की जबदस्त मार झेलने लगा है. सारे उपाय नाकाम हो चुके हैं. स्मॉग दरअसल खतरनाक है. सांस की बीमारियों के साथ कई गंभीर बीमारियों से त्रस्त कर सकता है.
मौसम बदलने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर बढ़ता दिख रहा है. हवा की क्वालिटी रेड जोन में है यानि सांस लेने में बहुत खतरनाक स्थिति. ऐसी स्थिति में जब आप सांस लेते हैं तो शुद्ध प्राणदायिनी हवा अंदर नहीं जाती बल्कि जहरीले तत्वों के साथ गले से लेकर फेफड़ों तक को संक्रमिक करने लगती है.
ये धुएंदार स्मॉगी मौसम धूप को निकलने नहीं देती. दूर की चीजों की विजिबिलिटी पर ये असर डालती है. हालांकि कई बार ये स्मॉग कोहरे की तरह लगता है. तो ये जान लीजिए कि ये कोहरा नहीं, बल्कि स्मॉग है. अक्सर लोग धुंध और कोहरे के बीच भी कंफ्यूज हो जाते हैं. ये भी हम आपको बताएंगे
‘स्मॉग’ है क्या
स्मॉग शब्द का इस्तेमाल 20वीं सदी की शुरुआत से हो रहा है. यह शब्द अंग्रेजी के दो शब्दों ‘स्मोक’ और ‘फॉग’ से मिलकर बना है. आमतौर पर जब ठंडी हवा धुएं और प्रदूषण के साथ घुल जाती है, तो धुएंदार स्मॉग बनता है. साल 1905 में स्मॉग शब्द चलन में आया. डॉ हेनरी एंटोनी वोयेक्स ने अपने पेपर में इसका जिक्र किया, जिसके बाद से ये टर्म कहा-सुना जाने लगा. ये कोहरा नहीं बल्कि स्मॉग है, जो नवंबर की शुरुआत से दिल्ली और एनसीआर को घेरने लगा है. ये सुबह से दिन बढ़ने के साथ और घना होता जाता है. इसमें निकलना सेहत के लिए बेहद खतरनाक है. इस स्थिति में खुले में निकलने से गुरेज करें. (news18)
स्मॉग बनने का दूसरा बड़ा कारण है प्रदूषण. आजकल हर बड़ा शहर वायु प्रदूषण से जूझ ही रहा है. कहीं उद्योग, धंधों और गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ तो कहीं चिमनियां, सब मिलकर हवा में बहुत सारा धुआं छोड़ रहे हैं.
कैसे बनता है स्मॉग
ये प्रदूषित गर्म हवा हमेशा ऊपर की ओर उठने की कोशिश करती है. लेकिन ऐसा नहीं हो पाता. तब ये धुएंदार प्रदूषित गरम हवा वातावरण की गर्म और ठंडी परतों के बीच रुक जाती है.इसी खास ‘उथल पुथल’ के कारण स्मॉग बनता है. यही कारण है कि गर्मियों के मुकाबले जाड़ों के मौसम में स्मॉग ज्यादा आसानी से बनता है.
क्या धुंध भी स्मॉग ही है
धुंध को स्मॉग भी कहा जाता है, ये कोहरे और प्रदूषण (धुएं) का ही मिश्रण होता है. यह दृश्यता को बहुत अधिक कम कर देता है. आमतौर पर शहरी क्षेत्रों में पाया जाता है. मतलब जब हम धुंध की बात करते हैं तो उसका आशय स्मॉग ही होता है. कुछ लोग कोहरे को भी धुंध कहते हैं, ये सही नहीं है.
स्मॉग या धुंध हमेशा वायु प्रदूषण के कारण बनता है, जिसमें हानिकारक रसायनों की उपस्थिति होती है. इसमें सल्फर डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और अन्य विषैले पदार्थ होते हैं.
पराली भी है एक वजह
पंजाब में हर साल इस समय एक करोड़ 80 लाख टन भूसा खेतों में जला दिया जाता है. ये कानूनन जुर्म है. पंजाब सरकार ने भूसा जलाने वाले किसानों के लिए सजा तय कर रखी है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक हर साल किसानों को इसके लिए जागरूक किया जाता है लेकिन उसका खास असर नहीं होता.
नासा की रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में हर साल जलाई जाने वाली पराली की वजह से और हवा की गति में गिरावट से एयर लॉक के हालात हो जाते हैं. यानी इससे होने वाला प्रदूषण स्मॉग में बदल जाता है. स्मॉग हर साल दिल्ली-एनसीआर की एक ऐसी समस्या बन गई है, जिसे किसी भी तरह दूर नहीं किया जा पा रहा. हर साल जाड़े के साथ स्मॉग की चादर भी लोगों को डराने लगती है. (फोटो Shutterstock)
इस बार कौन सी वजहें बताई जा रहीं
दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की वजह पराली तो है ही, साथ ही इलाके का अपने प्रदूषण उत्सर्जन है. निर्माण कार्यों से फैल रही जबरदस्त धूल, वाहनों और चिमनियों के धुएं से भी स्मॉग होता है.
फॉग यानि कोहरा क्या होता है
कोहरा एक प्राकृतिक मौसम संबंधी घटना है, जिसमें हवा में जलवाष्प संघनित होकर छोटी-छोटी पानी की बूंदों का निर्माण करती है. यह दृश्यता को कम कर देता है. जब हवा का तापमान और ओस बिंदु के बीच का अंतर 2.5 डिग्री सेल्सियस से कम होता है, तब कोहरा बनता है. यह आमतौर पर ठंडी रातों में होता है जब जमीन की सतह से गर्म हवा ऊपर उठती है, तब ये ठंडी हवा से मिलकर संघनित होती है. कोहरा सामान्य तौर पर हानिकारक नहीं होता है. इसे सांस लेना सुरक्षित माना जाता है. दिल्ली-NCR में अगले कुछ दिनों तक दिख सकता है धुंध का असर. (Image:PTI)
क्यों कोहरा ज्यादा घना होता है
कोहरा धुंध से घना होता है. अपेक्षाकृत ज्यादा वक्त तक रह सकता है क्योंकि इसमें पानी के कण धुंध से ज्यादा होते हैं. कोहरे में देख सकने की क्षमता एक हजार मीटर यानि एक किमी से कम हो जाती है, इसमें हवाई जहाज तो चल सकते हैं लेकिन सड़क पर गाड़ियां चलने के लिए ये आदर्श स्थिति नहीं होती. 50 मीटर से कम दृश्यता होते ही सड़क पर दुर्घटनाएं होने लगती हैं.
स्मॉग ला रहा आफत
धुंध की वजह से भी दुर्घटनाएं पिछले सालों में लगातार बढ़ी हैं. रोड ट्रांसपोर्टेशन मिनिस्ट्री के अनुसार 2014 में 16 लोगों की कोहरे की वजह से सड़क दुर्घटना में मौत हुई तो 2015 में ये 21, जबकि 2016 में बढ़कर 25 से ज्यादा हो गया. दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में ही आधे से ज्यादा दुर्घटनाएं और मौतें हुईं. ये सभी रिपोर्टेड मामले हैं यानी वही मामले हैं, जिनपर कोई पुलिस कार्रवाई हुई. मौतों के अलावा गंभीर दुर्घटनाएं इन आंकड़ों में शामिल नहीं हैं.
सेहत के लिए भी है खतरनाक
स्मॉग में पानी की बूंदों के साथ धूल और हवा में मौजूद जहरीले तत्व जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड और ऑर्गेनिक कंपाउंड मिलकर नीचे की तरफ ओजोन की गहरी परत बना लेते हैं. अब आप सोचेंगे कि ओजोन तो हमें अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाने वाली अच्छी परत है तो यह जान लें कि ओजोन तभी तक ठीक है जब वातावरण में ऊपर की ओर हो, जैसे ही यह ग्राउंड-लेवल पर आती है, सेहत के लिए बेहद खतरनाक हो जाती है.
– स्मॉग से होने वाले बड़े नुकसान
– खांसी, सांस लेने में तकलीफ
– आंखों में जलन
– ब्रॉन्काइटिस
– दिल की बीमारी
– त्वचा संबंधी बीमारियां
– बालों का झड़ना
– नाक, कान, गला, फेफड़े में इंफेक्शन
– ब्लड प्रेशर के रोगियों को ब्रेन स्ट्रोक की समस्या
– दमा के रोगियों को अटैक का खतरा
Tags: Air Pollution AQI Level, Air Quality, Delhi smog tower, Foggy weather, Smog towerFIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 19:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed