पीएम मोदी की तरह आप भी घर पर पाल सकते हैं ये नन्ही गाय कौन सी है नस्ल
PM Modi Punganur Cow: पीएम आवास पर पली हुई एक पुंगनूर गाय ने बछड़े को जन्म दिया है. पीएम मोदी ने इस बछड़े का नाम दीपज्योति रखा है. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट शेयर कर ये जानकारी दी है. पुंगनूर एक दुर्लभ किस्म की नस्ल है. यह गाय कद में काफी छोटी होती है, लेकिन इसका दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है.
आंध्र प्रदेश की है ये गाय
पुंगनुूर नस्ल की यह गायें बहुत सुंदर होती हैं. जो इन्हें देखता है उसका मन मोह लेती है. यह दुनिया की सबसे छोटी (कद में) होती है. यह एक देसी गाय है, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पायी जाती हैं. पुंहनुर नस्ल की यह गायें अब विलुप्त होने के कगार पर हैं. लेकिन अब इस नस्ल को बचाने की कोशिश की जा रही है. इस नस्ल की गाय ने पहली बार तब पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था, जब मकर संक्रांति के मौके पर पीएम मोदी ने इनका दीदार कराया था.
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केवल ढाई फीट होता है कद
पुंगनूर गायें सामान्य गायों की तुलना में बहुत छोटी होती हैं. यह एक दुर्लभ प्रजाति की गाय है. इसका नाम आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के शहर पुंगनूर पर रखा गया है. पुंगनूर गाय सफेद और हल्के भूरे रंग की होती है. जिनका माथा काफी चौड़ा और सींग छोटे होते हैं. पुंगनूर गाय की औसत ऊंचाई ढाई फीट से तीन फीट के बीच होती है, वहीं, इस गाय का अधिकतम वजन 105 से 200 किलोग्राम तक होता है.
देती है कितना दूध
यह गाय रोजाना 3 लीटर तक दूध देती है. इनके दूध में कई औषधीय गुण भी होते हैं. इसीलिए इन गायों का जिक्र पुराणों में भी मिलता है. पुंगनूर गाय के दूध की खास बात यह है कि इसमें 8 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है. जबकि अन्य गाय के दूध में फैट केवल 3 से 5 प्रतिशत ही फैट होता है. इसके अलावा पुंगनूर गाय के मूत्र में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. इसका इस्तेमाल आंध्र प्रदेश के किसान फसलों पर छिड़काव के लिए करते हैं. ताकि फसलों का कीड़े-मकोड़ों से बचाव हो सके.
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विलुप्त होने की कगार पर
लाइवस्टॉक जर्नल के मुताबिक किसानों द्वारा क्रॉस ब्रीडिंग के कारण पुंगनूर गाय विलुप्त होने की कगार पर है. यानी अन्य नस्लों के साथ मिलन कराए जाने की वजह से पुंगनूर की मूल नस्ल विलुप्त होने के करीब पहुंच गई है. फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन और एनिमल जेनेटिक्स रिसोर्स ने इसे संकटापन्न नस्लों में शामिल किया है. द हिंदू की एक रिपोर्ट के मुताबिक गनावरम में एनटीआर यूनिवर्सिटी ऑफ वेटेरीनरी साइंस के वैज्ञानिक इस गाय को विलुप्त होने से बचाने के लिए रिसर्च कर रहे हैं और उन्होंने इसे संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है. साल 2013 की पशुधन रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश में पुंगनूर गायों की संख्या महज 2772 थीं. लेकिन अब कई रिसर्च सेंटर द्वारा इसका संरक्षण किए जाने के कारण अब इनकी संख्या में इजाफा हुआ है. हालांकि इनकी वास्तविक संख्या कितनी है, इसका कोई सटीक आंकड़ा नहीं है.
दक्षिण भारत में स्टेट्स सिंबल
पिछले कुछ सालों में इस गाय को पालने को लेकर लोगों में जागरूकता आई है. दक्षिण भारत में इसे पालना अब स्टेट्स सिंबल बनता जा रहा है. आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एन. किरणकुमार रेड्डी, तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के चेयरमैन एन हरिकृष्ण समेत कई बड़ी हस्तियां इस गाय को अपने घर में पाल रहे हैं. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के पास भी कई पुंगनूर गायें हैं. इस गाय को अच्छे भाग्य का प्रतीक भी माना जाता है. इसीलिए इन गायों की कीमत बढ़ती जा रही है.
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लाखों में है कीमत
पुंगनूर गाय की कीमत एक लाख रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक होती है.ये माना जाता जाता है कि पुंगनूर गाय की आयु जितनी कम होगी, उसकी कीमत उतनी ही अधिक होगी. कम संख्या होने की वजह से इसकी कीमत अधिक है. इसकी कीमत काफी ज्यादा होने की वजह से इन गायों में धांधली के मामले भी होने लगे हैं. आजकल किसी अन्य नस्ल की गायों को भी पुंगनूर बताकर बेचा जा रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि क्योंकि कीमती गाय है इसलिए यह पहचान करना भी जरूरी है कि ये शुद्ध नस्ल की हों. उन्होंने पशुप्रेमियों को सावधान करते हुए कहा कि बिना किसी पशु वैज्ञानिक के इनकी पहचान करना कठिन है.
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