क्या हुआ जो यूपी में BJP का बिगड़ गया खेल जानिए 5 प्रमुख कारण
क्या हुआ जो यूपी में BJP का बिगड़ गया खेल जानिए 5 प्रमुख कारण
जो भाजपा यूपी में लगातार 90 फीसदी सीटें जीतती नजर आ रही थी, आखिर ऐसा क्या हुआ कि इतना बुरा हाल हो गया. यहां यूपी में भाजपा की हार के 5 कारण गिनाए गए हैं,
लोकसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि NDA को सबसे ज्यादा नुकसान यूपी में हुआ. जहां वह सीटें बढ़ाना तो दूर की बात, अपनी सीटें भी नहीं बचा पाई. सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने उन्हें कड़ा मुकाबला दिया और एक तरह से हार की कगार पर लाकर खड़ा कर दिया. आइए जानते हैं कि वो 5 वजह जिसे यूपी में BJP का खेल बिगड़ गया.
1. कैंडिडेट सलेक्शन
चुनाव की शुरुआत के साथ लग रहा था कि भाजपा ने प्रत्याशियों के चयन में काफी गलतियां की. स्थानीय लोगों के गुस्से को दरकिनार करते हुए ऐसे लोगों को टिकट दिए गए, जो मतदाताओं को शायद पसंद नहीं आए. इसलिए बहुत सारे मतदाता जो भाजपा को वोट देते आ रहे थे, उन्होंने घर से निकलना ठीक नहीं समझा. गलत कैंडिडेट सलेक्शन कार्यकर्ताओं को भी पसंद नहीं आया और उन्होंने मनमुताबिक काम नहीं किया. नतीजा भाजपा को मिलने वाले मत प्रतिशत में भारी गिरावट दर्ज की गई. 2019 में जहां भाजपा को तकरीबन 50 फीसदी मत मिले थे. वहीं इस बार 42 फीसदी वोट मिलता नजर आ रहा है. यानी कि मतप्रतिशत में लगभग 8 फीसदी की गिरावट आई है.
2.सपा ने सामाजिक समीकरण देख उतारे प्रत्याशी
सपा पर हमेशा से यह आरोप लगते रहे हैं कि वे सिर्फ एक समुदाय या जाति के लोगों को ही टिकट देने में वरीयता देते हैं. लेकिन इस बार अखिलेश यादव ने काफी सतर्क रहते हुए जातिगत समीकरणों को देखते हुए प्रत्याशी उतारे. यही वजह है कि उनके कैंडिडेट जमीन पर भाजपा को टक्कर देते नजर आए. मेरठ, घोसी, मिर्जापुर जैसी सीटें इसका उदाहरण हैं. जहां अखिलेश ने सूझबूझ से एनडीए के प्रत्याशियों को फंसा दिया.
3.संविधान बदलने की चर्चा पड़ी भारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही 400 पार का नारा दिया, भाजपा के कुछ नेता दावा करने लगे कि 400 पार इसलिए चाहिए क्योंकि संविधान बदलना है. कांग्रेस और सपा ने इसे आरक्षण से जोड़ दिया. दावा किया कि भाजपा इतनी ज्यादा सीटें इसलिए चाहती है ताकि वह संविधान बदल सके और आरक्षण खत्म कर सके. दलितों और ओबीसी के बीच यह बातें काफी तेजी से फैली और नतीजा वोटों के रूप में सामने आया. कई जगह दलित सपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर जाते नजर आ रहे हैं.
4. नौकरी और पेपर लीक
भाजपा सरकार पर लगातार ये आरोप लग रहे हैं कि वे नौकरी नहीं दे पा रहे हैं. पेपर लीक हो जाता है. इसके लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए जाते. बहुत सारे युवा वर्षों से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब उनकी उम्र निकल रही है. वे परीक्षा नहीं दे पा रहे हैं. युवाओं में यह एक बड़ा मुद्दा था. इसी वजह से जमीन पर भारी संख्या में युवा भाजपा से काफी नाराज दिखे. मतों में भी बात झलक कर आ रही है.
5. मायावती के कैंडिडेट ने बिगाड़ा खेल
मायावती ने ऐसे कैंडिटेट उतारे, जिन्होंने सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए फायदे का काम किया. भाजपा को इससे काफी नुकसान हुआ. इससे दलित वोटों में भी भारी बंटवारा हुआ. खासकर पश्चिमी यूपी में बसपा के कैंडिडेट ने भाजपा को काफी नुकसान पहुंचाया. मेरठ, मुजफ्फर नगर, चंदौली, खीरी और घोसी लोकसभा सीटों पर इसी वजह से मुकाबला रोचक हो गया.
FIRST PUBLISHED : June 4, 2024, 15:00 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed