क्या है पीएम श्री योजना कैसे होता है स्कूलों का चयन सरकार खर्च कर रही करोड़ों

PM Shri Yojana : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम श्री योजना की शुरुआत साल 2022 में शिक्षक दिवस के अवसर पर की थी. इसका मकसद अगले पांच साल में देश के 14000 से अधिक स्कूलों को अत्याधुनिक बनाना है. हालांकि, कई राज्य इस स्कीम के खिलाफ भी हैं. आइए जानते हैं क्या है पीएम श्री स्कूल योजना और इसके लिए स्कूलों का चयन कैसे किया जाता है.

क्या है पीएम श्री योजना कैसे होता है स्कूलों का चयन सरकार खर्च कर रही करोड़ों
PM Shri Yojana : दो साल पहले केंद्र सरकार ने पीएम श्री योजना का शुभारंभ किया था. केंद्र सरकार अगले पांच साल तक के लिए इस योजना के लिए 27000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय कर चुकी है. इस योजना को उन राज्यों ने बिना देरी के शुरू कर दिया है, जहां बीजेपी एनडीए की सरकारें है. लेकिन तमिलनाडु, केरल, पंजाब, दिल्ली और पश्चिम बंगाल ने इस योजना को लेकर केंद्र के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल ने तो समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर से ही इनकार कर दिया है. जबकि केरल और तमिलनाडु ने इसको लेकर अपनी इच्छा जाहिर की है. समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर न करने के चलते केंद्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष की दो तिमाही का फंड रोक दिया है. इन तीनों राज्यों को अक्टूबर-दिसंबर और जनवरी-मार्च की कोई किस्त नहीं मिली है. वर्तमान वित्त वर्ष की अप्रैल-जून महीने की पहली किस्त भी नहीं मिली है. इसकी वजह से पीएम श्री योजना एक बार फिर चर्चा में है. आइए जानते हैं इस योजना के के बारे में विस्तार से. क्या है पीएम श्री स्कूल योजना? पीएम श्री योजना की शुरुआत 2022 में हुई थी. इस स्कीम के तहत देश के 14500 प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों को मॉडल स्कूल के रूप में विकासित किया जाना है. इन स्कूलों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार लेटेस्ट लेक्नोलॉजी, स्मार्ट क्लास, आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी सुविधाओं से लैश किया जाएगा. इसके लिए सरकार पीएम श्री डैशबोर्ड पर 10,077 स्कूल सूचीबद्ध पीएम श्री डैशबोर्ड ऑनलाइन में वर्तमान में 10,077 स्कूल सूचीबद्ध हैं. जिसमें से 839 स्कूल केंद्रीय विद्यालय, 599 नवोदय विद्यालय है. जिन्हें केंद्र सरकार संचालित करती है. जबकि 8,639 स्कूल राज्य सरकारों या स्थानीय सरकारों द्वारा संचालि किए जाते हैं. इतने करोड़ खर्च कर रही सरकार केंद्र सरकार ने पीएम श्री योजना को अगले पांच साल के लिए शुरू किया है. इस पांच साल के लिए केंद्र ने 27000 करोड़ रुपये से अधिक का बजट तय किया है. योजना साल 2026 तक चलेगी. केंद्र सरकार ने 2026-27 तक पांच वर्षों के लिए कुल 27,360 करोड़ रुपये की परियोजना लागत घोषित की थी. जिसमें से केंद्र 18,128 करोड़ रुपये वहन करेगा. शेष खर्च राज्य सरकारें वहन करेंगी. साथ ही उन्हें इन स्कूलों द्वारा हासिल किए गए बेंचमार्क को बनाए रखना होगा. सरकार ने फरवरी में लोक सभा में बताया था कि 2023-24 के लिए 6,207 पीएम श्री स्कूलों के लिए 3,395.16 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. जिसमें केंद्र का हिस्सा 2,520.46 करोड़ रुपये और राज्य का हिस्सा 874.70 करोड़ रुपये है. यूपी में सबसे अधिक पीएम श्री स्कूल उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 1,865 पीएम श्री स्कूल हैं. इसके बाद महाराष्ट्र बाद महाराष्ट्र (910) और आंध्र प्रदेश (900) हैं. पंजाब, दिल्ली, तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और बिहार जैसे गैर-बीजेपी राज्यों के साथ-साथ ओडिशा, जहां पिछले महीने ही बीजेपी की सरकार बनी है, में राज्य या स्थानीय सरकार द्वारा संचालित कोई भी स्कूल इस योजना में शामिल नहीं किया गया है. इस योजना को केंद्र व राज्य सरकार 60:40 के अनुपात में फंड करते हैं. पूर्वोत्तर के राज्यों को लागत का 10 फीसदी वहन करना होता है. पीएम श्री योजना के लिए स्कूलों का चयन पीएम श्री स्कूलों का चयन ‘चैलेंज मोड’ के माध्यम से किया जाता है. जो स्कूल कुछ न्यूनतम मानदंडों (अच्छी स्थिति में एक पक्की इमारत, बैरियर फ्री एक्सेस रैंप, बॉयज व गर्ल्स के लिए कम से कम एक-एक टॉयलेट) को पूरा करते हैं, वे इस योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. चयन के लिए मूल्यांकन कुछ मापदंडों के आधार पर किया जाता है. जिसमें शहरी स्कूलों को कम से कम 70% और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों को 60% अंक प्राप्त करने चाहिए. राज्यों को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को अनुशंसित स्कूलों की सूची भेजनी होती है. स्कूलों की फाइनल लिस्ट स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति तैयार करती है. प्रत्येक ब्लॉक/शहरी स्थानीय निकाय से अधिकतम दो स्कूलों- एक प्राथमिक विद्यालय और एक माध्यमिक या उच्च माध्ममिक विद्यालय का चयन किया जा सकता है. राज्यों को करना होता है ओएमयू पर हस्ताक्षर राज्य या केंद्र शासित प्रदेश या केंद्रीय विद्यालय संगठन/नवोदय विद्यालय समिति को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना होता है. जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को पूरे राज्य/केंद्र शासित प्रदेशा में पूरी तरह लागू करने की प्रतिबद्धता जाहिर की गई होती है और चयनित विद्यालय के नाम के आगे पीएम श्री लगाना ता है. इसके अलावा स्कीम में चयन के दो वर्ष के भीतर सभी कक्षाओं में ड्रॉपआउट दर शून्य सुनिश्चित करने, छात्र-शिक्षक अनुपात के मानदंडों का पालन करने और एक्टिविटी बेस्ड, स्पोर्ट्स बेस्ड, आर्ट बेस्ड और टॉय बेस्ड अभिनव शिक्षण को लागू करने पर काम करना होगा. पीएम श्री स्कीम से तीन राज्य बाहर दिल्ली, पंजाब और पश्चिम बंगाल इस योजना में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. यहां की सरकारें पहले से ही स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस और स्कूल ऑफ एमिनेंस नाम की योजनाएं चला रही हैं. जबकि पश्चिम बंगाल को स्कूलों के आगे पीएम श्री लगाना मंजूर नहीं था. उसका कहना था कि राज्य सरकार लागत का 40% वहन कर रही है तो पीएम श्री लगाने की अनिवार्यता नहीं होनी चाहिए. बता दें कि जिन राज्यों ने पीएम श्री ओएमयू पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं, उन्हें समग्र शिक्षा योजना के तहत केंद्र सरकार से धन नहीं मिला है. ये भी पढ़ें  कौन हैं लेडी सिंघम काम्या मिश्रा? 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