Explainer: तीन महीने में दिखेगा अल नीना का जलवा भारतीय मौसमों पर होगा असर
Explainer: तीन महीने में दिखेगा अल नीना का जलवा भारतीय मौसमों पर होगा असर
विश्व मौसम विभाग का कहना है कि प्रशांत महासागर में होने वाला खतराक ला नीना के हालात अगले तीन महीनों में तो बनेंगे, लेकिन वह लंबे समय तक कायम नहीं रहेंगे. ला नीना की वजह से भारत में तेज मानसून आने का कारण बनता है, जिससे औसत बारिश अधिक हो जाती है और सर्दियां ज्यादा ठंडी होती हैं. ऐसे में अगले साल में भारत के मौसम पर इस का मानसून पर असर पड़ सकता है.
हाइलाइट्स WTO का अनुमान, 3 महीनों में दिखेगा ला नीना इस बार कमजोर होगा इसका असर भारत का मानसून और ठंड होंगे प्रभावित
दुनिया में हर कुछ सालों में अल नीनो और ला नीनो का असर देखने को मिलता है. वैसे तो .ये प्रभाव प्रशांत महासागर में देखने को मिलते हैं, लेकिन यहां से केवल इनकी शुरुआत होती है और इनका असर पूरी दुनिया, खास तौर से एशिया यूरोप और अमेरिका में देखने को मिलता है. इस साल भीषण गर्मी की वजह से अल नीनो का असर था. यही कारण था कि यूरोप अमेरिका और एशिया ने इस साल गर्मियों के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. अब विश्व मौसम विभाग ने बताया है कि दुनिया के मौसम के अगले तीन महीने तक ला नीना के हालात बनने के आसार है. ऐसे में इसका भारत पर क्या असर होगा? क्या इसका मानसून पर असर होगा और क्या इससे गर्मी बढ़ेगी या ठंड बढ़ जाएगी?
क्या कहा है मौसम विभाग ने?
विश्व मौसम विभाग का अनुमान है कि अभी दुनिया का मौसम सामान्य है. और इसके दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक ला नीना की ओर जाने की 55 फीसदी संभावना है. लेकिन इसके कमजोर होने की संभावना कम ही है जिससे अधिक संभावना यही है कि यह लंबा नहीं होगा. और फिर फरवरी से अप्रैल 2025 तक हालात ला नीना से सामान्य की ओर लौटने लगेंगे.
क्या होता है ला नीना?
ला नीना औ अल नीनो दोनों ही प्रशांत महासागर में होने वाली घटनाएं हैं. लेकिन इसका असर पूरी दुनिया के मौसम को असामान्य रूप से दिखाई देता है. जब दक्षिणी प्रशांत महासागर में पानी ठंडा होने लगता है, तो उसके प्रभाव से पश्चिम की ओर एशिया और यूरोप की ओर व्यापारिक पवनें बहुत तेज चलने लगती हैं. और प्रशांत महासागर का गर्म पानी एशिया की ओर खिसकने लगता है. ला नीनो की शुरुआत दक्षिणी प्रशांत महासागर से होती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
क्या होता है ला नीना का असर
ला नीना का असर दुनिया के उत्तरी और दक्षिणी भाग में अलग अलग होता है. जहां दक्षिणी गोलार्द्ध् के देशों में भीषण गर्मी, जंगल की आग जैसी घटनाएं देखने को मिलती हैं. तो वहीं दूसरी तरफ उत्तर के देशों में ज्यादा ठंडी देखने को मिलती है. यानी इस बार यूरोप, अमेरिका और एशिया मे ज्यादा ठंड पड़ सकती है.
भारत पर कैसा असर?
भारत पर अल नीनो और ला नीना का असर गर्मी और सर्दी के अलावा मानसून पर पड़ता है. अगर इस बार ला नीना का असर दिखा तो इस साल देश में सामान्य से अधिक बारिश देखने को मिल सकती है और मानसून का मौसम लंबा भी देखने को मिल सकता है. इसके अलावा ठंड का मौसम भी लंबा और ज्यादा ठंडा हो जाता है. ला नीना के असर से प्रशांत महासागर से एशिया की ओर हवाएं तेज चलेंगी और इसका असर मानसून पर निश्चित तौर से पड़ेगा. चाहे कम हो या ज्यादा! विश्व मौसम विभाग ने खुद अपने ही पूर्वानूमान में बदलाव किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
शायद ज्यादा ना हो पाए ठंड
विश्व मौसम विभाग के सेक्रेटरी जनरल सेलस्टो साउलो ने एक बयान में बताया कि साल 2024 में अल नीनो के असर के कारण दुनिया के उत्तरी देशो में रिकॉर्ड गर्मी देखने को मिली थी. भले ही ला नीना प्रभाव देखने को मिला, तो भी वह रिकॉर्ड गर्मी के असर को कम करने के लिए काफी नहीं होगा.
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अगर ऐसा होता भी है तो हमारे देश में मानसून के मौसम में बारिश सामान्य से अधिक हो सकती है, लेकिन हां, उसके बाद का ठंड का मौसम कैसा होगा इस पर कहना शायद जल्दबाजी हो ऐसे में मार्च तक यह साफ हो जाएगा कि क्या वाकई में ला नीनो का असर कम है या कुछ अधिक. वैसे भी विभाग ने खुद ही इसकी संभावना अभी 55 फीसदी बताई थी. जबकि बीते सितंबर में यह अनुमान 60 फीसदी का था. फिर भी इन अनुमानों को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि इससे हमें संभावनाओं के लिए तैयार रहने का मौका मिल जाता है.
Tags: Bizarre news, Science facts, Science news, Shocking news, Weird newsFIRST PUBLISHED : December 13, 2024, 11:31 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed