75 साल पहले : 10 अगस्त 1947- पाकिस्तान संविधान सभा का अध्यक्ष बना एक हिंदू

75 साल पहले : 10 अगस्त 1947- पाकिस्तान संविधान सभा का अध्यक्ष बना एक हिंदू
आजादी का दिन केवल 05 दिन दूर रह गया था. भारत और पाकिस्तान दोनों जगहों पर सियासी हलचल काफी ज्यादा  थी. पाकिस्तान में पहली बार संविधान सभा बनाई गई. उसका अंतरिम अध्यक्ष एक हिंदू और जिन्ना का मित्र था. कलकत्ता में दंगे जारी थे. हालांकि गांधीजी वहां पहुंच चुके थे. कलकत्ता में दंगों में कोई कमी नहीं आई.जमकर आगजनी हुई थी. हर ओर सैकड़ों-हजारों जले हुए घर और दुकानें नजर आ रही थीं. बापू ने ट्रेन से उतरने के बाद एकबारगी जब इस शहर को देखा तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि इस शहर का ये हाल भी हो सकता है. वो स्टेशन से कई किलोमीटर दूर सोदेपुर आश्रम पहुंचे. गांधीजी के सोदेपुर आश्रम पहुंचने के बाद लोग झुंडों में उनसे मिलने आ रहे थे लेकिन पीड़ा और गुस्सा हर चेहरे पर नजर आ रहा था. गांधीजी हालात को लेकर चिंतित थे. तब कलकत्ता का पूर्व मेयर एस. मोहम्मद उस्मान वहीं था. वो भी गांधीजी से मिलने आया. वो तो काफी बडे़ ग्रुप के साथ गांधीजी से मिलने आया. गांधीजी को लगा कि ये उन पर दबाव डालने के लिए आया है. लेकिन उसने उनसे 15 अगस्त तक वहीं उनके साथ रुकने का अनुरोध किया. उसने कहा, हमें मालूम है कि आप नोआखाली जाने वाले हैं लेकिन हम भी आपके हैं, कृपया हमारी मदद करिए, यहीं रुकिए. गांधीजी को लगा कि यही भगवान की मर्जी है. वो वहीं रुक गए. उनके वहां रुकने से हालात भी बदलने लगे. विस्फोट के मुहाने पर नजर आ रहा कोलकाता शांत होने लगा. को डराने के इरादे से आय़ा था. पाकिस्तान में संविधान सभा की पहली बैठक कराची में पाकिस्तान संविधान सभा की पहली बैठक शुरू हुई. योगेंद्र नाथ मंडल को उसका अंतरिम अध्यक्ष चुना गया. मंडल मुस्लिम लीग के कट्टर नेताओं में थे. उन्होंने जिन्ना के साथ जोर-शोर से पाकिस्तान की मांग की. बंटवारे से पहले वह पाकिस्तान चले गए थे. वहां उन्हें बाद में पाकिस्तान का पहला कानून मंत्री बनाया गया. इसी बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना को सर्वसम्मति से कायदे आजम की खिताब दिया गया फिर लौटना पड़ा था मंडल को योगेंद्र नाथ मंडल मुस्लिम लीग के ऐसे नेताओं में थे, जो जिन्ना के बहुत करीब थे. वो जिन्ना के ही कहने पर भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे.  जब तक जिन्ना जिंदा रहे.तब तक उनकी स्थिति ठीक रही. लेकिन उनकी मौत के बाद मंडल और लियाकत अली के बीच ऐसे गहरे मतभेद पैदा हो गए कि उन्हें वापस भारत लौटना पड़ा. पांडिचेरी में प्रदर्शन पांडिचेरी में फ्रेंच इंडिया स्टूडेंट कांग्रेस ने फ्रेंच अधिकारियों के सामने आजादी देने के लिए प्रदर्शन किया. पांडिचेरी के साथ उसमें आने वाले जिले माहे, यनम, केराईकल के अलावा बंगाल में हुगली नदी के किनारे बसा चंद्रनगर फ्रांस सरकार के अधीन था. इस प्रदर्शन में केवल एक मांग की गई कि फ्रांस भारतीय अधिपत्य वाले क्षेत्रों का विलय भारत में कर दे. हालांकि ये उस समय नहीं हुआ. 1954 में पांडिचेरी और अन्य स्थानों का विलय भारत में हो पाया. स्पेशल ट्रेनें भारत और पाकिस्तान से लोगों को लाने के लिए 30 स्पेशल ट्रेनें चलाईं गईं. इसी के तहत पहली स्पेशल ट्रेन एक दिन पहले इससे सरकारी स्टाफ को कराची पहुंचाया गया. संदूर स्टेट का भारत में विलय प्रिंसले स्टेट संदूर ने भारत में विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए. इस स्टेट के प्रमुख राजा यशवंत राव ने विलय की सहमति वाले पत्र पर हस्ताक्षर किए. इस राज्य का  विलय मद्रास राज्य में होना था. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: 75th Independence Day, Freedom fighters, Freedom Struggle Movement, IndependenceFIRST PUBLISHED : August 10, 2022, 10:13 IST