वो बिल्डिंग जिसे निशाना बनाते ही टूटेगी पाकिस्तान की कमर बिखरेगी ISI
वो बिल्डिंग जिसे निशाना बनाते ही टूटेगी पाकिस्तान की कमर बिखरेगी ISI
इस्लामाबाद में एक ऊंची सी विशालकाय बिल्डिंग है, अगर उसको निशाना बनाकर नष्ट कर दिया गया तो पाकिस्तान की कमर ऐसी टूटेगी कि सीधी नहीं हो पाएगी. जानते हैं ऐसा क्या है इस बिल्डिंग में.
हाइलाइट्स इस्लामाबाद की इस बिल्डिंग में ही छिपी है पाकिस्तान की जान इसी में रखे हैं उसकी साजिशों के सारे दस्तावेज तब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई किसी काम लायक नहीं रह जाएगी
ये वो बिल्डिंग है, जो पाकिस्तान की साजिशों का मुख्यालय है. यहीं पर पाकिस्तान पड़ोसी देशों के खिलाफ साजिशें रचता है. ये वो बिल्डिंग भी है, जहां पाकिस्तान हर मिनट केवल आतंकवाद की फसल उगाने की योजनाएं बनाता है. इसी बिल्डिंग में वो अफसर बैठते हैं, जिनके पास दिन-रात केवल ऐसी साजिशें रचने का जिम्मा होता है, जिससे वो दक्षिण एशिया और खासकर भारत में गड़बड़ी फैला सकें. इस बिल्डिंग में पाकिस्तान में तैयार किये जाने वाले आतंकवादियों के नेटवर्क की पूरी फाइल और सारे साजिशों के दस्तावेज मौजूद हैं. इस बिल्डिंग को आईएसआई (ISI) के मुख्यालय के रूप में जानते हैं. आईएसआई यानि पाकिस्तान की इटंर सर्विसेज इंटैलिजेंस.
कहा जा सकता है कि ये वो बिल्डिंग है, जो पिछले चार दशकों से पाकिस्तान के लिए बड़े पैमाने पर आतंक का ब्लूप्रिंट बनाती रही है. ये बिल्डिंग पाकिस्तान की सरकार द्वारा पैदा की गई आतंकवाद के लिए सबसे बड़ी ताकत का काम करती है. अगर भारत इस बिल्डिंग को निशाने पर ले, तो पाकिस्तान की आधी से ज्यादा ताकत टूटकर बिखर जाएगी. फिर लंबे समय तक पाकिस्तान खड़े होने लायक भी नहीं रहेगा.
ये बिल्डिंग इस्लामाबाद में है. ये एक सफेद रंग की लंबी-चौड़ी इमारत है. जिसमें बाहर कहीं ऐसे कोई साइनबोर्ड नहीं लगे हैं, जिससे लगे कि ये बिल्डिंग दरअसल आईएसआई का मुख्यालय है. माना जाता है कि इस बिल्डिंग में अंदर बड़े पैमाने पर सुरक्षा रहती है और ये कई तरह के सुरक्षा उपकरणों से लैस है लेकिन बाहर इसके इंट्रैंस पर सादे कपड़ों में सुरक्षागार्ड तैनात रहते हैं. ये बिल्डिंग इस्लामाबाद में एक प्राइवेट अस्पताल के बगल में है.
लंबा चौड़ा परिसर
गूगल अर्थ से जब इसकी तस्वीरें ली गईं तो पता लगा कि ये काफी लंबे चौड़े परिसर में फैली बिल्डिंग है, जिसके चारों ओर बड़े बड़े लॉन हैं और बड़े पैमाने पर पेड पौधे. ये शायद इस एरिया की सबसे लंबी चौड़ी इमारत है. इसके पीछे इमारत के लगा एक बड़ा मैदान है. जिसमें अक्सर ट्रेनिंग भी चलती रहती है. इस बिल्डिंग में किसी का भी पहुंच पाना आसान भी नहीं है. गूगल अर्थ ये भी बताता है कि दरअसल इस लंबे चौड़े कैंपस में एक मुख्य बिल्डिंग के साथ कई और भवन भी हैं.
फिर जम्मू इलाके में फैलाया जा रहा आतंक
जम्मू में हाल में जो आतंकवाद फैलाया गया. उसकी सारी साजिश भी आईएसआई ने यहीं बनाई. इसके जरिए उसने कश्मीर में आतंकवाद की रणनीति बदल दी.
दरअसल ये गड़बड़ी की ये पूरी साजिश हमेशा आईएसआई द्वारा ही रची जा रही होती है. इन सारी साजिशों की कड़ी इस्लामाबाद में इसी बिल्डिंग से जुड़ी रहती है.
हकीकत यही है कि भारत में हर आतंकी हमले की स्क्रिप्ट या तो आईएसआई लिखती है या फिर वो उसकी सूत्रधार होती है. बगैर उसके शामिल हुए भारत में बड़ा आतंकी हमला हो ही नहीं सकता. गूगल अर्थ के जरिए ली गई आईएसआई मुख्यालय की तस्वीर, जिसमें उसका लंबा-चौड़ा परिसर साफ नजर आ रहा है
सीआईए ने किया था आईएसआई को ट्रेंड
80 के दशक में जब अमेरिका की जासूसी एजेंसी सीआईए ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ की फौजों को खदेड़ने के लिए वहां तालिबानियों और अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को तैयार करना शुरू किया तो उसके इस काम में सबसे ज्यादा काम आया पाकिस्तान का आईएसआई, जो अब दुनिया का सबसे कुख्यात संगठन बन चुका है. सीआईए के साथ आईएसआई ने जो तौरतरीके सीखे. अब उसका इस्तेमाल वो भारत में आतंक की फौज खड़ी करने में कर रहा है. भारत में हुए हर आतंकी हमले के पीछे ना केवल उसका हाथ होता है बल्कि हर आतंकी संगठन को उसी की देखरेख में सीमा पार तैयार किया जाता है.
आईएसआई का पूरा नाम इंटर सर्विसेज इंटैलिजेंस है. पाकिस्तान बनने के एक साल बाद ही इसकी स्थापना हुई. इसका मुख्यालय इस्लामाबाद में है. 80 के दशक तक ये आमतौर पर ढीली ढाली गुप्तचर एजेंसी के तौर पर जानी जाती थी. हालांकि पाकिस्तानी इलाकों से भारत में कई बार हुई कबायली हमलों के पीछे यही संगठन रहा था लेकिन 1971 के युद्ध में पाकिस्तान सेना के साथ आईएसआई के दांत टूट चुके थे. इसे इसके बाद फिर नए सिरे से खड़ा किया गया.
अब दुनिया की सबसे बदनाम एजेंसियों में
इसके पंजों को पैना बनाने और आतंकी नेटवर्क जैसी साजिश रचने का काम मुख्य तौर पर अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने तब सिखाया, जब अफगानिस्तान में सोवियत फौजें डटी हुईं थीं. अमेरिका आतंकी संगठनों का एक नेटवर्क खड़ा कर छदम युद्ध के जरिए उन्हें मात देना चाहता था.ये खेल करीब दो दशक तक चला.
इतने समय में सीआईए ने आईएसआई को इतना पारंगत कर दिया कि अब वो दुनिया की सबसे मक्कार और कुख्यात एजेंसी बन चुकी है. उसने सीआईए के साथ मिली ट्रेनिंग और खाड़ी देशों से मिलने वाली इस्लामी फंड के जरिए भारत में पिछले दो दशकों में आतंकवाद की पूरी फसल खड़ी कर दी है, जो कश्मीर में लगातार सक्रिय रहती है.
फंड की कोई कमी नहीं
माना जाता है कि ये पाकिस्तानी एजेंसी स्टाफ के मामले में दुनिया की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी है. लगता नहीं है कि उसके पास फंड की कमी है. खासकर एशियाई देशों में कुचक्र रचने के लिए वो बड़े पैमाने पर स्थानीय लोगों को पैसा देकर फुसलाती है. फिर उनसे आतंक से लेकर खुफिया जानकारियां लेने के तमाम काम करती है. भारत में हर आतंकी हमले से पहले आईएसआई आतंकी संगठनों को हर तरह का सहयोग देती है. आतंकी संगठनों को अपने कार्रवाइयों की जानकारी इस एजेंसी को देनी पड़ती है. बगैर इस एजेंसी की मर्जी के आतंकवादी संगठनों का पत्ता भी नहीं खड़कता.
पाकिस्तान सेना का ही है एक हिस्सा
आमतौर पर आईएसआई में बड़े पैमाने पर पाकिस्तानी सेना से ही अफसर आते हैं. एक तरह से वो पाकिस्तानी सेना का ही एक हिस्सा माना जाता रहा है. उसके प्रमुख की नियुक्ति से लेकर आपरेशंस तक में पाक सेना का खास रोल रहता है. इसका नाम ही इंटर सर्विसेज इसलिए रखा गया था ताकि उसमें पाकिस्तानी सेना के तीन अंग यानि आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के अफसरों को रखा जा सके.हालांकि पिछले कुछ सालों से इस संस्था की क्षमता बढाने के लिए पाकिस्तान के कई अलग सरकारी विभागों से भी लोग इसमें नियुक्त किए जाने लगे हैं.
क्या है इसका स्ट्रक्चर
आईएसआई का हेड पाकिस्तानी सेना का जनरल रैंक का कोई अधिकारी ही होता है. उसके नीचे तीन डिप्टी होते हैं, जो तीन अलग विंग की अगुवाई करते हैं. ये तीन विंग इंटरनल विंग, एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग हैं. आईएसआई के एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग सीमापार कश्मीर में आतंकवादियों के संगठन तैयार करने से लेकर उन्हें ट्रेनिंग, पैसा और हथियार देने का काम करते हैं
आईएसआई के एक्सटर्नल और फॉरेन रिलेशन विंग सीमापार कश्मीर में आतंकवादियों के संगठन तैयार करने से लेकर उन्हें ट्रेनिंग, पैसा और हथियार देने का काम करते हैं. भारत के किसी भी आतंकवादी हमले में इन दोनों विंग्स की भूमिका खास रहती है. हालांकि इन तीनों विंगों को आठ डिविजन में बांटा गया है. इसमें ज्वाइंट इंटैलिजेंस नार्थ सीधे सीधे जम्मू-कश्मीर और अफगानिस्तान में आतंकवादियों की फसल तैयार करता है. विशेषज्ञों का मानना है कि आईएसआई आतंकवाद संचालन बेल्ट की तरह काम को अंजाम देता रहता है.
नई नई ट्रिक्स सिखाने का काम
इन दोनों विंग्स की कोशिश रहती है कि भारत और खासकर कश्मीर में लगातार अस्थिरता बनाकर रखी जाए. इसलिए वो लगातार आतंकी गुटों को अपने जरिए शह देने का काम करते रहते हैं. भारत और अफगानिस्तान में गड़बड़ी फैलाने वाले आतंकवादी ग्रुप्स को नई नई ट्रिक्स सिखाने के साथ नए तरह के हथियार और विस्फोटक देने में आईएसआई लगातार एक्सपर्ट का काम करता है.
थिंक टैंक ग्लोबल सेक्यूरिटी रिव्यू ने कुछ समय पहले आईएसआई पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी. इस रिपोर्ट के अनुसार आईएसआई हमेशा इस कोशिश में रहती है कि उसके दो पड़ोसियों भारत और अफगानिस्तान में बड़ी आतंकी गतिविधियां होती रहें-क्योंकि इससे उसके अपने सुरक्षा हित सधते हैं.
माना जाता है कि 1990 के दशक में आईएसआई का सबसे खास काम जिहादियों को तैयार करना बन गया. मुंबई में वर्ष 2008 में हुए अटैक के पीछे लश्कर ए तैयबा का हाथ था, जिसके नजदीकी रिश्ते आईएसआई से थे. हाल ही में कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां करने में आगे दीख रहे जैश ए मोहम्मद को खड़ा करने से लेकर फंडिंग तक में इसी कुख्यात एजेंसी का हाथ है. हिज्बुल मुजाहिदीन को भी आईएसआई ने खड़ा किया था ताकि वो उस जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट की काट कर सके, जो आजाद कश्मीर की मांग करता था.
हर जगह आईएसआई के एजेंट्स
एशियाई देशों में आईएसआई के एजेंट्स ने बड़े पैमाने पर घुसपैठ कर रखी है. वो पहले आमतौर पर मुसलमानों से बेहतर रिश्ते बनाते हैं और फिर उन्हें अपने कांटे में फंसाने के बाद ब्लैकमेलिंग के लिए जरिए अपना उल्लू सीधा कराते हैं यानि मनचाही जानकारियां हासिल करते हैं.
तकरीबन सभी एशियाई देशों में आईएसआई के एजेंट दूतावासों, मल्टीनेशनल संगठनों, गैर सरकारी संगठनों में कर्मचारी के रूप में जगह हासिल करके काम कर रहे हैं. पाकिस्तान से आने वाले सांस्कृतिक प्रोग्राम्स दल में भी उनके सदस्य आवश्यक तौर पर रहते ही हैं.
Tags: India and Pakistan, India Pakistan Relations, India Vs Pakistan, Pakistan armyFIRST PUBLISHED : July 26, 2024, 21:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed