संभल की जामा मस्जिद का ASI सर्वे क्यों हुआ नियम है या लोगों की डिमांड पर हुआ
संभल की जामा मस्जिद का ASI सर्वे क्यों हुआ नियम है या लोगों की डिमांड पर हुआ
Sambhal Voilence: संभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर हिंसा ऐसी भड़की, जिसकी आग अब तक सुलग रही है. पुलिस और उपद्रवियों की जंग में चार लोगों की मौत हो गई. मस्जिद को लेकर दावा है कि यहां पहले हरिहर मंदिर था. इसे लेकर ही कोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया.
नई दिल्ली: संभल की जामा मस्जिद में सर्वे को लेकर बीते दिनों हिंसा भड़की. यूपी में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति आ गई. जामा मस्जिद बनाम हरिहर मंदिर विवाद में चार लोगों की मौत हो गई. पूरे इलाके में तनाव है. इंटरनेट बैन है. कदम-कदम पर पुलिस का पहरा है. बाजारें खुली हैं, मगर मातम पसरा है. संभल जामा मस्जिद पर सियासत भी खूब तेज है. संभल के गुनहगारों की तलाश अब भी जारी है. जामा मस्जिद में एएसआई सर्वे अदालत के आदेश पर हुआ. बावजूद इसके यह सर्वे अब सवालों के घेरे में है. सवाल उठाने वाले लोग प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाले दे रहे हैं. कह रहे हैं कि जब कानून है कि 1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस स्थिति में हैं, वे अपने स्थान पर ही रहेंगे. तो फिर ये सब क्यों. ऐसे में सवाल है कि आखिर संभल जामा मस्जिद की एएसआई सर्वे कैसे हुई, किस आधार पर यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट यहां लागू नहीं हुआ.
संभल की जामा मस्जिद कांड पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. कुछ लोगों का कहना है कि लोगों के डिमांड पर सर्वे हो रहे हैं. दलील है कि जब प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धार्मिक स्थलों पर लागू है तो फिर सर्वे क्यों करवाया जा रहा? इस मस्जिद से मंदिर में बदलने की बात क्यों हो रही? इस आर्टिकल में इसे ही समझने की कोशिश करेंगे. यह सच है कि कानून कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता. यह कानून बाबरी मस्जिद और अयोध्या राम मंदिर विवाद के आलोक में बना था. मगर इसमें एक पेच है. उसी की वजह से जब एएसआई सर्वे की मांग का मामला अदालत में जाता है तो अदालतें सर्वे का आदेश देती हैं.
कहां लागू नहीं होता प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट
दरअसल, एएसआई वाली साइट्स पर प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है. नियम है कि जो भी चीज एएसआई प्रोटेक्टेड साइट है, वहां पर सर्वे हो सकता है, चाहे वह मस्जिद हो या मंदिर. यही वजह है कि कोर्ट उन जगहों पर सर्वे की मंजूरी देता है, जो पहले से एएसआई प्रोटेक्ट साइट होती है. संभल वाले जामा मस्जिद वाले केस में भी यही है. जामा मस्जिद एक धार्मिक स्थल है. यहां पर प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू होता, मगर पेच यह है कि यह एक एएसआई संरक्षित स्मारक है.
नियम या डिमांड पर एएसआई सर्वे?
जामा मस्जिद एक संरक्षित स्मारक है. इसे 22 दिसंबर, 1920 को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 3, उप-धारा (3) के तहत अधिसूचित किया गया था. इसे ‘राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया गया है. यह एएसआई, आगरा सर्कल मुरादाबाद डिवीजन की वेबसाइट पर’ केंद्र की संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल है. यही वजह है कि जामा मस्जिद के सर्वे की मंजूरी मिली. अगर यह मस्जिद एएसआई की प्रोटेक्टेड मोनूमेंट वाली लिस्ट में नहीं रहती तो यहां सर्वे हो ही नहीं सकता था. ऐसी स्थिति में यहां प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू होता. केवल अयोध्या केस ही अपवाद था. अयोध्या में प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू था. बाबरी मस्जिद एएसआई की प्रोटेक्टेड साइट की लिस्ट में नहीं थी. इसका जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में किया था.
संभल जामा मस्जिद में एएसआई सर्वे क्यों?
उत्तर प्रदेश में संभल स्थित जामा मस्जिद में सर्वे का काम अदालत के आदेश पर हुआ. अदालत ने ही जामा मस्जिद का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. तभी पिछले मंगलवार को जामा मस्जिद का सर्वे किया गया. एएसआई सर्वे के पक्ष वाले हिंदू पक्ष का दावा है कि जामा मस्जिद पहले श्री हरिहर मंदिर था. हिंदू पक्ष का तर्क है कि बाबरनामा और अबुल फजल की किताब ‘आइन-ए-अकबरी’ में भी हरिहर मंदिर के विनाश की बात है. संभल जामा मस्जिद का पहले सर्वे 19 नवंबर को स्थानीय अदालत के आदेश पर किया गया. दूसरा सर्वे 24 नवंबर को हुआ. उसी दिन हिंसा भड़की थी.
Tags: Sambhal, Sambhal News, UP newsFIRST PUBLISHED : November 27, 2024, 14:43 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed