वो अंग्रेजन जिसने 90 साल पहले साउथ इंडिया में बनाया फेमस मंदिरखुद बनी हिंदू

ये सच्ची कहानी प्यार की भी है. धर्म की भी. आस्था की भी. उस भगवान की भी, जिन्हें तमिलनाडु अपना रखवाला मानता है. जिस मंदिर की बात हो रही है उसे एक अंग्रेज महिला लिलियन ने बनवाया था.

वो अंग्रेजन जिसने 90 साल पहले साउथ इंडिया में बनाया फेमस मंदिरखुद बनी हिंदू
हाइलाइट्स इस युवती का नाम था रोजा लिलियन हैरिसन, जो आस्ट्रेलिया में पैदा हुई थी आध्यात्मिकता की तलाश में वह श्रीलंका चली आई, फिर कोडाईकनाल को घर बना लिया लिलियन फिर लीलावती बन गईं, फिर कोडाईकनाम में प्रसिद्ध मंदिर बनवाया बात आस्ट्रेलिया से शुरू होती है. वहां की एक अंग्रेज महिला लिलियन धर्म के मायने तलाशने आई. उसने दक्षिण भारत में 90 साल पहले ऐसा मंदिर बनवाया जो अब देश के प्रसिद्ध मंदिरों में एक बन चुका है. उन्होंने केवल हिंदू धर्म ही स्वीकार नहीं किया बल्कि कई हिंदू धर्म ग्रंथों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया. लिलियन कैसे लीलावती बन गईं. कैसे आस्ट्रेलिया से आकर वह एक एक हिंदू तमिल के प्यार में बंधी. उन्हें जीवनसाथी बनाया. फिर कैसे एक प्रसिद्ध मंदिर बनवाया, इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. इस मंदिर का नाम है किरंजी अंदावर मंदिर. ये भगवान मुरुगन यानि कार्तिकेय का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है. दूर दूर से लोग इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. कोडाईकनाल आने वाले सैलानियों की यात्रा भी बगैर इस मंदिर में आए पूरी नहीं मानी जाती. ये मंदिर जिस जगह है, वहां चारों ओर खूबसूरत हरी-भरी वैली है. जहां 12 साल में एक बार चिरंजी नाम का फूल जब खिलता है तो पूरी वैली और आसपास का इलाका नीले रंग में चहकने लगता है. कोडाईकनाल में किरंजी मंदिर के आसपास हरी भरी वादियां हैं और ये मंदिर बहुत शांति का अहसास कराता है. लिलियन से लीलावती बनीं युवती की कहानी अब आइए लिलियन से लीलावती की दिलचस्पी कहानी बताते हैं और ये भी कैसे एक अंग्रेज महिला हिंदू बनी और उसने एक प्रसिद्ध मंदिर बनवाया. लोग दक्षिण भारत और श्रीलंका में उन्हें लेडी रामनाथन के नाम से जानते हैं. लेडी रामनाथन का जन्म ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया में रोजा लिलियन हैरिसन के रूप में हुआ था. उनके माता-पिता, फ्रेडरिक ड्रेक हैरिसन और मैरी लॉयड पूल, दोनों ही बचपन में इंग्लैंड से ऑस्ट्रेलिया चले गए थे. उनके पिता सोने की खदान में काम करते थे आध्यात्मिक गुरु ही फिर पति बन गए एक युवा महिला के रूप में वह थियोसोफिकल आंदोलन से आकर्षित हुईं. आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में श्रीलंका पहुंचीं, जो तब सीलोन के नाम से जाना जाता था. ओन्नम्बलम रामनाथन उनके गुरु बने. वह सीलोन में सॉलिसिटर जनरल भी थे. कई सालों से विधुर थे. श्रीलंका आने के बाद वह धीरे-धीरे हिंदू धर्मग्रंथों की ओर आकर्षित होने लगीं. उन्होंने हिंदू धर्म और संस्कृति को अपनाने का फैसला किया. उनका समय आमतौर पर रामनाथन के साथ ही गुजरता था. दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया. तब उन्होंने आपस में शादी करने का फैसला किया. उनसे 22 साल बड़े रामनाथन जाफ़ना प्रायद्वीप में जन्मे देशी सिविल सेवकों के एक धनी परिवार से थे. ये हैं लिलियन जिन्होंने कोडाईकनाल में ऐसा मशहूर मंदिर बनाया कि अब ये साउथ इंडिया का लार्ड मुरुगन सबसे बड़ा मंदिर बन गया है. (विकी कामंस) वह ईसाई से हिंदू बन गईं, कोडाईकनाल में रहने लगीं शादी के बाद वह ईसाई से हिंदू बन गईं. लीलावती नाम अपना लिया. हिंदू धर्म से जुड़ाव के बाद उनका काफी समय कोडईकनाल में गुजरने लगा. यहां उनके तीन घर थे. पति के निधन के बाद विधवा के कपड़े पहनने लगीं जब 1930 में उनके पति सर रामनाथन की मृत्यु हुई तो उन्होंने हिंदू विधवा का सफेद वस्त्र पहनना शुरू कर दिया. पति की याद में कुरिंजी अंदावर मंदिर बनवाया. वह हर दोपहर उसमें पूजा -अर्चना करती थीं. हिंदू अखबार ने क्या लिखा निधन पर 31 जनवरी 1953 के दिन द हिंदू अखबार में श्रीमती लीलावती रामनाथन के निधन की खबर छपी. कोलंबो में हिंदू के संवाददाता के हवाले से छपी खबर में कहा गया कि लेडी रामनाथन का निधन श्रीलंका के जाफना स्थित रामनाथन कॉलेज के परिसर में हो गया. वह 83 वर्ष की थीं. 1942 में सीलोन विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ की मानद उपाधि प्रदान की गई. लेडी रामनाथन ने कई किताबें लिखीं, जिनमें रामायण का अंग्रेजी संस्करण भी शामिल है. दो हिंदू मंदिर बनवाए थे श्रीमती रामनाथन ने दो कॉलेज के साथ दो हिंदू पूजा मंदिर बनवाए थे. एक कोलंबो में और दूसरा कोडईकनाल में. कोड़ाईकनाल में उन्होंने किरंजी अंदावर मंदिर बनवाने का फैसला इसलिए किया क्योंकि उनके धार्मिक गुरु यहीं रहते थे. उन्होंने कोडाईकनाल में जहां मंदिर बनवाया, वो जगह बहुत खूबसूरत और पवित्र लगी थी. किरंजी अंदावर मंदिर के पीछे फैली हुई सुंदर वैली. (Photo – Sanjay Srivastava) हरी वादियों के बीच खूबसूरत कुरंजी अंदावर मंदिर अब आइए इस मंदिर की बात करते हैं. ये मंदिर मेरी कोडाईकनाल यात्रा के दौरान होटल से इतना करीब था कि मैं यहां आराम से पैदल जाया जा सकता था. मंदिर के रास्ते में खूबसूरत चेट्टियार पार्क अगर मुग्ध करता है तो मंदिर के करीब हरी भरी घाटियां और सीढ़ीदार खेत मंत्रमुग्ध करते हैं. यहां रोज बादल आकर मंदिर के पैर छूते हैं यहां बादल रोज नीचे उतरते हैं और दिनभर ऊपर नीचे होने का खेल खेलते रहते हैं. मंदिर के परकोटे में खड़े होने पर अक्सर ये बादल उसके इर्द गिर्द या नीचे नजर आते हैं. ऐसा लगता है कि ये रोज भगवान अंदावर को चरण स्पर्श कर रहे हों. यहां रोज बादल जमीन तक उतरते हैं. तकरीबन रोज ही यहां हल्की फुल्की बारिश भी हो जाती है. मौसम बहुत तेजी से यहां बदलता है. कभी आसमान में सुनहरा सूरज और चमकती धूप तो कुछ समय बाद बादलों की भरपूर चादर. बूंदाबांदी या आसमान से गिरती हुई ओस. भगवान अंदावर यानि लार्ड मुरुगन भगवान अंदावर यानि लार्ड मुरुगन तमिलनाडु के पहाड़ों के मुख्य देवता हैं. मंदिर में यहां उनकी दुर्लभ मूर्ति है. ऐसी आंखें जो सम्मोहित कर लें. मंदिर में जटिल नक्काशी और सुंदर चित्र लुभावने हैं, जो अवाक कर देंगे. तमिल शब्द कुरिंजी और अंदावर क्रमशः ‘पहाड़ी क्षेत्र’ और ‘भगवान’ को बताते हैं. मंदिर में यहां रोज भी काफी हलचल होती है. साल में कुछ समय उत्सव होते हैं. तब यहां काफी भीड़ आती है. हर साल मई महीने में मंदिर में एक भव्य समारोह मनाया जाता है. Tags: Hindu Temple, Hindu Temples, South India, Tamil naduFIRST PUBLISHED : August 22, 2024, 19:32 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed