‘गगनयान’ मिशन की पहली परीक्षण उड़ान फरवरी 2023 में जानें फाइनल मिशन से पहले इसरो की प्लानिंग

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल फरवरी से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए कई परीक्षण उड़ानें शुरू करेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी.

‘गगनयान’ मिशन की पहली परीक्षण उड़ान फरवरी 2023 में जानें फाइनल मिशन से पहले इसरो की प्लानिंग
नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अगले साल फरवरी से भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के लिए कई परीक्षण उड़ानें शुरू करेगा. एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को यह जानकारी दी. इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र के निदेशक आर उमामहेश्वरन ने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी ने चालक दल के मॉड्यूल के परीक्षण के लिए वजनी चिनूक हेलीकॉप्टर और सी-17 ग्लोबमास्टर परिवहन विमान को तैनात करने की भी योजना बनाई है. मॉड्यूल के जरिए गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन के तहत अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिनों के लिए कक्षा में ले जाएगा. यहां भारतीय अंतरिक्ष कांग्रेस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसरो के वैज्ञानिकों ने पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली के डिजाइन को पूरा कर लिया है, जो अंतरिक्ष यात्रियों के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करते समय क्रू सर्विस मॉड्यूल में रहने की स्थिति सुनिश्चित करेगा. अगले साल दिसंबर में मानव रहित अंतरिक्ष उड़ान को अंजाम देने से पहले इसरो द्वारा अगले साल कम से कम 17 अलग-अलग परीक्षणों की योजना बनाई गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस के अपने संबोधन में गगनयान मिशन की घोषणा करते हुए 2022 में देश के औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे होने पर अभियान को अंजाम देने की दिशा में एक अस्थायी लक्ष्य का जिक्र किया था. ये भी पढ़ें- अब किसान नहीं कर पाएंगे ‘राउंडअप’ का छिड़काव, केंद्र सरकार ने ग्लाइफोसेट पर लगाया बैन हालांकि, कोविड महामारी के कारण अभियान में देरी हुई और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान शुरू करने की संभावना है. उमामहेश्वरन ने कहा कि क्रू मॉड्यूल और पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली को डिजाइन करने का काम चुनौतीपूर्ण था क्योंकि अंतरिक्ष यात्रियों को पुन: प्रवेश चरण के दौरान भी सहज महसूस करना चाहिए, जब अंतरिक्ष कैप्सूल के बाहर का तापमान 2000 डिग्री सेल्सियस से अधिक तक हो सकता है.‘सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन’ द्वारा आयोजित कार्यक्रम के इतर उमामहेश्वरन ने कहा, ‘‘क्रू मॉड्यूल पूरा हो गया है जहां अंतरिक्ष यात्रियों को बैठना और उड़ना है, और निर्माण का काम जारी है. छह महीने के भीतर, हमें क्रू मॉड्यूल मिल जाएगा.’’ उमामहेश्वरन ने कहा कि पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली परियोजना का एक महत्वपूर्ण तत्व है क्योंकि यह क्रू मॉड्यूल में परिवेश में रहने की स्थिति प्रदान करती है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें ऑक्सीजन प्रदान करना है, कार्बन डाइऑक्साइड को हटाना है, नमी को दूर करना है, तापमान बनाए रखना है और यह भी सुनिश्चित करना है कि आग का कोई खतरा न हो. यह एक बहुत ही जटिल तकनीक है जो कोई भी देश हमें नहीं देगा.’’ वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा कि पर्यावरण नियंत्रण प्रणाली को स्वदेशी रूप से विकसित करने का निर्णय लिया गया. उमामहेश्वरन ने कहा, ‘‘हमारे पास डिजाइन करने की क्षमता है, इसलिए हम ऐसा कर रहे हैं और इसमें कुछ समय लग रहा है. हमने सभी डिज़ाइन को पूरा कर लिया है और अब यह साबित करने का समय है कि जो कुछ भी डिज़ाइन किया गया है वह पर्याप्त रूप से सुरक्षित है.’’ उन्होंने कहा कि चार उम्मीदवारों को अंतरिक्ष उड़ान के लिए ‘शॉर्टलिस्ट’ किया गया है और उन्होंने रूस में अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण पहले ही पूरा कर लिया है. उमामहेश्वरन ने कहा कि ‘शॉर्टलिस्ट’ किए गए अंतरिक्ष यात्री वर्तमान में बेंगलुरु में अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा में आगे के प्रशिक्षण से गुजर रहे हैं. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी| Tags: Gaganyaan mission, ISROFIRST PUBLISHED : October 27, 2022, 21:09 IST