कैंसर डायबिटीज नहीं दर्जनों बीमारियां अभी लाइलाज क्या हैं येक्यों दवा नहीं

दुनिया में साइंस ने भले चाहे जितनी तरक्की कर ली हो. कोरोना जैसी महामारी को हमने हरा दिया हो लेकिन दुनिया में अब भी एक दर्जन से कहीं ज्यादा गंभीर ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज दशकों से नहीं खोजा जा सका है. साइंटिस्ट की लाख कोशिशों और रिसर्च के बाद भी इन बीमारियों पर काबू पाना बाकी है.

कैंसर डायबिटीज नहीं दर्जनों बीमारियां अभी लाइलाज क्या हैं येक्यों दवा नहीं
हाइलाइट्स इनकी रोकथाम जरूर संभव है लेकिन इलाज का कोई रास्ता अभी नहीं इसमें सर्दी जुकाम जैसे मामूली बीमारी है तो त्वचा और सांस से संबंधित कई बीमारियां पोलियो को रोकने का भी बस टीका, अगर ये बीमारी हो जाए तो इसका इलाज नहीं मानव सभ्यता की शुरुआत के बाद से ही, नई बीमारियां समय-समय पर पैदा होतीू और बढ़ती रही हैं. आज जो बीमारियां मामूली लगने लगी हैं, वो भी एक जमाने में खतरनाक मानी जाती थीं और ये माना जाता था कि इनका कोई इलाज नहीं है. लेकिन चिकित्सा विज्ञान की तरक्की के साथ इन्हें जड़ से ठीक करने की दवाइयां और तरीके भी आ गए.लेकिन अब भी कई ऐसी बीमारियां हैं, जो लाइलाज हैं, उनकी बीमारी को खत्म करने का इलाज नहीं है. अलबत्ता उनमें से कुछ की बढ़त को रोका जरूर जा सका है. जानते हैं कि वो बीमारियां कौन सी हैं, जो अब भी विज्ञान खासकर चिकित्सा विज्ञान के लिए चुनौती बनी हुई हैं. इनकी रोकथाम जरूर संभव है लेकिन इलाज का कोई रास्ता अभी नहीं है. यहां उन खतरनाक बीमारियों की जानकारी है जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता. अस्थमा- अस्थमा ब्रोन्कियल ट्यूबों को सूजन और जलन के प्रति अतिसंवेदनशील बनाता है. इसका इलाज करने का कोई तरीका नहीं है. अस्थमा की संभावना को रोकने के तरीके जरूर हैं. एड्रोनोकोर्टिकल कार्सिनोमा-कैंसर का एक रूप जो एडरीनल ग्रंथि में होता है और इसमें कोई निश्चित इलाज नहीं होता. अल्जाइमर- बीमारी जो स्मृति और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक तत्वों को नष्ट कर देती है. अमीयोट्रोफिक पार्श्व स्केलेरोसिस- मोटर न्यूरॉन रोग या लो जेरिग्स रोग के रूप में भी जाना जाता है. गठिया- गठिया एक ऐसी स्थिति है जहां आप जोड़ दर्द महसूस करते हैं. कोई ज्ञात इलाज नहीं है, लेकिन उपचार में सहायता मिलती है. सेरेब्रल एमाइलॉइड एंजियोपैथी- शरीर की रक्त वाहिकाओं में एक बीमारी है जिससे दिमाग की नसें फट सकती हैं. इसमें तेज सिरदर्द होते हैं. सर्दी जुकाम- आम सर्दी का इलाज बहुत अधिक बार बदला जा चुका है लेकिन कोई सटीक निष्कर्ष नहीं निकला. क्रुतज़ेल्डट-जेकोब बीमारी- यह एक न्यूरो सिस्टम से जुड़ा रोग है. इस रोग के लिए कोई इलाज नहीं है लेकिन संक्रमित होने की संभावना को कम करने के लिए व्यापक प्रयास किए गए हैं. सियालिक रोग- ऑटोइम्यून डिसऑर्डर और जीर्ण सूजन रोग है. सेलेकिक रोग पेट और छोटी आंतों की सूजन का कारण बनता है. लगातार एक्सपोजर के बाद, आंतों में विली को कम किया जा सकता है जो आंतों की परत को कमजोर करता है. डिस्मोप्लास्टिक लघु- कोशिका ट्यूमर – एक दुर्लभ कैंसर जिसका कोई मानकीकृत उपचार या इलाज नहीं है. मधुमेह – मधुमेह एक सामान्य विकार है जो शरीर को इंसुलिन का उत्पादन और उपयोग करने की क्षमता को कम करता है. इसके लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन इसे नियंत्रित करने में मदद करने के लिए प्रभावी उपचार योजनाएं हैं. इबोला वायरस – कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. दो संभावित टीकों पर डब्लूएचओ मूल्यांकन कर रहा है. ग्लियोब्लास्टोमा- सबसे घातक मानव मस्तिष्क ट्यूमर. वर्तमान में कोई उपचारात्मक उपचार उपलब्ध नहीं है. हरपीज- हरपीज बहुत आम है और जननांग के दर्द और घावों से प्रभावित संक्रमण है. यह यौन संचरित बीमारी है. एचआईवी एड्स को खत्म करने पर तीन चार दशक से काम चल रहा है लेकिन अब तक उससे निपटने की कारगर दवा नहीं मिली है. Image: Canva एचआईवी / एड्स – एड्स के लिए कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाएं मौजूद हैं जो इसके लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं. लोशेन प्लिनस- कलाई और टखनों पर खुजली वाली लाल-लाल रंग के घाव होने लगते है. कारण अज्ञात है, लेकिन यह एक प्रारंभिक ट्रिगर के साथ एक ऑटोइम्यून प्रक्रिया का परिणाम माना जाता है. कोई इलाज नहीं है, लेकिन लक्षणों को नियंत्रित करने के प्रयास में कई अलग-अलग दवाएं और प्रक्रियाएं उपयोग की गई हैं. मारबर्ग वायरस – यह वायरस बहुत घातक है और इसमें कोई इलाज नहीं उपलब्ध है. मल्टीपल स्केलेरोसिस – इसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में तंत्रिका कोशिकाओं का इन्सुलेट कवर क्षतिग्रस्त हो जाता है. जिसके परिणामस्वरूप शारीरिक, मानसिक और कभी-कभी मानसिक समस्याओं सहित कई और लक्षण उत्पन्न होते हैं. मैस्टेनिआ ग्रेविस – मांसपेशियों की कमज़ोरी जो उतार-चढ़ाव पर रहती है. परिश्रम से बिगड़ती है, और आराम से सुधार करती है. कोई ज्ञात इलाज नहीं है. पार्किंसंस रोग- केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक विकार जो शरीर को प्रभावित करता है, इसमें अक्सर झटके शामिल होते हैं. प्रोजेरिया –प्रोगेरिया का कोई इलाज नहीं है और बहुत ही कम मात्रा में उपचार होते हैं. पोलियो – पोलियो को रोकने के लिए एक टीका है, लेकिन इसके लिए कोई ज्ञात इलाज नहीं है. सोरायसिस – सोरायसिस एक ऑटो-इम्यून रोग है जो त्वचा को प्रभावित करता है. इसका इलाज और दवा के साथ कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है. ऑस्टियोपोरोसिस – एक बीमारी जो आपके शरीर में हड्डियों को कमजोर करती है. यह बहुत आम है और कोई ज्ञात इलाज नहीं है. रेबीज -रेबीज से तुरंत बचाव हो सकता है लेकिन अगर नहीं हो पाया तो कोई ईलाज नहीं. स्कीज़ोफ्रेनिया – इस मानसिक रोग का कोई निश्चित इलाज नहीं है. पार्श्वकुब्जता –रीढ़ की हड्डी का एक बग़ल में वक्रता स्पिनोसेरबेलर अटेक्सिया – यह एक आनुवांशिक विकार है जो व्यक्ति को अपने तंत्रिका तंत्र का उपयोग करने की क्षमता को रोकता है. रेस्पिरेटरी सिंड्रोम – सांस की बीमारी है जिसका कोई ईलाज नहीं है. सिकल सेल एनीमिया –एक विकार जो लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने का कारण बनता है. यह बहुत दुर्लभ है और इसमें कोई इलाज नहीं है. ट्राईजेमिनल न्युरोसिस – एक गंभीर दर्द की स्थिति जो 5 वीं कपाल तंत्रिका को प्रभावित करती है. इस बीमारी के लिए कोई सही इलाज नहीं है. टोक्सोप्लाज्मोसिस – एक विषाणु रोग जो मांस और गंदी सब्जियों से फैलता है. इन कॉमन बीमारियों का भी इलाज नहीं हेपेटाइटिस बी और सी – हेपेटाइटिस बी और सी के क्रोनिक रूपों का कोई इलाज नहीं है, हालांकि स्थितियों को प्रबंधित करने के लिए उपचार उपलब्ध हैं. मलेरिया – मच्छर के काटने से फैलने वाले प्लाज्मोडियम परजीवियों के कारण होने वाले मलेरिया का पूर्ण इलाज नहीं है, हालांकि उपचार मौजूद हैं. क्षय रोग (टीबी) – टीबी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से संभव है, मल्टीड्रग-प्रतिरोधी उपभेद चुनौतियां पैदा करते हैं लेकिन बीमारी के सभी रूपों के लिए कोई मुकम्मल इलाज नहीं है. डेंगू बुखार – डेंगू, मच्छरों से फैलने वाला एक वायरल संक्रमण है, जिसका कोई विशिष्ट एंटीवायरल उपचार नहीं है बस इसके लक्षणों को पहचान कर इन्हें काबू में लाया जाता है और कम किया जाता है. तो माना जाना चाहिए चिकित्सा विज्ञान में आ रही तकनीकों और शोधों के जरिए इन रोगों की प्रवृत्ति को समझकर प्रभावी उपचार को तलाश लिया जाएगा. . Tags: Diseases increased, Genetic diseases, Heart Disease, Kidney disease, Mental diseasesFIRST PUBLISHED : April 29, 2024, 15:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed