Explainer: क्यों दुनियाभर के समुद्री जहाजों में काम करने वालों में भारतीय जरूर
Explainer: क्यों दुनियाभर के समुद्री जहाजों में काम करने वालों में भारतीय जरूर
दुनिया में कहीं से अगर किसी समुद्री जहाज या तेल टैंकर से जुड़ी खबरें आती हैं तो उसमें ये जरूर पता चलता है कि इसके जहाजी स्टाफ में कई भारतीय भी थे. कैसे भारतीय अब शिपिंग के लिए अपरिहार्य बन चुके हैं
हाइलाइट्स ओमान के उस तेल टैंकर में 13 के करीब भारतीय थे, जो पलट गया भारतीय दुनियाभर की जहाज कंपनियों में काम कर रहे हैं चीन और फिलीपींस के बाद शिपिंग में भारतीय तीसरी बड़ी वर्कफोर्स
जब भी दुनियाभर से किसी समुद्री जहाज के हाईजैक होने या हादसे की कोई खबर आती है तो उसमें ये जरूर होता है कि इस जहाज या तेल टैंकर के चालक दल के सदस्यों में भारतीय जरूर शामिल होते हैं. चाहे ये जहाज किसी भी देश का हो और कहीं जा रहा हो. इसी तरह की खबर 17 जुलाई को ओमान के तट पर एक तेल टैंकर के पलटने की आई, जिसमें 13 जहाजी भारतीय थे.
दरअसल पूरी दुनिया में फैली हुई शिपिंग को चलाने में अब भारतीय जहाजियों की भूमिका खासी अहम हो गई है. साथ ही ये ग्लोबल शिपिंग को काफी बड़ी तादाद में भारतीयों द्वारा संचालित किया जा रहा है. आंकड़े तो कम से कम यही बताते हैं. ये माना जाता है कि तीन देशों के ही जहाजी अपने काम में निपुण होते हैं, उसमें चायनीज, फिलिपीनो और भारतीय शामिल हैं. अनुमान है कि आने वाले समय में दुनिया में हर 05 जहाजी नाविकों में एक भारतीय जरूर होगा.
दुनियाभर का 90 फीसदी से ज्यादा सामान समुद्री मालवाहक जहाजों के जरिए एक से दूसरे देश में जाता है. भारतीय बहुत तेजी के साथ अगर ग्लोबल शिपिंग में बढ़े हैं. तो उनकी संख्या और भी ज्यादा तेजी से बढ़ी है. अगर मोटे तौर पर आंकड़ों की बात करें तो दुनियाभर में जहाजी बेडों, टैंकरों में करीब ढाई लाख भारतीय हैं जो इनमें अफसर वाली भूमिका हैं या फिर शिप पर्सनल के तौर पर काम कर रहे हैं. हालांकि ये भी कहना चाहिए ये पेशा दूसरे प्रोफेशन की तुलना में कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण और लंबे समय तक घर से दूर रखने वाला होता है.
मौजूदा समय में दुनिया में करीब 15 लाख मिलियन नाविक हैं. जिसमें सबसे ज्यादा चीनी हैं. लेकिन चीनियों के साथ सबसे खास बात यही है कि वो केवल उन्हीं जहाजों पर काम करते हैं, जिन पर उनके देश का झंडा लगा होता है. भारतीय नाविक अपने देश के साथ दूसरे देशों के जहाजों पर भी काम करते रहे हैं.
पिछले एक दशक में भारतीय नाविकों की संख्या में लगभग 270 प्रतिशत की बढोतरी हुई है. डेक अधिकारियों के लिए जारी किए गए योग्यता प्रमाणपत्रों की संख्या में 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
ग्लोबल शिपिंग में भारत का रोल क्या है
– चीन और फिलीपींस के बाद भारत दुनियाभर में तीसरा सबसे बड़ा नाविक देने वाला देश है.
– हालांकि अभी भारत का रेशियो दुनिया के लिहाज से 10 फीसदी है. जबकि चीन का 33 फीसदी. फिलीपींस की स्थिति भारत से बस कुछ ही ऊपर है, जिसको भारत इस दशक में पछाड़ सकता है.
– दुनियाभर में लगभग 2,50,000 भारतीय नाविक विशेष मालवाहक जहाजों पर सेवारत हैं.
खतरे भी कम नहीं
– वाणिज्यिक जहाजों पर हाल के समय में हमले बढ़े हैं और इसका भारतीय नाविकों पर भी साफतौर पर पड़ा है. सुरक्षा कारणों से बहुत से लोगों ने नौकरी छोड़ दी या छोड़ने पर विचार कर रहे हैं.
– अंतर्राष्ट्रीय समुद्री ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 महीनों में गंभीर समुद्री डकैती की घटनाओं में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई.
– कई देशों की शिपिंग कंपनियां भारतीय नाविकों को ज्यादा वेतन और मध्य पूर्व में अवसरों के झूठे वादों के साथ लुभाकर शोषण करती हैं.
– नाविकों को अक्सर ज्यादा काम करना पड़ता है. उन्हें अपर्याप्त भोजन दिया जाता है. 2020 से अब तक भारतीय समुद्री प्रशासन के पास नाविकों के शोषण के 200 से अधिक मामले आए हैं.
ये भी होता है नाविकों के साथ
रिपोर्टों से पता चलता है कि नाविकों को विदेशी जेलों में रखा गया है. विदेशी जलक्षेत्र में फंसाया गया और अवैध रूप से हिरासत में रखा गया.
कौन करता है इसका निपटारा
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंटरनेशनल मेरीटाइस आर्गनाइजेशन (International Maritime Organization) यानि आईएमओ, जिसे हिंदी में अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन कहेंगे, वो संयुक्त राष्ट्र की विशेष एजेंसी है, जो शिपिंग की सुरक्षा और जहाजों द्वारा समुद्री और वायुमंडलीय प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदार है. ये संस्था संयुक्त राष्ट्र संघ से काम करती है.
आमतौर पर ग्लोबल शिपिंग से जुड़े विवाद इसी संस्था के पास आते हैं. ये संस्था नाविकों की सुरक्षा और अनुबंध की शर्तों पर भी काम करती है. भारत ने बेहतर सेवाशर्तों के लिए इस संस्था के सामने आवाज उठाई है.
समुद्र में किस तरह के खतरे बढ़े
समुद्री डकैती, सशस्त्र डकैती, चरमपंथी हमले, क्षेत्रीय संघर्ष और ड्रोन हमलों तथा समुद्री हथियारों के उपयोग के खतरे बढ़ते जा रहे हैं.
भारत की व्यावसायिक जहाजी ताकत
– भारत के पास विदेश और तटीय आपरेशंस के लिए करीब 1,500 जहाजों का व्यापारिक समुद्री बेड़ा
– हालांकि 2021 में व्यापार और विकास समीक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुसार, भारत समुद्री परिवहन में विश्व स्तर पर 19वें स्थान पर.
– भारत का 95% विदेशी व्यापार समुद्री परिवहन द्वारा किया जाता है, इसमें 92% विदेशी झंडे वाले जहाज के माध्यम से किया जाता है.
– भारत विदेशी शिपिंग कंपनियों को समुद्री माल ढुलाई के रूप में सालाना अनुमानित $85 बिलियन में $75 बिलियन का भुगतान करता है.
भारत में कैसी है जहाजियों की ट्रेनिंग
– भारत में इसकी ट्रेनिंग के लिए कई इंस्टीट्यूट हैं, जिससे सालाना करीब 5,000 नए नाविक निकलते हैं. हालांकि इतने सारे लोगों के लिए देश में नौकरी एक समस्या ही है.
– भारत के पास मर्चेंट नेवी संस्थानों और अन्य समुद्री प्रशिक्षण केंद्रों सहित नाविकों को प्रशिक्षण देने के लिए एक मजबूत शैक्षणिक बुनियादी ढांचा है.
क्यों दुनिया में और बढ़ेगी जहाजियों की तादाद
– भारत में अच्छी समुद्री शिक्षण संस्थान, इनकी संख्या करीब 166 की है
– यूरोप के नाविक तेजी से उम्रदराज हो रहे हैं
– रूस और यूक्रेन से जहाजी मिलने कम हुए
– भारतीय नाविकों में अंग्रेजी बोलने और समझने की दक्षता
Tags: Indian OceanFIRST PUBLISHED : July 17, 2024, 18:55 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed