पिता के रूप में कैसे थे मनमोहन कैसे पाला बेटियों को रखे थे सबके निकनेम

इसमें कोई शक नहीं दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपनी बेटियों को वो माहौल दिया जिससे उन्होंने अलग अलग क्षेत्रों में खास मुकाम बनाया. आमतौर पर उनकी बेटियां अलग तरह की थीं.

पिता के रूप में कैसे थे मनमोहन कैसे पाला बेटियों को रखे थे सबके निकनेम
हाइलाइट्स बेटियों को पूरी आजादी देते थे, पढ़ाई पर जोर था बेटियों को छूट थी कि अपने रास्ते और करियर खुद चुनें कभी सख्त पिता नहीं रहे बल्कि फैमिली में हंसी-मजाक करते थे मतौर पर हमारे देश में प्रधानमंत्रियों की संतानें सियासत में ही कूदती हैं. लेकिन मनमोहन सिंह की तीनों बेटियां शिक्षाविद्, इतिहासकार, लेखक और मानवाधिकारवादी बनीं. क्या थी इसकी वजह. क्या मनमोहन उन्हें घर में एकदम अलग किस्म का माहौल दिया, जो तीनों बेटियां अपने क्षेत्रों में क्रिएटिव बनीं. डिफरेंट काम किया. कैसे पिता थे वह. कैसे उन्होंने अपनी बेटियों को पाला. डॉ. मनमोहन सिंह की तीनों बेटियों ने अपने पिता की पेरेंटिंग शैली के बारे में कई इंटरव्यू और लेखों के जरिए बताया है. बेटियों ने उनके व्यक्तित्व, साधारण जीवनशैली, और पारिवारिक मूल्यों की सराहना की है. उन्होंने उनकी शैक्षणिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया और उनकी पसंद का सम्मान किया, जिससे उन्हें राजनीति में दबाव डाले बिना इतिहास, साहित्य और कानून में सफल करियर बनाने की अनुमति मिली.उनके पालन-पोषण के दृष्टिकोण और शिक्षा पर जोर ने बेटियों के मीनिंगफुल सफल करियर को आकार दिया. सरलता और विनम्रता उनकी तीनों बेटियों उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह ने बताया कि मनमोहन सिंह हमेशा एक साधारण और विनम्र व्यक्ति रहे हैं. उन्होंने परिवार में अनुशासन और उच्च नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया, लेकिन कभी सख्ती से चीजें नहीं थोपीं. उनकी अपनी चुनौतियों ने उन्हें लचीलापन सिखाया, जिसे उन्होंने अपनी बेटियों को दिया, उन्हें बाधाओं के बावजूद उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह द्वारा अपने पेरेंट्स और परिवार पर लिखी गई किताब “स्ट्रिक्टली पर्सनल – मनमोहन एंड गुरुशरण”. शिक्षा पर जोर डॉ. मनमोहन सिंह ने हमेशा शिक्षा को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी. बेटियों ने कहा है कि उन्होंने कभी अपने बच्चों पर करियर के लिए दबाव नहीं डाला, बल्कि उन्हें अपनी रुचि के क्षेत्रों को चुनने की पूरी स्वतंत्रता दी. मनमोहन सिंह ने बेटियों को उनकी पढ़ाई लिखाई और अपना करियर खुद चुनने के लिए प्रोत्साहित किया. वह हमेशा उनके साथ खड़े रहे. उन्हें बढ़ावा दिया. बेटियों के फैसलों का सम्मान किया. यानि एक ऐसा वातावरण घर में रखा, जिससे उनकी बेटियां अपनी रुचियों को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ा सकें. व्यक्तिगत समय की कमी प्रधानमंत्री और एक वरिष्ठ राजनेता के रूप में उनके व्यस्त कार्यक्रम के कारण परिवार के लिए समय निकालना मुश्किल था लेकिन जब भी वह घर पर होते, तो वह अपने परिवार के साथ समय बिताने की कोशिश करते थे. मनमोहन सिंह तीनों बेटियां उपिंदर सिंह, दमन सिंह और अमृत सिंह. (news18) पिता के रूप में प्रेमपूर्ण दमन सिंह ने अपनी किताब “Strictly Personal: Manmohan and Gursharan” में अपने पिता की पर्सनल लाइफ के बारे में लिखा है. उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह अधिकतर समय शांत रहते थे. अपने प्यार का इज़हार शब्दों से ज्यादा कामों के माध्यम से करते थे. सहनशीलता का सबक उपिंदर सिंह, जो एक प्रसिद्ध इतिहासकार हैं, उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि उनके पिता ने उन्हें सहनशीलता, कड़ी मेहनत, और ईमानदारी जैसे मूल्य सिखाए. ये सिखाया कि सफलता और असफलता दोनों को समान दृष्टिकोण से लेना चाहिए. मनमोहन फैमिली के साथ पिकनिक पर जाते थे. वहां पर लोकगीत गाते थे. घर में वह बच्चों के साथ हल्का फुल्का हास्य भी करते थे. उन्होंने परिवार के लोगों के गुदगुदाने वाले निकनेम भी रखे थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons) समर्पित पिता डॉ. मनमोहन सिंह की बेटियों की ये बातें दिखाती हैं कि एक महान राजनेता होने के साथ-साथ वह एक समर्पित और प्रेरणादायक पिता भी थे. वो साथ ही ये भी कहती हैं कि मां गुरशरण कौर न केवल घर संभाला, बल्कि पिता की व्यस्त जिंदगी के बावजूद परिवार को जोड़े रखा. पारिवारिक सैर-सपाटे के दौरान मनमोहन सिंह को लोकगीत गाने में मज़ा आता था, जिससे माहौल खुशनुमा हो जाता था. ये उनके हल्के-फुल्के अंदाज़ को दिखाता है. परिवार को मज़ेदार तरीके से एक साथ लाता था फैमिली मेंबर्स और पेट्स का निकनेम बनाते थे उनकी बेटी दमन सिंह ने किताब में लिखा कि मनमोहन सिंह गंभीर सार्वजनिक व्यक्तित्व के बावजूद एक अच्छा हास्य बोध रखने वाले और देखभाल करने वाले पिता थे. उदाहरण के लिए, वह अपनी बेटियों को “किक”, “लिटिल नोआन” और “लिटिल राम” कहते थे जबकि उनकी पत्नी को “गुरुदेव” कहा जाता था. उन्होंने रिश्तेदारों के लिए भी मनोरंजक नाम रखे थे, जैसे “जॉन बाबू” और “चुंज वाले”, जो उनके पारिवारिक मामलों में उनके विनोदी स्वाभाव को बताते हैं. क्या वह सख्त पिता थे नहीं. उनकी बेटियों ने उन्हें कभी सख्त पिता नहीं माना बल्कि इसके बजाय वह सहायक और बेहतर पालन-पोषण करने वाली पेरेंटिंग शैली अपनाने वाले पिता थे. उनके व्यवहार में गर्मजोशी और हास्य की विशेषता थी, जो एक सख्त सत्तावादी शैली के विपरीत था, जो बच्चों की पसंद को नियंत्रित करने के बजाय मार्गदर्शन करने में उनके विश्वास को दिखाया. उपिंदर सिंह अशोका विश्वविद्यालय में एक प्रमुख इतिहासकार और डीन हैं, उन्हें सामाजिक विज्ञान के लिए इन्फोसिस पुरस्कार जैसे सम्मान मिले. लेखिका के तौर पर दमन सिंह ने अपने माता-पिता की जीवनी सहित कई रचनाएं लिखीं, जो उनकी साहित्यिक प्रतिभा को दर्शाती हैं. अमृत सिंह ने कानून की पढ़ाई की, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मानवाधिकार वकील और प्रोफेसर बनीं. दमन सिंह ने अपनी किताब में पेरेंट्स के बारे में लिखा, मेरे पिता बहुत अनुशासित जीवन जीते थे. 1990 में बाईपास सर्जरी के बाद वह और भी अधिक अनुशासित हो गए. वह शाकाहारी थे. हल्का भोजन करते थे. शायद ही कभी बाहर खाते थे. शराब नहीं पीते थे. नियमित रूप से सैर पर जाते थे. मेरी मां मेरे पिता पर बहुत नज़र रखती थीं. वह आध्यात्मिक रूप से भी समर्पित थे, इससे उन्हें तनाव से निपटने में मदद मिलती थी. Tags: Dr. manmohan singh, Manmohan singh, Prime Minister of India, The Accidental Prime MinisterFIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 17:34 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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