कैसे 74 साल पुराने एक लीक से जुड़ी है बजट हलवे की कहानी वैसे ये आया कहां से
कैसे 74 साल पुराने एक लीक से जुड़ी है बजट हलवे की कहानी वैसे ये आया कहां से
हलवा हमारे देश में सबसे ज्यादा लोकप्रिय मिष्ठान है. घर घर में तरह तरह से इसे बनाया जाता है. बजट से करीब 10 दिन पहले वित्त मंत्रालय में एक हलवा समारोह होता है. ये क्यों होता है. इसकी भी एक कहानी है.
हाइलाइट्स बजट से पहले हर साल हलवा बनाने की भी एक कहानी है इस हलवा सेरेमनी के बाद बजट गोपनीय तरीके से बनना शुरू होता है तब बजट लीक के कारण वित्त मंत्री को इस्तीफा देना पड़ गया था
बजट से पहले नार्थ ब्लॉक यानि वित्त मंत्रालय में हलवा सेरेमनी मनाई जा चुकी है. वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी और नीतिकार बजट आने तक अब फाइनेंस मिनिस्ट्री में अंदर गोपनीय तरीके से इसकी तैयारी करेंगे. क्या आपको मालूम है कि बजट से पहले हलवा समारोह और अधिकारियों का करीब 9-10 दिनों के लिए गोपनीय तरीके से अलग रहकर बजट तैयार करने के पीछे भी एक कहानी है जो लीक से जुड़ी है.
हुआ ये अंग्रेजों ने 1860 से देश में बजट पेश करना शुरू किया. जब देश आजाद हो गया तो इसके संविधान स्वीकार करने के बाद पहला बजट 1950 में पेश होने वाला था. तब जान मथाई वित्त मंत्री थे. उन पर पहले से कतिपत उद्योग घरानों या संपन्न लोगों के हित में काम करने का आरोप लगाया जा रहा था.
तब बजट गोपनीय तरीके से तैयार नहीं होता था और तैयार होने के बाद छपने के लिए राष्ट्रपति भवन की प्रेस में जाता था.
तब बजट के कुछ हिस्से लीक हो गए
1950 में बजट पेश होने से पहले ही इसके कुछ हिस्से लीक हो गए. तब वित्त मंत्री पर जोरशोर से देश के संपन्न लोगों के हितों में काम करने का आरोप लगा. मथाई इस तरह फंस गए कि उन्हें बजट लीक की वजह से इस्तीफा देना पड़ा. इसके बाद बजट की छपाई राष्ट्रपति भवन की प्रेस से हटाकर मिंटो रोड पर स्थित सरकारी प्रेस में कर दी गई. तत्कालीन वित्त मंत्री जान मथाई को बजट लीक के बाद इस्तीफा देना पड़ गया था. (फाइल फोटो)
फिर हलवा सेरेमनी शुरू हुई
उसके बाद 1980 के दशक में वित्त मंत्रालय ने खुद अपनी ही छपाई मशीन मंत्रालय के बेसमेंट पर लगवा दी. बजट लीक से सबक लिया गया. अगले साल जब 1951 में बजट पेश हुआ तो इसे तैयार करने वाले लोगों को मंत्रालय में ही अंदर रहकर बजट तैयार करने को कहा गया. इसके पहले हलवा बनाने की एक सेरेमनी हुई. फिर अफसर बजट तैयार करने के लिए बिल्कुल 9-10 दिनों के लिए सबसे अलग हो गए.
9-10 दिनों के लिए अफसर एकदम दुनिया से कट जाते हैं
ये परंपरा तब से लेकर आज तक चल रही है. जब 9-10 दिनों के लिए वित्त मंत्रालय के आला अफसर और उनका सपोर्ट स्टाफ अलग रख दिया जाता है तो उनके सारी व्यवस्थाएं वहीं पर होती हैं. वो बजट तैयार करने और इसे मुकम्मल रूप देने के बाद बजट के एक दिन पहले ही बाहर आते हैं, जब इस बजट को वह वित्त मत्री के हाथों में सौंप देते हैं और वह इस बारे में उनसे सारी चर्चा करके इसे समझ लेती हैं. हलवा फारस से 13वीं से 16वीं शताब्दी के बीच भारत पहुंचा.
हलवे की क्या कहानी है
अब आइए हलवे की बात कर लेते हैं. हलवा की भी एक कहानी है. कहा जाता है कि जब मुगल भारत में हलवा लेकर आए. वैसे कहा ये भी जाता है कि फारस से यहां आने वाले व्यापारी इसे लेकर आए थे.
मुगलों की रसोई से जनता के बीच तक
वैसे आमतौर पर हलवा के बारे में यही कहते हैं कि ये मुगलों की रसोई से होते हुए आमजनता के बीच पहुंचा. हाथ से बनने वाले मिठाई यानि हलवा की उत्पत्ति सबसे पहले 13वीं शताब्दी में मध्य पूर्व में बताई जाती है. अरबी किताब अल-तबिख (व्यंजन की पुस्तक) पुस्तक में मुहम्मद इब्न अल-हसान इब्न अल-करीम ने हलवा व्यंजनों की कुछ किस्मों का उल्लेख किया है. हलवा शब्द “हुल्व” शब्द से आया है जिसका अर्थ मीठा होता है.
कहां से आया हलवा
माना जाता है मानना है कि हलवा बनाने का काम सबसे पहले तुर्की के ऑटोमन साम्राज्य में हुआ. कहा जाता है कि साम्राज्य के सुल्तान ने मिठाइयां पकाने के लिए एक विशेष रसोईघर बनवाए थे. तब हलवा केवल तीन सामग्रियों – स्टार्च, वसा और स्वीटनर से तैयार किया जाता था. हालांकि ये भी कहा जाता है कि ये व्यंजन 12वीं शताब्दी ईस्वी से कुछ समय पहले पूर्वी रोमन के बीजान्टिन साम्राज्य का है. पकवान में स्वाद बेहतर करने के लिए खजूर, मेवों और अन्य मसालों का उपयोग भी किया जाता था.
13वीं सदी के बाद हलवा भारत आया
कोलीन टेलर सेन ने अपनी पुस्तक ‘फीस्ट्स एंड फास्ट्स’ में लिखा है कि हलवा भारत में दिल्ली सल्तनत के दौरान 13वीं सदी की शुरुआत से 16वीं सदी के मध्य तक आया. ‘गुज़िश्ता लखनऊ’ पुस्तक में भी कहा गया कि हलवा फारस के रास्ते अरबी भूमि से भारत आया. हैदराबाद में, जौज़ी हलवा बेचने वाले हमीदी कन्फेक्शनर्स का तुर्की से संबंध माना जाता है, क्योंकि दुकान की स्थापना तुर्की वंश के किसी व्यक्ति ने की थी.
Tags: Budget session, Sweet DishesFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 12:13 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed