शानदार बेंगलुरु की वो 10 बातें जो बारिश से कराहते शहर की असली तस्वीर बयां करेंगी
शानदार बेंगलुरु की वो 10 बातें जो बारिश से कराहते शहर की असली तस्वीर बयां करेंगी
देशभर में बरसात का सीजन जाने की ओर है लेकिन इसी समय बेंगलुरु में बारिश ने पिछले कुछ दिनों में जिस तरह कहर ढहाया, उससे ये शहर पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया. लोग हैरान हैं कि क्या बेंगलुरु शहर के कुछ हिस्से ऐसे भी हैं जो पानी में डूब सकते हैं. यहां बारिश छिटपुट तौर पर सालभर होती रहती है लेकिन इस बार की बारिश अलग है. हम ये जानते हैं कि ये शहर आखिर हरदिल अजीज क्यों है.
हाइलाइट्स90 के दशक तक बेंगलुरु शहर उत्तर भारतीयों के लिए सैर-सपाटे की जगह हुआ करता थाशहरी विकास मंत्रालय की सूची के अनुसार बेंगलुरु देश में रहने के लिए सबसे शानदार शहर यहां न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड, चिपचिपाहट तो बिल्कुल नहीं
बेंगलुरु में यूं तो अक्सर ही छिटपुट बारिश होती रहती है, जो इस शहर की आबोहवा को बेहतर रखने के साथ वायु प्रदूषण को छांटती रहती है. आसपास के पहाड़, भूगोलीय स्थिति और आबोहवा इस तरह को यूं तो सालभर सुहाना मौसम और हेल्दी हवा देते हैं लेकिन इस बार शहर ने जितनी बारिश देखी, उसकी कल्पना तो खैर इसने शायद ही की हो, क्योंकि इसका 90 साल का रिकॉर्ड टूट गया. दूसरे बड़े महानगरों की तरह जब इस भीषण बरसात में शहर पानी पानी हुआ तो शहर के बहुत से पुराने लोग मानते हैं कि इसकी वजह पिछले दो दशकों में तेज अनियोजित विकास और बेतहाशा बढ़े कंक्रीट के जंगल हैं.
इस शहर की पहचान अब वैश्विक आईटी हब के तौर पर है. एक जमाने में ये शहर हरे भरे पेड़ों की अधिकता से भरा हुआ था. हालांकि अब भी पेड़ों के कटने के बाद ये ऐसा शहर है, जहां दूसरे शहरों की तुलना में कहीं ज्यादा हरियाली और पेड़ हैं लेकिन शहर का ढांचा जरूर ऐसा लगता है कि उसकी तेज तरक्की और बढ़ी भीड़ को लेकर तैयार नहीं था.
हर बड़े शहर की तरह यहां भी तेजी से आबादी फैल रही है लेकिन शायद टाउन प्लानिंग वाला हिस्सा अब उस चुनौती पर खरा नहीं उतर नहीं पाया, जिसकी जरूरत है. अतिक्रमण हुआ. नालियों और निकासी पर कई सालों से इतना ध्यान नहीं दिया गया. इस शहर में पिछले तीन दशक से कहीं ज्यादा समय से रह रहे लोग कहते हैं पहले ये शहर बहुत हराभरा और साफ था. यहां तब भी बारिश होती थी लेकिन ऐसी दिक्कत नहीं आई लेकिन शहर के मौजूदा विकास के साथ इसकी प्लानिंग का हिस्सा शायद उपेक्षित रह गया.
बेंगलुरु का सिटी पैलेस महल, जिसको पाश्चात्य शैली में वाडियार राजाओं द्वारा बनवाया गया था. (विकी कॉमंस)
हालांकि इस शहर को युवा तकनीकविदों का शहर कहा जाता है. देशभर के तमाम हिस्सों से आकर यहां काम कर रहे युवाओं को ये शहर देश के दूसरे शहरों की तुलना में ज्यादा लुभाता और पसंद आता है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इस शहर में जो कुछ भी है और जैसा कुछ है, वो युवाओं को एक अच्छी, आसान और खुली जिंदगी देता है. इस शहर में वो सबकुछ है, जो उनको आकर्षित करे.
बेंगलुरु में कर्नाटक का विधानसभा भवन (विकी कामंस)
हालांकि ये बात भी सही है कि पिछले कई दिनों से जारी बारिश के बाद शहर के दो हिस्से या मोहल्ले ही पानी से प्रभावित हुए हैं. आमतौर पर शहर का बाकि लंबा चौड़ा हिस्सा बारिश के बीच भी चल रहा है.
बेंगलुरु के लिविंग इंडेक्स में सबसे ऊपर होने की एक वजह तो प्राकृतिक है. दरअसल इस शहर का मौसम हमेशा शानदार रहता है. यहां न तो ज्यादा गर्मी होती है और न ही ज्यादा ठंड, बल्कि सालभर यहां शाम होते हुए हवा हल्की ठंडी हो जाती है. साथ ही यहां शायद ही कभी चिपचिपाहट-भरा मौसम मिलता हो. ऐसे में एक्सट्रीम मौसम झेलकर आए दूसरे राज्यों के लोगों को ये शहर काफी पसंद आ जाता है.
बेंगलुरू की स्थापना विजयनगर साम्राज्य के प्रधान केम्पेगोडा ने 16वीं शताब्दी के शुरू में की थी. यहां वैसे कई साम्राज्यों और राजाओं ने राज किया. पहले ये 1004 ईस्वी तक ये गंग वंश का हिस्सा था तो 1015 ईस्वी से 1116 तक चोल शासकों ने राज किया. फिर होयसल राजवंश के अधिकार में रहा. 1357 विजयनगर साम्राज्य में जुड़ा.1537 में इसे विजयनगर साम्राज्य के केम्पागोड़ा ने बसाया. फिर ये वाडियार राजाओं के पास गया. 1759 में हैदर अली यहां के शासक बजे तो फिर टीपू सुल्तान ने इस पर 1799 तक राज किया. इसके बाद इसकी बागडोर अंग्रेजों के हाथ में गई. अब ये स्वतंत्र भारत के कर्नाटक राज्य की राजधानी है. संयुक्त राष्ट्र मानव विकास सूचकांक (2001) के मुताबिक दुनिया के टॉप प्रौद्योगिकी शहरों में ये ऑस्टिन (अमेरिका), सन फ़्रान्सिस्को (अमेरिका) और ताइपेई (ताइवान) के बाद चौथे नंबर पर है. शुरू में यहां सरकारी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शहर की अर्थव्यवस्था में मुख्य भूमिका थे. अब ये शहर पिछले दो दशकों से हाई-टेक्नोलॉजी सर्विस उद्योगों द्वारा चलाया जा रहा है. इसकी 47.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था है. ये देश का तीसरा एफडीआई निवेश आकर्षित करने वाला शहर है.वैसे बेंगलूरु में 103 से अधिक केंद्रीय और राज्य अनुसंधान और विकास संस्थान, भारतीय विज्ञान संस्थान (विश्व स्तर पर सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में एक), भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, 45 अभियांत्रिकी महाविद्यालय, विश्व स्तर की स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं, चिकित्सा महाविद्यालय और शोध संस्थान भी हैं. ये चूकि सूचना प्रौद्योगिकी का प्रमुख केंद्र है, लिहाजा इसे भारत का सिलिकॉन वैली भी कहते हैं.बेंगलुरु शहर देश के कुल आईटी निर्यात में 45 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 37 प्रतिशत का योगदान देता है. यहां इस सेक्टर से जुड़े 50 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं. इसरो, इंफ़ोसिस और विप्रो का मुख्यालय यहीं है. ये शहर जितनी तेजी से महानगर के तौर पर उभरा, उतनी ही तेजी से यहां प्रदूषण, यातायात और दूसरी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां भी उभरी हैं. ये देश का पांचवां सबसे घनी आबादी वाला शहर है.साथ ही सांस्कृतिक हब भी.दरअसल इस शहर को इतिहास, संस्कृति, बागीचों और लुत्फ का कॉकटेल भी कहा जा सकता है. ये आबादी भाषा, जाति और क्षेत्र के लिहाज से विविधता लिये है. शहर में 240 एकड़ में फैला लालबाग मनमोह लेने वाले हरा-भरा स्वर्ग है. यही बेंगलोर को सही मायनों में गार्डन सिटी की पहचान देता है. इसी में बॉटनिकल गार्डन भी है. हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर लालबाग के बॉटनिकल गार्डन में आयोजित होने वाले फ्लॉवर शो की ख्याति दूर तक फैली है.यहां 400 साल से ज्यादा पुराना बिग बेनयन भी है यानि विशाल बरगद पेड (कन्नड में डोडा अलाडा). इसे नेचुरल वंडर भी कहा जाता है. ये रामोहल्ली में इसके तने का घेरा यानि परिधि ही 250 मीटर की है. ऊपर से नीचे आती हजारों जटाएं जमीन को चूमती हैं. बिग बेनयन के आसपास खूब हरियाली है, यहां छाया के साथ शांति महसूस होती है.100 एकड़ में फैले कब्बन पार्क का भी कोई जवाब नहीं. हाईकोर्ट, विधानसभा और राजभवन इसी से लगे हैं. ये पार्क हमेशा खुला रहता है. इसे 1860 में स्थापित किया गया. इसके इतिहास की झलक भी यहां बखूबी दिख जाती है. आसपास कई आर्ट गैलरी और म्युजियम हैं. खानपान में इस शहर का जवाब नहीं. यहां हर कोने में उडुपी रेस्तरां है. जो बहुत सस्ते में भरपेट खाना परोसते हैं. थोड़ी थोड़ी दूर पर कॉफी शॉप्स हैं, जहां बैठकर गपियाने के साथ काम भी कर सकते हैं. खाने पीने में यहां हर जगह का स्वाद मिल जाएंगे. दुनिया के तमाम देशों से लेकर राज्यों का भी. यहां डोसा माने है यहां डोसा घर, जो 110 किस्मों का डोसा परोसता है. ये वीवी पुरम के महावीर कालेज के पीछे स्थित है.बेंगलुरु का मौसम सालभर बढिया और स्वास्थवर्द्धक रहता है. बेंगलोर मेट्रो सिटी जरूर है लेकिन छोटे कस्बे का भी कल्चर समाहित किये हुए, बेंगलुरु में किसी के लिए भी दिलचस्प चीजों की कमी नहीं. ये ज्यादा हरा-भरा है. लोग दोस्ताना, मृदुभाषी हैं. यहां काफी मॉल व पब हैं, जो रात 11 बजे तक खुलते हैं, यानि आराम से समय गुजार सकते हैं. यहां के नजारों और आवाजों के बीच खुद को तृप्त पाएंगे. उडूपी फिल्टर कॉफी की गंध स्फूर्ति से भर देगी. यही सब बेंगलोर को सबसे रहने लायक शहर बनाता है.
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Tags: Bengaluru, Bengaluru City, Bengaluru RainFIRST PUBLISHED : September 07, 2022, 15:30 IST