क्या है मनुस्मृति जातियों और महिलाओं पर क्या कहता हैअंबेडकर क्यों किया विरोध

हाल में मनुस्मृति को लेकर देश में कई जगहों पर प्रदर्शन हुए. इसे जलाने की कोशिश की गई. क्यों आखिर इसे लेकर विवाद पैदा होता रहता है. देश का बड़ा क्यों अक्सर इसके विरोध में खड़ा हो जाता है.

क्या है मनुस्मृति जातियों और महिलाओं पर क्या कहता हैअंबेडकर क्यों किया विरोध
हाइलाइट्स मनुस्मृति को मनुसंहिता के नाम से भी जाना जाता है इसे करीब 200 वर्ष ईसापूर्व लिखा गया था ये पिछली जातियों और महिलाओं के प्रति भेदभाव करता है मनुस्मृति को मनुसंहिता के नाम से भी जाना जाता है. इसकी रचना 200 ईसा पूर्व और 300 ईस्वी के बीच हुई. इसके 12 अध्यायों में 2,685 श्लोक हैं. ये हिंदू कानून और सामाजिक मानदंडों के लिए एक आधार का काम भी करती है. इसे प्राचीन भारत में समाज, धर्म, और कानून से संबंधित नियमों का संकलन माना जाता था. इसे संस्कृत भाषा में लिखा गया. ये श्लोकों के रूप में है. यह हिंदू धर्म में “धर्मशास्त्र” की श्रेणी में आता है. जानते हैं क्या है मनु स्मृति और इसकी खास बातें जाति व्यवस्था पर ध्यान- ये एक कठोर जाति पदानुक्रम पर जोर देती है, प्रत्येक वर्ण (सामाजिक वर्ग) के लिए विशिष्ट कर्तव्यों और विशेषाधिकारों का विवरण देता है, विशेष रूप से ब्राह्मणों और क्षत्रियों के पक्ष में जबकि वैश्यों और शूद्रों के लिए न्यूनतम मार्गदर्शन देता है. ये जाति व्यवस्था के बारे में बताती है. विभिन्न वर्णों (सामाजिक वर्गों) और लिंगों के लिए भूमिकाएं तय करती है. इसमें निर्धारित कानूनों के सख्त पालन के माध्यम से सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के उनके कर्तव्य पर जोर दिया गया है. मनुस्मृति पर आरोप है कि इसमें जाति व्यवस्था को मजबूत करने और दलितों एवं महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण प्रथाओं को वैधता देने की कोशिश करती है. आधुनिक समय में समानता और मानवाधिकारों की बात करते हुए लोग इसे भेदभाव का प्रतीक मानते हैं. विवाह – इसमें विवाह को मुख्य रूप से प्रजनन के लिए एक अनुबंध के रूप में बताया गया है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों के अधीन दिखाया गया है महिलाओं की भूमिकाएं – बकौल मनुस्मृति, महिलाओं से आज्ञाकारी होने और घरेलू कर्तव्यों को पूरा करने की अपेक्षा की जाती है; उनकी स्वायत्तता सीमित है. ये एक पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, यह निर्धारित करती है कि महिलाओं को अपने पूरे जीवन में पुरुष अभिभावकों – पिता, पति और पुत्र के नियंत्रण में रहना चाहिए. यह महिलाओं की घरेलू भूमिकाओं और आज्ञाकारिता पर जोर देती है. ये बात आधुनिक नारीवादी आंदोलनों के साथ टकराव का कारण बनती है धार्मिक कर्तव्य – मनुस्मृति आध्यात्मिक और सामाजिक व्यवस्था के लिए आवश्यक अनुष्ठानों और कर्तव्यों (धर्म) पर जोर देती है. यह धर्म के चार स्रोतों की पहचान करता है- वेद, परंपरा, सदाचार और व्यक्तिगत संतुष्टि- नैतिक और कानूनी संहिताओं को परिभाषित करने के लिए अधिक निर्देशात्मक दृष्टिकोण का सुझाव देती है. सांस्कृतिक प्रभाव – इसने सदियों से हिंदू पहचान और सांस्कृतिक प्रथाओं को महत्वपूर्ण रूप से आकार दिया है. अदालतों में इसे भारतीय संविधान के मूल्यों के खिलाफ माना गया है, जो समानता और स्वतंत्रता पर जोर देता है. न्याय और दंड विधान – मनुस्मृति में अपराध और दंड का वर्गीकरण जाति और सामाजिक स्थिति के आधार पर किया गया है. समान अपराध के लिए अलग-अलग जातियों के लिए अलग-अलग दंड का प्रावधान है.  इसे आधुनिक न्याय के सिद्धांतों के विपरीत माना जाता है. ये विवाह के बारे में क्या कहती है – मनुस्मृति के अनुसार, विवाह का उद्देश्य धर्म, संतान उत्पत्ति, और समाज में पवित्रता बनाए रखना है. मनुस्मृति में पुरुषों के लिए पत्नी चुनने के नियम दिए हैं. -पत्नी को उच्च कुल और समान वर्ण की होना चाहिए -शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ कन्या का चयन करना चाहिए – जिन कन्याओं का परिवार “शुद्ध” और सात पीढ़ियों से दोषमुक्त हो, उन्हें उपयुक्त माना गया है. – पत्नी सुंदर, सुसंस्कृत, और परिवार के प्रति समर्पित होनी चाहिए. मनुस्मृति में पुरुषों के लिए विवाह की आयु को स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है, लेकिन इसे उनके जीवन के गृहस्थ आश्रम में प्रवेश के समय (लगभग 25 वर्ष) से जोड़ा गया है. कन्या की उम्र कम होनी चाहिए (बाल विवाह का संकेत). मनुस्मृति में विवाह के आठ प्रकार बताए गए हैं, जिनमें से चार “धार्मिक” माने गए हैं और चार “अधार्मिक”: ब्राह्म विवाह: कन्या को योग्य वर को बिना किसी दहेज के देना. दैव विवाह: कन्या को यज्ञ कराने वाले ब्राह्मण को देना. आर्ष विवाह: वर के बदले उपहार या गाय लेकर कन्या का विवाह करना. प्रजापत्य विवाह: वर और कन्या के बीच समानता पर आधारित विवाह. गांधर्व विवाह: वर और कन्या की परस्पर सहमति से विवाह. आसुर विवाह: वर द्वारा कन्या के परिवार को धन देकर विवाह. राक्षस विवाह: जबरदस्ती विवाह करना. पिशाच विवाह: कन्या को धोखे या नशीले पदार्थ देकर विवाह. धार्मिक दृष्टिकोण से पहले चार प्रकार को श्रेष्ठ और बाद के चार को निंदनीय माना गया है. मनुस्मृति में पुरुषों के लिए एक पत्नी का पालन करने की सलाह दी गई है. हालांकि, विशेष परिस्थितियों में (जैसे संतान न होना) पुरुषों को दूसरी पत्नी रखने की अनुमति है. यदि किसी पुरुष की एक से अधिक पत्नियां हैं, तो पहली पत्नी को प्राथमिकता दी जाती है. मनुस्मृति में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि विवाह समान गोत्र में या निकट संबंधियों में नहीं होना चाहिए. विरोध क्यों होता है दलित आंदोलन और प्रगतिशील समूह इसे भारतीय समाज में असमानता की जड़ मानते हैं. इसके आलोचक इसे जलाने या निषेध करने की मांग करते हैं, जबकि कुछ इसे प्राचीन धरोहर मानते हुए बचाने की बात करते हैं. डॉ. अंबेडकर ने इसके बारे में क्या कहा डॉ. भीमराव अंबेडकर ने मनुस्मृति की कड़ी आलोचना की थी. 1927 में इसका सार्वजनिक दहन भी किया था. उन्होंने इसका विरोध कई कारणों से किया. – अंबेडकर ने मनुस्मृति को जातिवाद और सामाजिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला ग्रंथ माना. उन्होंने इसे दलितों और निचली जातियों के शोषण को संस्थागत करने वाला बताया. – मनुस्मृति में महिलाओं को पुरुषों के अधीन और उनके अधिकारों को सीमित करने वाले दृष्टिकोण का समर्थन किया गया है. अंबेडकर ने इसे पितृसत्तात्मक मानदंडों के खिलाफ एक गंभीर समस्या माना. – अंबेडकर का मानना था कि मनुस्मृति में निचली जातियों और महिलाओं को बुनियादी मानव अधिकारों से वंचित किया गया है, जिससे समाज में असमानता बढ़ी है. – उन्होंने मनुस्मृति को ब्राह्मणवादी विचारधारा का प्रतीक माना, जो अन्य जातियों पर ब्राह्मण वर्ग के प्रभुत्व को मजबूत करता है. यह सामाजिक समानता की दिशा में एक बड़ी बाधा थी. किसने लिखी मनुस्मृति मनुस्मृति का रचनाकार महर्षि मनु माना जाता है. इसे भारतीय धर्मशास्त्र का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है, जो विभिन्न धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक और न्यायिक नियमों के बारे में बताता है. महर्षि मनु को ब्रह्मा के मानस पुत्र के रूप में भी देखा जाता है. Tags: Caste System, Indian womenFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 15:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed