धरती पर 66 साल से मौजूद 1 वायरस साइंटिस्ट ने हल्के में लिया अब मचा रहा तबाही

HMPV Virus outbreak in China: चीन में एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के प्रकोप ने पूरी दुनिया में चिंता बढ़ा दी है. भारत समेत कई देश इस वायरस और इसके प्रसार पर कड़ी नजर रख रहे हैं. लेकिन क्या इससे घबराने की जरूरत है? क्या यह वायरस नया है, यह वायरस COVID-19 वायरस से कैसे मिलता-जुलता है? चलिए जानते हैं.

धरती पर 66 साल से मौजूद 1 वायरस साइंटिस्ट ने हल्के में लिया अब मचा रहा तबाही
HMPV Virus outbreak in China: दुनिया में तरह-तरह के वायरस होते हैं. कोई अधिक खतरनाक होता है तो कोई कम खतरनाक. समय-समय पर वैज्ञानिक इन वायरस की स्टडी करते हैं. उसके खात्मे के लिए वैक्सीन बनाते हैं. आज से ठीक 23 साल पहले भी दुनिया में एक वायरस आया था. उस वक्त वैज्ञानिकों को खबर तो हो गई. पर उन्होंने उस वायरस को बहुत हल्के में लिया. उस वायरस पर बहुत कुछ शोध नहीं हुआ. न ही वैज्ञानिकों ने उसकी वैक्सीन बनाई. आज वही वायरस अब तबाही मचाने को बेताब है. उस वायरस से दुनिया खौफजता हो चुकी है. सबको डर है कि कहीं यह वायरस कोरोना की तरह तबाही न मचा दे. कारण कि उस वायरस की वैक्सीन भी नहीं है. जी हां, हम बात कर रहे हैं, चीन में तबाही मचा रहे उस एचएमपीवी वायरस यानी ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस की. सबसे पहले जानते हैं कि यह वायरस क्या है. एचएमपीवी यानी ह्यूमन मेटापन्यूमोवायरस एक आरएनए वायरस है. यह न्युमोवायरिडे परिवार के मेटापन्यूमोवायरस क्लास से जुड़ा है. ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस एक आम श्वसन यानी सांस संबंधी वायरस है. यह श्वसन संक्रमण यानी जुकाम का कारण बनता है. यह वायरस एक तरह से मौसम है. इसका असर आमतौर पर सर्दी और शुरुआती वसंत में दिखता है. ठीक रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस और फ्लू की तरह. चीन में भी अभी सर्दी का सितम है. इसी सर्दी में यह मेटापन्यूमोवायरस कहर ढा रहा है. चीन में इस वायरस की चपेट में लाखों लोग आ चुके हैं. अस्पातालों में भीड़ बढ़ती जा रही है. हर ओर हाहाकार मच गया है. इसका असर भारत समेत कई देशों में दिख रहा है. भारत भी अलर्ट मोड पर आ चुका है. वैज्ञानिकों ने क्या हल्के में लिया? अब सवाल है कि क्या एचएमपीवी वायरस कोरोना वायरस की तरह ही नया है? आखिर कब आया यह वायरस? दरअसल, एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है. अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की मानें तो 23 साल पहले से ही यह वायरस धरती पर दुबक कर बैठा है. इसे पहली बार 2001 में खोजा गया था. एक्सपर्ट बताते हैं कि कुछ सेरोलॉजिक साक्ष्य बताते हैं कि यह वायरस कम से कम 1958 से फैला हुआ है. एचएमपीवी आरएसवी के साथ न्यूमोवायरिडे परिवार में आता है. यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक़ के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है. यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है. काफी सालों से मौजूद इस वायरस को वैज्ञानिकों ने कभी सीरियस नहीं लिया. वरना अब तक इसकी वैक्सीन बन गई होती. जी हां, एचएमपीवी वायरस की अब तक वैक्सीन नहीं बन पाई है. चीन में मचा है हाहाकार हालांकि, अब यही वायरस चीन में तहलका मचा रहा है. यह एक सामान्य श्वसन रोगजनक के रूप में पूरी दुनिया में फैल गया है. यह मुख्य रूप से खांसने और छींकने से निकलने वाली बूंदों से फैलता है. संक्रमित लोगों के साथ निकट संपर्क और दूषित वातावरण के संपर्क में आने से भी इस वायरस का संचरण हो सकता है. माना जाता है कि इस वायरस का संक्रमण काल ​​तीन से पांच दिनों का होता है. यह वायरस वैसे तो पूरे साल पाया जा सकता है. मगर यह सर्दी और वसंत में सबसे अधिक पाया जाता है. यही वजह है कि चीन में अभी लाखों-करोड़ों लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं. इसकी वजह से लोगों के चेहरे पर मास्क के दिन लौट आए हैं. भारत सरकार ने भी लोगों को सतर्क रहने को कहा है. Tags: China news, Health News, World newsFIRST PUBLISHED : January 6, 2025, 09:12 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed