क्या होता है एयर पोटैटो जो जमीन के अंदर नहीं बल्कि हवा में होता है पैदा
क्या होता है एयर पोटैटो जो जमीन के अंदर नहीं बल्कि हवा में होता है पैदा
करीब काले रंग का ये आलू जमीन के अंदर पैदा नहीं होता. स्वाद में करीब आलू जैसा ही होता है. इसे एयर पोटेटो कहा जाता है. मूल तौर पर ये नाइजीरिया की उपज माना जाता है.
हाइलाइट्स ये गठिया आलू के तरह की वनस्पति, जो काले से कई रंग की ये उत्तराखंड और पहाड़ी इलाकों में पैदा होती है मूलरूप से एयर पोटेटो की पैदाइश नाइजीरिया की मानी जाती है
काले रंग का आलू जैसे आकार वाली ये सब्जी उत्तराखंड में बहुतायत में होती है और आलू की तरह ही खाई जाती है. इसे वहां एयरपोटैटो कहा जाता है. इसका स्वाद भी आलू जैसा ही होता है, बस थोड़ा सा कसैला। आप हैरान हो रहे होंगे कि ये कैसा आलू है. जो जमीन में नहीं बल्कि हवा में पैदा होता है और एक एक आलू एक पाव से आधा किलो का भी हो सकता है.
ये कैसे उगता है और खाने के अलावा क्या काम आता है, ये हम आपको आगे बताएंगे. वैसे इसे कई तरह से खाया जाता है. कुछ लोग इसे आलू की तरह सब्जी मानते हैं तो कुछ इसे फल की कैटेगरी में रखते हैं. बहुत से लोगों ने इसके बारे में ना तो सुना होगा और ना ही इसे खाया होगा.
क्यों कहते हैं हवाई आलू
एयर पोटैटो मुख्य तौर पर एशिया और अफ्रीका में होता है. इसे नाइजीरिया की मूल पैदाइश कहा जाता है. इसे हवाई आलू इसलिए कहते हैं क्योंकि ये जमीन के ऊपर लताओं पर उगता है. इसकी लताएं बहुत तेजी से बढ़ती हैं और मानसून के बाद तेजी से पैदा होने लगता है.इसकी सब्जी भी बनाई जा सकती है तो भूनकर भी खाया जा सकता है. साथ ही उबालकर भी.
उत्तराखंड और कोंकण बेल्ट में पैदा होता है
भारत में ये उत्तराखंड और पहाड़ी इलाकों में तो पैदा होता ही है साथ ही कोंकण बेल्ट में पैदा होता है. ये खाने में अगर इस्तेमाल होता है तो चिकित्सा में भी कई तरह से इस्तेमाल होता है. इसी सब्जी बनाई जाती है तो ये औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है. (photo – Sanjay Srivastava)
इसे गेठी भी कहते हैं
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में ये 2000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा होता है. इसे गेठी के नाम से भी जाना जाता है. आलू के आकार की दिखने वाली गेठी गर्म तासीर की होती है. पहाड़ों में बरसात के बाद अक्टूबर और नवंबर के महीने में यह बेलों में लगी देखने को मिल जाएंगी.
चरक संहिता में भी है जिक्र
गेठी का बॉटनिकल नाम डाओसकोरिया बल्बिफेरा है. इसके बारे में चरक संहिता में भी लिखा गया है. यह खांसी ठीक करने में लाभदायक है. इसमें ग्लूकोज और फाइबर काफी मात्रा में होता है. इसके चलते एनर्जी बूस्टर का भी काम करता है. इसमें कॉपर, आयरन, पोटेशियम, मैग्नीज भी होता है. यह विटामिन बी का अच्छा सोर्स है.
ठंड के आसपास बाजार में आता है
ठंड के आसपास ये बाजार में आने लगता है. तब इसकी 70 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच होती है. हालांकि अब इसकी पैदावार कम हो रही है. ये लुप्त भी हो सकता है.
कैसी होती हैं पत्तियां और बेल
इसकी पत्तियां तने के साथ बारी-बारी से व्यवस्थित होती हैं. लंबे डंठलों से जुड़ी होती हैं. पत्तियां कम से कम आठ इंच लंबी और लगभग उतनी ही चौड़ी हो सकती हैं. इसके अलावा, पत्तियां दिल के आकार की होती हैं. वैसे एयरपोटेटो एक बारहमासी बेल है.
दुनियाभर में कितनी प्रजातियां
पूरी दुनिया में गेठी की कुल 600 प्रजातियां मिलती हैं. ये काले के साथ गुलाबी, भूरे और हरे रंग के भी होते हैं. इसमें प्रचुर मात्रा में फाइबर मिलता है. इसका सेवन डायबिटिज, कैंसर, सांस की बीमारी, पेट दर्द, कुष्ठ रोग और अपच संबंधी समस्याओं में विशेष लाभदायी है.
हालांकि अमेरिका में कई जगह लोग इसे इसलिए खरपतवार भी मानते है, जो तेजी से फैलती है और दूसरी वनस्पति के ऊपर फैलकर उन्हें बर्बाद कर देती है. वहां तो इसे खत्म किया जा रहा है. ये ज्यादा फले फूले नहीं, इसकी कोशिश की जा रही है.
वैसे तो शकरकंद भी एक तरह का आलू ही है. इसे अंग्रेजी में स्वीट पोटेटो कहा जाता है. इसे आमतौर पर भूनकर या उबालकर खाते हैं. ये खाने में मीठा होता है.
Tags: Fresh vegetables, Potato expensive, Uttarakhand newsFIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 16:09 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed