कौन रहा सबसे लंबे समय तक केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर आज तक नहीं टूटा रिकॉर्ड

Sardar Swaran Singh: सरदार स्वर्ण सिंह 1952 से 1975 तक लगातार केंद्र में कैबिनेट मंत्री रहे. उनके नाम पर सबसे लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री रहने का रिकॉर्ड है. इस दौरान उन्होंने दो बार विदेश मंत्रालय की बागडोर संभाली. इसके अलावा रेलवे से लेकर रक्षा तक विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला. राजनीति में आने से पहले वह लेक्चरर और वकील भी रहे.

कौन रहा सबसे लंबे समय तक केंद्र में कैबिनेट मिनिस्टर आज तक नहीं टूटा रिकॉर्ड
Sardar Swaran Singh: अगर सरदार स्वर्ण सिंह की अहमियत समझनी हो तो आपको करीब पांच दशक पीछे जाना होगा. वह पहली बार उस समय कूटनीतिक सुर्खियों में आए जब 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध चल रहा था. उस समय भारत के रुख को समझाने के लिए स्वर्ण सिंह ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. संयुक्त राष्ट्र में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत जॉर्ज एच. डब्ल्यू. बुश ने भारत से बिना शर्त युद्धविराम की मांग की. स्वर्ण सिंह ने अमेरिका को करारा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिका का एकतरफा और पक्षपातपूर्ण रुख आश्चर्यजनक और चौंकाने वाला है. स्वर्ण सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत एक ऐसे राजनीतिक समाधान की मांग कर रहा है जो बांग्लादेश के लोगों के चुने हुए प्रतिनिधियों को स्वीकार्य हो.  स्वर्ण सिंह 1964 से 1966 और 1970 से 1974 तक भारत के विदेश मंत्री रहे. वह 1952 से 1975 तक लगातार कैबिनेट मंत्री रहे. 1952 में वह पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की सरकार में शामिल हुए थे. उसके बाद जब उन्होंने 1975 में सरकार छोड़ी तो उस समय इंदिरा गांधी  प्रधानमंत्री थीं. स्वर्ण सिंह के नाम पर सबसे लंबे समय तक कैबिनेट मंत्री रहने का रिकॉर्ड है. इस दौरान उन्होंने विदेश के अलावा रेलवे से लेकर रक्षा तक विभिन्न मंत्रालयों का कार्यभार संभाला.   अकाली दल से शुरू किया राजनीतिक करियर स्वर्ण सिंह 1930 के दशक में अकाली दल में शामिल हो गए थे. 1940 के दशक के मध्य तक वह एक प्रमुख नेता बन गए थे. 1940 के दशक की शुरुआत में उन्होंने कांग्रेस और अकाली दल के बीच समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 1946 के चुनावों से पहले स्वर्ण सिंह ने पंथिक पार्टी का गठन किया. इसके नेता बलदेव सिंह और उपनेता स्वर्ण सिंह थे. 1946 में वह पंजाब विधानसभा के सदस्य चुने गए फिर पंजाब गठबंधन सरकार के संसदीय सचिव बने. वह पंजाब विभाजन समिति के सदस्य थे. उन्होंने इस समिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 15 अगस्त 1947 को देश की आजादी के दिन उन्होंने पंजाब राज्य के गृहमंत्री के तौर पर शपथ ली.  ये भी पढ़ें- 5 दिन में 500 करोड़ कैसे बढ़ गई नायडू की बीवी की संपत्ति? क्या थी उनकी लव स्टोरी नेहरू लाए स्वर्ण सिंह को केंद्र में 13 मई 1952 को जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया. उसके बाद स्वर्ण सिंह ने केंद्र में 23 वर्षों तक कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया. वह अपनी प्रभावी बहस और बातचीत कौशल के लिए जाने जाते थे और कई भाषाओं के अच्छे जानकार थे. उन्होंने 1960 में भारत-चीन सीमा मुद्दे पर चीनी नेता चाउ-एन-लाई के साथ बातचीत में नेहरू की सहायता की और 1962-63 में पाकिस्तान के साथ छह दौर की वार्ता के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे. 1971 में पूर्वी पाकिस्तान मुक्ति युद्ध के दौरान बांग्लादेश मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उनकी बहस उल्लेखनीय थी. वह 1957, 1962, 1967 और 1972 में भारतीय संसद के निचले सदन लोकसभा के लिए चुने गए. हालांकि, उन्होंने नवंबर 1975 में सरकार से इस्तीफा दे दिया. सबसे लंबे समय तक मंत्री रहने का रिकॉर्ड स्वर्ण सिंह के नाम भारत में सबसे लंबे समय तक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री रहने का रिकॉर्ड है. हालांकि बाबू जगजीवन राम के नाम कैबिनेट मंत्री के रूप में अधिकतम अवधि तक, यानी लगभग 30 वर्षों तक रहने का रिकॉर्ड है. लेकिन स्वर्ण सिंह के नाम लगातार 23 साल तक कैबिनेट मंत्री रहने का रिकॉर्ड है. स्वर्ण सिंह भारत के विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं. इसके अतिरिक्त, वह दो बार राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बने. पहली बार 1969 में और फिर 1978 में. ये भी पढ़ें- Explainer: इस बार किस पार्टी से कितने मुसलमान बने सांसद? देखिये इंडिया और NDA गठबंधन का हाल किन-किन मंत्रालयों को संभाला कार्य, आवास और आपूर्ति -1952-1957 इस्पात खदानें और ईंधन -1957-1962 कृषि मंत्रालय – 1963-1964 रेलवे मंत्रालय – 1962-1963 विदेश मंत्रालय – 1964-1966 रक्षा मंत्रालय – 1966-1970 विदेश मंत्रालय -1970-1974 रक्षा मंत्रालय – 1974-1976 नेता बनने से पहले लेक्चरर और वकील बने स्वर्ण सिंह का जन्म 19 अगस्त 1907 को पंजाब के जालंधर जिले के शंकर गांव में हुआ था. वह एक जाट सिख परिवार से थे. उन्होंने अपनी इंटरमीडिएट की शिक्षा कपूरथला के रणधीर कॉलेज से पूरी की और फिर लाहौर के सरकारी कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उन्होंने फिजिक्स में डिग्री ली. इसके बाद, उन्होंने लायलपुर खालसा कॉलेज में  फिजिक्स के लेक्चरर के तौर पर काम किया. बाद में, उन्होंने लाहौर के सरकारी लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई की और 1932 में एलएलबी की डिग्री ली. फिर उन्होंने वकील के रूप में अपना करियर शुरू किया और जालंधर में अपनी प्रैक्टिस शुरू की. जब इसमें उनका मन नहीं लगा तो वह राजनीति में कूद पड़े. उसके बाद जो कुछ हुआ वो एक इतिहास है. Tags: Congress, Congress politics, Indira Gandhi, Jawahar Lal NehruFIRST PUBLISHED : June 11, 2024, 17:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed