क्या है वो नियम 256 जिसके तहत राज्यसभा के 19 सांसद किए गए निलंबित
क्या है वो नियम 256 जिसके तहत राज्यसभा के 19 सांसद किए गए निलंबित
MP Suspended from Rajya Sabha : संसद के मॉनसून सत्र के दौरान सदन के वेल में प्रवेश करने और नारेबाजी के लिए राज्यसभा के 19 सांसदों (MP Suspended) को निलंबित किया गया है. इसमें तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक, टीआरएस, सीपीएम और सीपीआई के सदस्य हैं. इन्हें नियम 256 के जरिए निलंबित किया गया है. जानते हैं क्या है ये नियम
हाइलाइट्सराज्यसभा में निलंबन के दो नियम हैं एक है 255 और दूसरा 256- इनमें अंतर केवल अवधि का है राज्यसभा में निलंबित सदस्यों पर हंगामा करने और सदस्यों की आचरण संहिता को तोड़ने का आरोपसदस्यों से अपेक्षा की जाती है कि वो वेल में नहीं आएं और नारेबाजी भी नहीं करें
हंगामा करने के आरोप में राज्यसभा में 05 सियासी दलों के 19 सांसदों को एक सप्ताह के लिए निलंबित कर दिया गया है. इन्हें नियम 256 के तहत सस्पेंड किया गया है. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उसमें तृणमूल, द्रमुक, तेलंगाना राष्ट्र समिति, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्यसभा सदस्य शामिल हैं. क्या है ये नियम 256 जो सदस्यों के आचरण और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई को पारिभाषित करता है.
वैसे ये पहला मौका नहीं है जबकि सदन में हंगामे के कारण इस तरह की कार्रवाई की गई हो लेकिन ये शायद पहली बार हुआ है कि पिछले सत्र में हंगामे के चलते अगले सत्र में सासंदों पर ये कार्रवाई हुई हो. वैसे संसद में एकसाथ 63 सदस्यों को निलंबित करने का रिकॉर्ड है.
दरअसल राज्यसभा ने एक नोटिस भेजकर सूचित किया कि मानसून सत्र के आखिरी दिन कई दलों से 12 सांसदों ने ना केवल हंगामा किया बल्कि सुरक्षाकर्मियों के खिलाफ जानबूझकर हिंसा करने की कोशिश की. इसके बाद नियम नियम 256 के अनुसार सदस्यों को सत्र के बाकी बचे समय के लिए निलंबित कर दिया गया. संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. (File Photo)
संसदीय इतिहास में लोकसभा में सबसे बड़ा निलंबन 1989 में हुआ था. सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने पर हंगामा कर रहे थे. अध्यक्ष ने 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. निलंबित सदस्यों के साथ अन्य 04 सांसद भी सदन से बाहर चले गए.
नियम 256 जिससे हुआ निलंबन
1. यदि सभापति आवश्यक समझे तो वह उस सदस्य को निलंबित कर सकता है, जो सभापीठ के अधिकार की अपेक्षा करे या जो बार-बार और जानबूझकर राज्य सभा के कार्य में बाधा डालकर राज्य सभा के नियमों का दुरूपयोग करे
2. सभापति सदस्य को राज्य सभा की सेवा से ऐसी अवधि तक निलम्बित कर सकता है जबतक कि सत्र का अवसान नहीं होता या सत्र के कुछ दिनों तक भी ये लागू रह सकता है.
3. निलंबन होते ही राज्यसभा सदस्य को तुरंत सदन से बाहर जाना होगा
राज्यसभा में नियम 255 के तहत निलंबन कैसे होता है
– अगर सभापति को लगता है कि किसी सदस्य को व्यवहार घोर अव्यवस्थापूर्ण है तो वो उसे राज्य सभा से चले जाने का निर्देश दे सकता है. ये नियम के तहत निलंबन केवल उसी दिन के लिए लागू रहेगा. उसमें उस सदस्य को सदन से बाहर रहना होगा.
क्या ये निलंबन वापस भी हो सकता है
– हां, लेकिन ये भी राज्यसभा के सभापति की मर्जी पर होगा. निलंबित सदस्यों के माफी मांगने पर भी इसे वापस लिया जा सकता है. वैसे संस्पेंशन के खिलाफ प्रस्ताव भी सदन में लाया जा सकता है. अगर ये पास हो गया तो निलंबन खुद ब खुद हट जाएगा.
लोकसभा में निलंबन किस नियम से होता है
– लोकसभा में नियम 373 और 374 के जरिए स्पीकर ये अधिकार हासिल होता है.लोकसभा के नियम नंबर-373 के मुताबिक- अगर लोकसभा स्पीकर को ऐसा लगता है कि कोई सांसद लगातार सदन की कार्रवाई बाधित करने की कोशिश कर रहा है तो वह उसे उस दिन के लिए सदन से बाहर कर सकता है, या बाकी बचे पूरे सेशन के लिए भी सस्पेंड कर सकता है. इसी नियम के तहत लोकसभा से कांग्रेस के 04 सांसदों का निलंबन स्पीकर ओम बिरला ने किया है.
नियम 374 क्या कहता है?
अगर स्पीकर को लगता है कि कोई सदस्य बार-बार सदन की कार्रवाई में रुकावट डाल रहा है तो उसे बाकी बचे सेशन के लिए सस्पेंड कर सकता है
सांसदों के सस्पेंशन के कुछ चर्चित मामले
जनवरी 2019-स्पीकर सुमित्रा महाजन ने TDP और AIADMK के कुल मिलाकर 45 सांसदों को सस्पेंड किया था.
फरवरी 2014 –सदन में तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा देने या ना देने को लेकर बहस चल रही थी. इसी बीच बवाल करने वाले 18 सांसदों को स्पीकर मीरा कुमार ने सस्पेंड कर दिया था.
मार्च1989 – उस वक्त राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे. अनुशासनहीनता के मामले में 63 सां
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Tags: Rajya sabha, Rajya Sabha MP, SuspendedFIRST PUBLISHED : July 27, 2022, 10:54 IST