नाम बदला है जाने का खर्च नहीं खूबसूरती ऐसी कि एक बार जरूर जाना चाहिए
नाम बदला है जाने का खर्च नहीं खूबसूरती ऐसी कि एक बार जरूर जाना चाहिए
कभी कालापानी कहा जाने वाले पोर्ट ब्लेयर का नाम बदल कर श्री विजयपुरम कर दिया गया है. घूमने और छुट्टियां मनाने के लिए ये बेहद सुंदर जगह है. यहां जाने का किराया अधिक है, फिर भी जीवन में एक बार जाना जरूर चाहिए.
हाइलाइट्स कुदरती सुंदरता में दुनिया के किसी टूरिस्ट स्पॉट से कमतर नहीं दुनिया भर से पोर्ट ब्लेयर आते हैं सैलानी, एडवेंचर स्पोर्ट भी उपलब्ध ऐतिहासिक सेल्यूलर जेल भी यहीं है, जो काला पानी के नाम से कुख्यात थी
हिंद महासागर के उत्तर पूर्वी छोर पर स्थित अंडमान और निकोबार द्वीप समूह घूमने की एक शानदार जगह है. यहां कुदरती सुंदरता का भंडार है. इसी द्वीप पर काला पानी की सजा वाली सेल्युलर जेल है. इसे केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा है. इसी की राजधानी का नाम बदल कर मोदी सरकार ने अब श्री विजयपुरम कर दिया है. जंगे आजादी के दौर में आजादी के लिए लड़ने वाले योद्धाओं को यहीं की सेल्युलर जेल में भेजा जाता रहा है. इसे कालापानी भी कहा जाता है.
गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स (ट्विटर) पर अपने पोस्ट में लिखा है कि गुलामी के सभी प्रतीकों से मुक्ति दिलाने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प से प्रेरित होकर पोर्ट ब्लेयर का नाम अब से श्री विजयपुरम करने का फैसला लिया गया है. कुदरत की नैसर्गिक सुंदरता वाले इस द्वीप समूह का इतिहास मराठा शासकों से भी जुड़ा रहा है.
मराठ शासकों के कब्जे में रहा
मराठा शासकों ने यहां 17वीं शताब्दी में यहां कब्जा कर लिया था. बाद में अंग्रेजों के शासन में ये द्वीप समूह भी उनके कब्जे में आ गया. इसी के दक्षिणी हिस्से को अंग्रेजों ने पोर्ट ब्लेयर नाम से विकसित किया. इसका नाम एक अंग्रेज लेफ्टिनेंट आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर 1789 में इसका नाम पोर्ट ब्लेयर रखा गया. बंगाल में हुकूमत कर रही ईस्ट इंडिया कंपनी ने यहां एक पैनल कॉलोनी स्थापित की. इसका निर्माण तूफानों में फंसे जहाजों को राहत देने के लिए किया गया था.
अंग्रेजों ने पैनल कॉलोनी बसाई
बाद में इस कॉलोनी को उत्तरी हिस्से में शिफ्ट किया गया. इसे एडमिरल विलियम कार्निवाल के नाम पोर्ट कार्निवालिस का नाम दे दिया गया. दोनों मिल कर पोर्ट ब्लेयर हो गए. हालांकि इस शिफ्टिंग की प्रक्रिया में बहुत सारे लोग मारे गए और अंग्रेजों को इसे 1796 में रोकना पड़ा.
1857 क्रांति के बाद अंग्रेजों ने जेल बनाई
1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों को लगा कि यहां एक बड़ी जेल बनाई जा सकती है. जिसमें कैद में रखे गए बंदियों को मनमाने तरीके से रखा जा सकता है. लिहाजा बिना संसाधनों वाली इस जगह पर 1897 में जेल का निर्माण शुरू किया गया. इसमें सात ब्रांचेज में कुल 694 कोठरियां बनवाई गई. हालांकि समय के थपेड़ों से जूझते इस समय जेल के तीन हिस्से ही बचे हैं.
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान ये इलाका 1942 से 45 तक तीन सालों के लिए जापान के कब्जे में चला गया था. बाद में फिर ये भारत के पास आ गया.
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कालापानी की स्मृति और जाने का तरीका
इस जेल को भारत में कालापानी के तौर पर जाना जाता है. इसकी वजह ये थी कि यहां भेजे गए लोगों का बचना तकरीबन मुमकिन नहीं होता था. वे काल के गाल में ही चले जाते थे. साथ ही उनका शेष भारत से किसी तरह का संपर्क नहीं रह जाता था. अब जेल देखने भी बहुत सारे लोग जाते हैं और अपनी आजादी के लिए शहीद हुए लोगों को अकीदत पेश करते हैं. सरकार की ओर से जेल पर लाइट एंड साउंड शो भी किया जाता है, जो बहुत रोचक और जीवंत है.
इस पूरे इलाके की नैसर्गिक सुदंरता बेमिसाल है. इस कारण देश विदेश के सैलानियों का यहां आना होता रहता है. यहां जाने के लिए हवाई मार्ग का ही प्रयोग ज्यादा होता है. पानी के जहाज से भी कोलकाता से जाया जाता है, लेकिन उसमें समय अधिक लगता है. इंडिगो और एयर इंडिया के जहाज दिल्ली से वहां जाते है और आम तौर पर एक तरफ से किराया 10 से 11 हजार रुपये होता है. पोर्ट ब्लेयर में ठहरने के लिए बहुत अच्छे होटल और रिसॉर्ट हैं. ये अपेक्षाकृत सस्ते हैं. आम तौर पर वहां दो से तीन हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से ठहरने की जगह मिल सकती है. जबकि सरकार कोलकाता से पोर्ट ब्लेयर अब श्री विजयनगर के लिए क्रूज भी चलाती हैस लेकिन इसके जरिए वहां पहुंचने में तीन से चार दिन तक लग जाते हैं. इसका खर्चा ढाई से साढे़ दस हजार रुपये तक आता है. क्रूज में मनोरंजन के तमाम साधन भी हैं. पोर्ट ब्लेयर में तमाम तरह के एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी आनंद लिया जा सकता है. इसका भी खर्च बहुत अधिक नहीं है.
Tags: Andaman and Nicobar, Best tourist spotFIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 16:06 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed