तोरई की खेती में इन बातों का रखें ख्याल रोग लगने की संभावना हो जाएगी खत्म

फर्रुखाबाद की महिला किसान मीरा बने बताया कि पिछले 20 वर्षों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. इस समय खेतों में तोरई की फसल का उत्पादन कर रही है. इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर 500 रुपए की लागत आती है और जब फलन शुरू होता है तो हाथों-हाथ बिक जाता है. मचान विधि से खेती करने पर बेहतर उत्पादन के साथ कमाई भी अच्छी होती है.

तोरई की खेती में इन बातों का रखें ख्याल रोग लगने की संभावना हो जाएगी खत्म
फर्रुखाबाद. अगर आप भी तगड़ी आमदनी वाली फसलों की खेती करने की सोच रहे हैं तो यह खबर है आपके लिए खास साबित हो सकता है. इस समय नगदी फसल में तोरई की खेती कर किसान लाखों में मुनाफा कमा सकते हैं. इस फसल को एक बार लगा देने के बाद तीन महीने तक लगातार फलन होता है. इससे किसानों को रोजाना मुनाफा कमाने का अवसर मिल जाता है. तोराई की खेती के लिए फर्रुखाबाद की जलवायु उपयुक्त है. इस फसल को साल में दो लगा सकते हैं. यहां किसान इसकी खेती भी कर रहे हैं. मचान विधि से खेती करने पर होती है अच्छी उपज फर्रुखाबाद की महिला किसान मीरा बने बताया कि पिछले 20 वर्षों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. इस समय खेतों में तोरई की फसल का उत्पादन कर रही है. इसकी फसल को तैयार करने में आमतौर पर 500 रुपए की लागत आती है और जब फलन शुरू होता है तो हाथों-हाथ बिक जाता है. बाजार में सही दाम भी मिल जाता है और अच्छी कमाई हो जाती है. इसक फसल की खेती करने के लिए सबसे पहले जमीन को रोटावेटर या कल्टीवेटर से जुताई कर खरपतवार हटाया जाता है. इस फसल को बरसात के मौसम में भी लगा सकते हैं. खेती में जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं. वहीं उन्नतशील तोरई के बीजों को बोना फायदेमंद होता है. मचान विधि से खेती करने पर बेहतर उत्पादन के साथ कमाई भी अच्छी हो जोती है. रोगों की ऐसे करें पहचान तोरई की खेती करने के दौरान रोगों का भी खतरा रहता है. इसमें बैक्टीरिया लग जाने की वजह से पौधे की बेल और पत्तियों पर सफेद गोलाकार जाला जैसा दिखाई देने लगता है. इसके बाद वह कत्थई रंग का भी हो जाता है. इस रोग में पत्तियां पीली होकर सूखने लगती है. ऐसे समय में किसान को इस रोग से बचाव करने के लिए देसी तरीके से 5 लीटर खट्टा छाछ और 2 लीटर गोमूत्र के साथ ही 40 लीटर पानी मिलाकर छिड़काव कर देना चाहिए. ऐसा करने से तीन सप्ताह तक तोरई की बेल सुरक्षित रहता है. वहीं खेतों में नमी बरकरार रखने के लिए हर तीसेर दिन सिंचाई कर सकते हैं. Tags: Agriculture, Farrukhabad news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 17:45 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed