अर्जुन सिंह ने क्यों छोड़ दिया था यूनियन कार्बाइड प्रमुख वॉरेन एंडरसन को
अर्जुन सिंह ने क्यों छोड़ दिया था यूनियन कार्बाइड प्रमुख वॉरेन एंडरसन को
Bhopal Gas Tragedy: दुनिया के सबसे त्रासद औद्योगिक हादसे का जिम्मेदार यूनियन कार्बाइड का प्रमुख वारेन एंडरसन सजा से बच निकला. उसे भोपाल से निकल भागने में उस समय की मध्य प्रदेश सरकार ने मदद की. भोपाल के दो बड़े अधिकारी उसे विशेष विमान तक छोड़कर आए. यह सवाल आज भी उठता है कि आखिर तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने उसे क्यों जाने दिया.
हाइलाइट्स आज भी ये सवाल है कि वॉरेन एंडरसन को भारत सरकार ने क्यों बचकर जाने दिया एंडरसन त्रासदी के बाद भोपाल आए लेकिन उन्हें सुरक्षित भोपाल से जाने दिया गया 40 साल पहले हुए गैस कांड में करीब 23 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई
Bhopal Gas Tragedy: साल 1984 में दो-तीन दिसंबर की वो दरमियानी रात थी. शहर भोपाल के साथ-साथ यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री भी सोई पड़ी थी. तकनीकी कारणों से पिछले कुछ दिनों से फैक्ट्री में प्रोडक्शन ठप था, लेकिन उसके 610 टैंकों में भरी जहरीली मिथाइल आइसो सायनाइड गैस सांस ले रही थी. रात को यूनियन कार्बाइड के प्लांट नंबर ‘सी’ में टैंक नंबर 610 में जहरीली मिथाइल आइसो सायनाइड गैस के साथ पानी मिलना शुरू हुआ. गैस के साथ पानी मिलने से रासायनिक प्रक्रिया शुरू हो गई. तीन दिसंबर की अल सुबह तक टैंक में दबाव पैदा हुआ और वह खुल गया. टैंक खुलते ही जहरीली मिथाइल गैस रिसते हुए हवा में घुलना शुरू हो गई.
40 टन गैस हुई थी लीक
सूरज उगने से पहले महज कुछ घंटों के अंदर गैस हवा के झोंके के साथ आसपास के इलाकों में फैलना शुरू हो गई. उसी के साथ रात को सुकून की नींद सोए लोग मौत की आगोश में चले गए. लोगों को मौत की नींद सुलाने में विषैली गैस को औसतन तीन मिनट लगे. सुबह होने तक जहरीली गैस ने अपना दायरा बढ़ाया और देखते ही देखते हजारों लोग मौत की भेंट चढ़ गए. कारखाने के पास वाली झुग्गी बस्ती सबसे बुरी तरह प्रभावित हुई. उस जहरीली गैस ने सब कुछ तबाह कर दिया था. उस दिन 40 टन मिथाइल आइसो सायनाइड गैस प्लांट से लीक हुई. करीब 5.21 लाख लोग इससे प्रभावित हुए.
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3 दिन में मर गए 3000 लोग
उन तीन दिनों में भोपाल और उसके आसपास के इलाके ने तबाही का मंजर देखा. तीन हजार से ज्यादा लोगों की मौत शुरुआती दिनों के अंदर हुई. पूरे गैस कांड में करीब 23 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई. 25 हजार से ज्यादा लोग इस गैस कांड के चलते पूरी तरह से शारीरिक तौर पर असक्षम हो गए. ये आंकड़ा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने जारी किया था. इंसानों के अलावा 2000 से ज्यादा जानवर भी इस गैस त्रासदी का शिकार बने. सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, त्रासदी में 3828 लोगों की मौत और 18,922 लोग जीवन भर के लिए बीमार और 7172 लोग निशक्त हो गए थे. भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री, जो तबसे बंद पड़ी है.
एंडरसन का जाना रहस्य से कम नहीं
इस पूरे कांड के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन (Warren Anderson) को लेकर आज तक राजनीति होती है. उसका नाटकीय ढंग से भोपाल से जाना, आज भी एक रहस्य से कम नहीं. हालांकि वारेन एंडरसन की मौत दस साल पहले ही हो चुकी है. आज भी ये अबूझ सवाल है कि इस भयावह हादसे के मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन को भारत सरकार ने क्यों बचकर जाने दिया. उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. बाद में अदालत में भी उस पर ढंग से मुकदमा नहीं चल सका. जबकि इस घटना को दुनिया के औद्योगिक इतिहास की सबसे बड़ी दुर्घटना कहा जाता है.
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दो अधिकारियों ने बैठाया था विमान में
गैस त्रासदी के दौरान मोती सिंह भोपाल के कलेक्टर और स्वराज पुरी पुलिस अधीक्षक (SP) थे. हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड के तत्कालीन चीफ वॉरेन एंडरसन भोपाल आए थे. मौके का मुआयना कर वो आनन-फानन में यहां से रवाना भी हो गया था. एंडरसन को भगाने में मदद करने का आरोप इन दोनों अफसरों पर लगा था. बताया जाता है कि इन दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने वॉरेन एंडरसन को विशेष विमान तक सरकारी वाहन से खुद छोड़ा था. मोती सिंह और स्वराज पुरी के खिलाफ भोपाल जिला अदालत में आपराधिक मामला दर्ज हुआ था. उनके खिलाफ धारा 212, 217 और 221 के तहत परिवाद दर्ज हुआ था. पूरे गैस कांड में करीब 23 हजार से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवाई.
दोनों अधिकारियों को हाईकोर्ट से राहत
भोपाल जिला अदालत की कार्यवाही को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी थी. याचिका में दलील दी गयी थी कि इस मामले में 26 साल बाद संज्ञान लिया गया. जबकि कानून के मुताबिक घटना के तीन साल के भीतर कार्यवाही की जाना चाहिए थी. ये भी कहा गया कि शिकायत निराधार और सिर्फ मैगजीन, मीडिया और किताबों में छपी कहानी के आधार पर की गयी थी. त्रासदी के दौरान तत्कालीन कलेक्टर रहे मोती सिंह और एसपी स्वराज पुरी को जबलपुर हाईकोर्ट ने बाद में राहत दी है. हाईकोर्ट ने दोनों के खिलाफ भोपाल जिला अदालत में चल रहे आपराधिक मामले बंद करने का आदेश दिया था.
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सीबीआई जांच के बाद चला केस
इस पूरे मामले की जांच राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने सीबीआई से कराई थी. घटना की तीन साल तक जांच करने के बाद सीबीआई ने वॉरेन एंडरसन सहित यूनियन कार्बाइड के 11 अधिकारियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी. एंडरसन को कभी भारत नहीं लाया जा सका. उसकी अनुपस्थिति में ही पूरा केस चला. जून 2010 में इस मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. फैसले में कार्बाइड के अधिकारियों को जेल और जुर्माने की सजा सुनाई. अधिकारियों ने जुर्माना भरा और सेशन कोर्ट में अपील दायर कर दी. एंडरसन की मौत दस साल पहले अमेरिका में हो चुकी है. निचली अदालत ने जिन्हें सजा सुनाई, उन्होंने अपील कर अपने आपको जेल जाने से बचा लिया.
अमेरिका तक लड़ी गई लड़ाई
भोपाल में 3 दिसंबर को गैस कांड की बरसी मनाई जाती है. इन 40 सालों में कई गैर सरकारी संगठनों ने मुआवजे की लड़ाई अमेरिका तक जाकर लड़ी. एंडरसन को भारत लाए जाने की मांग को लेकर भी अदालती कार्यवाही हुई. लेकिन, कोई भी सरकार एंडरसन को भारत नहीं ला सकी.
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डीएम ने बताया, सीएम ने दिया था आदेश
भोपाल गैस कांड के समय कलेक्टर रहे मोती सिंह ने अपनी किताब ‘भोपाल गैस त्रासदी का सच’ में उस सच को भी उजागर किया, जिसके चलते एंडरसन को भोपाल से जमानत देकर भगाया गया. मोती सिंह ने अपनी किताब में पूरे घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए लिखा, “एंडरसन को अर्जुन सिंह के आदेश पर छोड़ा गया था. एंडरसन के खिलाफ पहली FIR गैर जमानती धाराओं में दर्ज की गई थी. इसके बाद भी उन्हें जमानत देकर छोड़ा गया.” घटना के जिम्मेदार कार्बाइड के अधिकारी ज्यादा से ज्यादा 14 दिन ही जेल में रहे हैं. जबकि घटना से प्रभावित हजारों लोग आज भी तिलतिल कर मर रहे हैं.
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सरकार का फोकस मुआवजे पर रहा
भोपाल गैस दुर्घटना के आरोपियों को सजा दिलाने के बजाए सरकार की दिलचस्पी पीड़ितों के लिए कार्बाइड कंपनी से मुआवजा वसूल करने में ज्यादा रही. जब भी भोपाल में आरोपियों को कानून से बचाने को लेकर हल्ला मचा सरकार बचाव में मुआवजे की बात करने लगती है. 1989 में हुए समझौते के तहत यूनियन कार्बाइड ने 705 करोड़ रुपये का मुआवजा पीड़ितों के लिए मध्य प्रदेश सरकार को दिया था. इस समझौते के लगभग 21 साल बाद केंद्र सरकार ने एक विशेष अनुमति याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर कर 7728 करोड़ रुपये के मुआवजे का दावा किया. यूनियन कार्बाइड एक बहुराष्ट्रीय कंपनी थी. बाद में इसका विलय डाव केमिकल कंपनी, (यूएसए) में हो गया. अगस्त 2017 से डाव केमिकल कंपनी, (यूएसए) का ई.आई डुपोंट डी नीमोर एंड कंपनी के साथ विलय हो जाने के बाद यह अब डाव-डुपोंट के अधीन है.
Tags: Arjun singh, Bhopal Gas Tragedy, Bhopal news, Gas leakFIRST PUBLISHED : December 3, 2024, 15:24 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed