80 साल पहले छेड़े गए भारत छोड़ो आंदोलन की 10 खास बातें हर शहर में निकलने लगी थीं रैलियां हिल गई अंग्रेज सत्ता

08 अगस्त 1942 को गांधीजी ने अंग्रेज शासन के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया था. शहर शहर, गांव गांव और कस्बे कस्बे में अंग्रेजी सत्ता के खिलाफ रैलियां निकलने लगीं. लोगों ने सत्ता के साथ असहयोग करना शुरू कर दिया. अंग्रेज घबरा गए. अब इस आंदोलन को आज 80 साल हो रहे हैं.

80 साल पहले छेड़े गए भारत छोड़ो आंदोलन की 10 खास बातें हर शहर में निकलने लगी थीं रैलियां हिल गई अंग्रेज सत्ता
08 अगस्त 1942 के दिन महात्मा गांधी ने “भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी. जो देखते ही देखते पूरे देश में फैल गया. हर गांव से लेकर हर शहर तक बड़ी बड़ी रैलियां निकलने लगीं. आज इस आंदोलन की शुरुआत को 80 साल पूरे हो गए. इसने ब्रिटिश हुकूमत को हिलाकर रख दिया था. इसका तत्‍कालीन ब्रिटिश सरकार पर बहुत ज्‍यादा असर हुआ. उसने गांधीजी समेत सभी बड़े नेताओं को जेल में डाल दिया लेकिन इसके बाद भी इस आंदोलन को खत्म करने में पूरी ब्रिटिश सरकार को एक साल से ज्‍यादा का समय लग गया. यह भारत की आजादी में सबसे महत्‍वपूर्ण आंदोलन था. दूसरे विश्‍व युद्ध में उलझे इंग्‍लैंड को भारत में ऐसे आंदोलन की उम्‍मीद नहीं थी. सरकारी आंकड़ों के अनुसार इसमें तकरीबन 900 से ज्‍यादा लोग मारे गए जबकि 60 हजार से ज्‍यादा गिरफ्तार किए गए. इस आंदोलन से जुड़ी 10 खास बातें जो इस पूरे मूवमेंट के बारे में बताती हैं. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान पूरे देश में बड़ी बड़ी रैलियां निकलती थीं. लोगों ने कालेज और नौकरियां छोड़ दीं. देश पूरी तरह से अंग्रेज शासन के खिलाफ हो गया. (फाइल फोटो) 1. महात्मा गांधी ने मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान या अगस्त क्रांति मैदान में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था. उनके साथ तत्कालीन कांग्रेस के कई बड़े नेता मौजूद थे. 2. मुंबई में हुई रैली के दौरान ही महात्मा गांधी ने अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का नारा दिया था. 3. इस रैली के बाद ब्रिटिश सरकार ने कई बड़े नेता जैसे महात्मा गांधी, अब्दुल कलाम आजाद, जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल को गिरफ्तार कर लिया गया था. 4. आंदोलन छेड़ने के बाद ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस पर जमकर कहर ढहाया. नेताओं को बिना ट्रायल गिरफ्तार किया गया और देशभर में कांग्रेस के ऑफिसों पर छापे पड़े. उनके फंड सीज़ कर दिए गए. 5. आंदोलन का पहला भाग काफी शांतिपूर्ण रहा. लोगों ने शांति के साथ प्रदर्शन कर अपना विरोध जताया. ऐसा प्रदर्शन महात्मा गांधी के रिहा होने तक चला. 6. आंदोलन का दूसरा हिस्सा अचानक से हिंसक हो गया. ब्रिटिश सरकार के छापेमारी से प्रदर्शनकारी हिसंक हो गए. उन्होंने पोस्ट ऑफिस, सरकारी बिल्डिंग और रेलवे स्टेशनों को निशाना बनाना शुरू किया. 7. इस आंदोलन के दौरान वायसराय काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स, कम्युनिस्ट पार्टी और अमेरिकी समर्थकों ने ब्रिटिश सरकार का साथ दिया. 8. सभी प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद AICC (ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी) के सेशन को अरुणा आसफ अली ने चलाया. पुलिस और सरकार की कई चेतावनियों के बाद भी मुंबई के गोवालिया टैंक मैदान में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी जमा हुए. 9. अरुणा आसफ अली ने इस भारी भीड़ के सामने पहली बार भारत का झंडा फहराया. जो आंदोलन के लिए एक प्रतीक साबित हुआ. 10. आंदोलन के आखिरी फेज़ यानि सितंबर 1942 में प्रदर्शनकारियों ने मिलकर मध्य प्रदेश और मुंबई में सरकारी स्थानों पर जमकर बमबाजी की. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Amrit Mahotsav, Freedom fighters, Freedom Movement, Freedom Struggle, Freedom Struggle Movement, IndependenceFIRST PUBLISHED : August 08, 2022, 11:57 IST