बांग्लादेश और जापान ने क्यों बंद की EVM से वोटिंग पाकिस्तान क्या करेगा

EVM Controversy: हाल में दुनिया के दो देशों ने चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल बंद कर दिया. वो वापस बैलेट बॉक्स और कागज के मत पत्रों पर लौट आए.

बांग्लादेश और जापान ने क्यों बंद की EVM से वोटिंग पाकिस्तान क्या करेगा
हाइलाइट्स पाकिस्तान ने ईवीएम का प्रोटोटाइप तैयार किया है जर्मनी और नीदरलैंड ने भी इसकी वोटिंग को बैन कर दिया आयरलैंड ने भी माना कि इसमें छेड़छाड़ हो सकती है झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद ईवीएम यानि इलैक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें फिर चर्चा में हैं. कांग्रेस इनका विरोध कर रही है. इसके लिए बड़ा आंदोलन करने की बात कर रही है. क्या आपको मालूम है कि भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश ने हाल ही में अपने यहां चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इसी तरह एशियाई देश जापान ने भी ईवीएम की विश्वसनीयता को संदेहजनक मानते हुए उसे इलैक्शन में बैन कर दिया है. हाल के बरसों में कई देशों ने इस पर रोक लगाई है, मसलन – जर्मनी, नीदरलैंड और आयरलैंड. हालांकि कई देश इसके प्रयोग पर विचार भी कर रहे हैं, जैसे पाकिस्तान. चुनावों में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का उपयोग बंद करने वाला नवीनतम देश जापान है, जिसने 2018 में नगरपालिका चुनावों के बाद इसका उपयोग बंद कर दिया सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर चिंताओं के कारण इस देश ने ये फैसला लिया. क्योंकि जापान में ईवीएम को संभावित छेड़छाड़ और मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी के लिए जांच का सामना करना पड़ा. पाकिस्तान ईवीएम से चुनाव पर विचार कर रहा है हालांकि कई देश अपने यहां चुनावों के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) का उपयोग करने की संभावना तलाश रहे हैं या शुरू करने वाले हैं. उसमें पाकिस्तान शामिल है, जिसने एक प्रोटोटाइप ईवीएम विकसित किया है. अपने आगामी चुनाव इसके जरिए कराने पर विचार कर रहा है. हालांकि इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. बांग्लादेश लौट आया बैलेट बॉक्स पर  बांग्लादेश ने 2018 के आम चुनावों में तो ईवीएम का उपयोग किया लेकिन उसके बाद जब विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया तो बांग्लादेश ने 2023 के आम चुनावों से पारंपरिक मतपेटियों का उपयोग करना शुरू कर दिया. अगले साल भी बांग्लादेश में जो चुनाव होने जा रहे हैं वो ईवीएम पर नहीं बल्कि बैलेट बॉक्स के जरिए ही होंगे. बांग्लादेश में विशेष रूप से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने ईवीएम के दुरुपयोग के आरोप लगाए. मतपत्रों पर वापस लौटने की मांग की. इस राजनीतिक दबाव ने चुनावी विश्वसनीयता और सार्वजनिक विश्वास को बढ़ाने के लिए बांग्लादेश इलेक्शन कमिशन के फैसले को प्रभावित किया. ऐसे में बांग्लादेश ने नई ईवीएम खरीदने के करीब 8,711 करोड़ टका (लगभग 1 बिलियन डॉलर) के महत्वपूर्ण बजट के बीईसी के प्रस्ताव को सरकार ने अस्वीकार कर दिया. बांग्लादेश ने अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय चुनावी प्रक्रिया के उद्देश्य से अधिक पारंपरिक मतदान पद्धति पर लौटने का निर्णय लिया. जर्मनी में कोर्ट ने कहा ईवीएम असंवैधानिक जर्मनी में 2009 में एक जर्मन अदालत ने फैसला सुनाया कि ईवीएम असंवैधानिक हैं. मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और सार्वजनिक जांच पर चिंताओं के कारण उन्हें बंद कर दिया गया. जर्मनी में निष्कर्ष निकाला गया कि ईवीएम सार्वजनिक जांच के लिए संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती हैं. अदालत ने पाया कि ईवीएम कंप्यूटर आधारित प्रणाली होने के कारण ये आम नागरिकों के लिए स्वाभाविक रूप से अपारदर्शी थे. जर्मन कोर्ट ने माना कि ईवीएम में हो सकती है हेरफेर  न्यायालय ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग सिस्टम में त्रुटियों या जानबूझकर हेरफेर की संभावना को स्वीकार किया, जो चुनाव परिणामों की अखंडता से समझौता कर सकता है. यह चिंता विशेष रूप से प्रासंगिक थी क्योंकि पिछले चुनावों में इस्तेमाल किए गए ईवीएम की सुरक्षा को लेकर आरोप लगाए गए थे. इस फैसले के बाद जर्मनी ने फिर से कागजी मतपत्रों का उपयोग करना शुरू कर दिया. नीदरलैंड में आलोचना के बाद लगा ईवीएम पर बैन नीदरलैंड में जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठने शुरू हुए तो लंबी आलोचना के बाद वहां उनका उपयोग बंद कर दिया गया. यह निर्णय स्वतंत्र आयोगों के निष्कर्षों और वकालत समूहों के सार्वजनिक दबाव से प्रभावित था. रिपोर्ट में कहा गया कि इनसे छेड़छाड़ संभव दरअसल नीदरलैंड में 2006 में, समूह “वी डू नॉट ट्रस्ट वोटिंग कंप्यूटर्स” ने नेडैप/ग्रोनेंडाल ES3B वोटिंग मशीनों की सुरक्षा खामियों को उजागर करते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसका कहना था कि देशभर के मतदान केंद्रों पर इन मशीनों से छेड़छाड़ की जा सकती है और अगर कोई चुनाव से पहले उन तक पहुंच प्राप्त कर लेता है तो चुनाव परिणामों को बदलने के लिए उनमें हेरफेर किया जा सकता है. इन चिंताओं के जवाब में डच संसद ने स्थिति की जांच करने के लिए दो स्वतंत्र आयोगों की स्थापना की. वोटिंग मशीन निर्णय लेने वाले आयोग ने जांच की कि ईवीएम के लिए पिछली स्वीकृतियां कैसे दी गईं. ये पाया कि सुरक्षा मुद्दों पर अपर्याप्त ध्यान दिया गया था और आंतरिक मंत्रालय के भीतर तकनीकी ज्ञान की कमी थी. फिर जर्मनी में ईवीएम से चुनाव अमान्य हो गए चुनाव प्रक्रिया सलाहकार आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक मतदान प्रणाली के पर्याप्त रूप से पारदर्शी या विश्वसनीय नहीं होने का हवाला देते हुए कागज़ के मतपत्रों पर वापस लौटने की सिफारिश की. इन निष्कर्षों के बाद 1 अक्टूबर, 2007 को, एक अदालती फैसले द्वारा सभी ईवीएम को अमान्य कर दिया गया. सरकार ने घोषणा की कि भविष्य के चुनावों में कागज़ के मतपत्रों का उपयोग किया जाएगा. आयरलैंड और इटली ने भी इसे अविश्वसनीय पाया आयरलैंड ने 2010 में अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली को खत्म कर दिया, क्योंकि यह अविश्वसनीय और पारदर्शिता की कमी वाली पाई गई. आयरलैंड की तरह इटली ने भी सुरक्षा और पारदर्शिता के बारे में समान चिंताओं का हवाला देते हुए 2009 में ईवीएम के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया. आयरलैंड ने अपनी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) प्रणाली को मुख्य रूप से सुरक्षा, पारदर्शिता और सार्वजनिक विश्वास संबंधी चिंताओं के कारण रोक दिया. ये फैसला यूं ही नहीं लिया गया बल्कि ये इस तरह के लगातार आरोपों के बाद उठाया गया, जिसने ईवीएम प्रणाली में खामियों को उजागर किया. गोपनीय रिपोर्ट ने कहा इससे चुनाव विश्वसनीय नहीं होंगे वहां वर्ष 2002 में एक गोपनीय रिपोर्ट ने परीक्षणों के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली वोटिंग मशीनों की सुरक्षा के बारे में गंभीर संदेह जताया था. रिपोर्ट ने कहा कि ईवीएम से चुनाव पर विश्वसनीयता की गारंटी नहीं दी जा सकती. यहां हैकर्स ने प्रदर्शन करके दिखाया कि इन मशीनों को कैसे हैक किया जा सकता है. जिससे उनकी सुरक्षा को लेकर विश्वास और कम हो गया. Tags: Delhi Elections, Vote countingFIRST PUBLISHED : December 2, 2024, 15:14 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed