लोकसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट पर क्यों ढीली पड़ी बीजेपी की पकड़

देशभर में लोकसभा की 47 सीटें ट्राइबल्स के लिए सुरक्षित हैं. इस बार इन सीटों पर बीजेपी की पकड़ हल्की पड़ी है. हालांकि ओडिसा, मप्र अपवाद वाले राज्य हैं. जहां बीजेपी ने सभी ऐसी सीटें जीतीं. आइए जानते हैं क्या रहा इन सीटों का आंकड़ा.

लोकसभा चुनावों में आदिवासी बेल्ट पर क्यों ढीली पड़ी बीजेपी की पकड़
हाइलाइट्स ट्राइबल सीटों पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने किया बेहतर प्रदर्शन झारखंड और महाराष्ट्र में इन सीटों पर बीजेपी को तगड़ा झटका ओडिसा और मध्य प्रदेश की ट्राइबल सीटों पर बीेजेपी ने बेहतर किया केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक ट्विटर करके कांग्रेस से पूछा है कि उसने आदिवासियों के लिए किया ही क्या है. ये बात सही है कि बीजेपी के हालिया बनाए गए दो मुख्यमंत्री अनुसूचित जनजाति से रहे हैं तो राष्ट्रपति द्रौपदजी मुर्मू भी शेड्यूल ट्राइब्स से हैं. ऐसे में ये जानना चाहिए कि इस बार देशभर की रिजर्व अनुसूचित जनजाति सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी का क्या हाल रहा है. अगर रिपोर्ट कार्ड देखें तो कांग्रेस ने इन रिजर्व सीटों पर अपने स्कोर को दोगुना किया तो बीजेपी ने पिछले चुनावों की तुलना में कुछ सीटें गंवाईं हैं. खासकर दो उन राज्यों में ऐसी सीटें ज्यादा गंवाईं हैं, जहां दिसंबर से पहले विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ये राज्य झारखंड और महाराष्ट्र हैं. लोकसभा में कुल कुल 543 सीटें हैं. जिसमें इस बार 82 सीटें अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित हैं तो 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व. पिछले चुनावों में बीजेपी को 33 फीसदी दलितों और 42 फीसदी ओबीसी के वोट मिले थे, जिसमें इस बार काफी गिरावट आई है. इस बार देश में जब लोकसभा के चुनाव हुए तो अनुसूचित जनजाति की 47 सीटें रिजर्व थीं. ये सीटें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, तेलंगाना, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, आंध्र प्रदेश राज्यों में हैं. ट्राइबल सीटों पर बीजेपी, कांग्रेस और अन्य पार्टियों के प्रदर्शन का ग्राफ. इन सीटों से कुल 10 पार्टियों के उम्मीदवार जीते. हालांकि इसमें सबसे ज्यादा 25 सीटें बीजेपी को ही मिलीं. हालांकि ये पिछले चुनाव की तुलना में कम रहीं. कांग्रेस 12 सीटों के साथ दूसरे नंबर रही, उसने पिछले चुनाव के मुकाबले इन रिजर्व सीटों को दोगुना से ज्यादा किया है. इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (3) और अन्य पार्टियों का नंबर रहा. झारखंड और महाराष्ट्र से मिला बड़ा झटका झारखंड में विधानसभा चुनाव होने से 06 महीने पहले, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सभी 05 लोकसभा सीटों पर बीजेपी और गठबंधन की हार उसके लिए बड़ा झटका जैसा है.  2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इस राज्य से हार का सामना करना पड़ा था, तब उसका नेतृत्व एक गैर-आदिवासी मुख्यमंत्री ने किया था. सबसे ज्यादा शेड्यूल ट्राइब्स की सीटें चार राज्यों में हैं – झारखंड, ओडिसा, मप्र और महाराष्ट्र. इसमें पहले तीन राज्यों में अनुसूचित जनजाति यानि शेड्यूल ट्राइब्स के लिए 5-5 सीटें सुरक्षित हैं जबकि महाराष्ट्र में 04. इसमें झारखंड की सभी पांचों ट्राइबल सीट पर बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. वहीं महाराष्ट्र में 04 ट्राइबल सुरक्षित सीटें थीं. जिसमें सभी पर पिछली बार बीजेपी जीती थी, इस बार इन 09 सीटों पर बीजेपी को केवल एक पर जीत मिली. शेष सीटों पर कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की पार्टियों ने कब्जा कर लिया.  इन दोनों ही राज्यों में बीजेपी को विधानसभा चुनावों में उतरना है. फिलहाल उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह कैसे तस्वीर को बदले. अलबत्ता मप्र में बीजेपी ने सारी ट्राइबल सीटें जीतीं. ओडिसा में उसने 04 ट्राइबल सीटें जीतीं. कितनी ट्राइबल सुरक्षित सीटें देश में पिछले लोकसभा चुनावों से अनुसूचित जनजाति की सीटों को बढ़ाकर 41 से 47 कर दिया गया था. ये सीटें महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, झारखंड, ओडिशा, असम, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, लक्षद्वीप, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा, तेलंगाना, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव, आंध्र प्रदेश राज्यों में हैं. इन सीटों से कुल 10 पार्टियों के उम्मीदवार जीते. हालांकि इसमें सबसे ज्यादा 25 सीटें बीजेपी को ही मिलीं. कांग्रेस 12 सीटों के साथ दूसरे नंबर रही. इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (3) का नंबर रहा. पिछले चुनावों में क्या हुआ था हालांकि तुलना करें तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 47 एसटी सीटों में 31 सीटें जीती थीं. दूसरी ओर, कांग्रेस चार एसटी सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही थी. उसके बाद बीजू जनता दल ने 3, युवजन श्रमिक रायथु कांग्रेस पार्टी ने 1, शिवसेना ने 1, झारखंड मुक्ति मुक्ति मोर्चा ने 1, नागा पीपुल्स फ्रंट ने 1, नेशनल पीपुल्स पार्टी ने 1, मिजो नेशनल फ्रंट ने 1, नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने 1, भारत राष्ट्र समिति ने 1, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने 1 सीट हासिल की. 2014 में भाजपा 27 अनुसूचित जनजाति सीटों पर विजयी रही थी, जबकि कांग्रेस ने अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित पांच निर्वाचन क्षेत्रों पर जीत हासिल की थी. सभी रिजर्व सीटों पर क्या था प्रदर्शन सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी लोकसभा में अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए आरक्षित कुल 131 सीटों में 55 सीटों पर सिमट गई है. पिछली बार उसने रिजर्व की 77 सीटें जीतीं थीं. ये उसका इन सीटों पर सबसे अच्छा प्रदर्शन था. 2014 में यहां जीत का आंकड़ा 71 का था. एससी और एसटी सीटों पर भाजपा के मौजूदा उम्मीदवारों को सबसे अधिक नुकसान उत्तर प्रदेश में देखने को मिला, जहां उसने इनमें से 06 सीटें खो दीं – एक कांग्रेस के हाथों और पांच समाजवादी पार्टी के हाथों. इस बार इन सीटों के कम होने की असली वजह यही बताई जा रही है कि बीजेपी के 400 पार के नारे से बड़े पैमाने पर ये गलतफहमी फैल गई कि इसके बाद संविधान बदल दिया जाएगा और आरक्षण खत्म हो जाएगा. इस कारण बीजेपी को सभी रिर्जव सीटों पर बड़ा नुकसान हुआ. Tags: Loksabha Elections, Scheduled TribeFIRST PUBLISHED : June 12, 2024, 18:11 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed