गौरैया चिड़िया को पसंद आ रहा यूपी का ये जिला लगातार बढ़ रहा कुनबा
गौरैया चिड़िया को पसंद आ रहा यूपी का ये जिला लगातार बढ़ रहा कुनबा
Etawah News: दस साल पहले इटावा में गौरैया चिड़िया का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका था, लेकिन आज गौरैया की संख्या में जो वृद्धि देखी जा रही है, वह हर किसी को खुशी दे रही है. यहां सिर्फ एक या दो घरों में ही नहीं, बल्कि लगभग 200 घरों में गौरैया ने अंडे दिए हैं, जिनसे निकले बच्चे अब खुले आसमान में उड़ चुके हैं.
रजत कुमार / इटावा: संकटग्रस्त गौरैया चिड़िया भले ही कई हिस्सों से गायब हो रही हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के इटावा में यह हर घर में दिखाई दे रही है. गौरैया की इस उपस्थिति से पर्यावरणविद् और वन विभाग के अधिकारी बेहद प्रसन्न और उत्साहित हैं. वन विभाग और पर्यावरणीय संस्थाओं की पहल के कारण इटावा में गौरैया की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. सही मायने में कहा जाए तो इटावा जिला आज गौरैया संरक्षण में अग्रणी बन गया है.
दस साल पहले इटावा में गौरैया चिड़िया का अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका था, लेकिन आज गौरैया की संख्या में जो वृद्धि देखी जा रही है, वह हर किसी को खुशी दे रही है. यहां सिर्फ एक या दो घरों में ही नहीं, बल्कि लगभग 200 घरों में गौरैया ने अंडे दिए हैं, जिनसे निकले बच्चे अब खुले आसमान में उड़ चुके हैं.
हर साल बढ़ रहा गौरेया चिड़िया का कुनबा
आवास विकास कॉलोनी की निवासी माधवी बताती हैं कि चार-पांच साल पहले उन्हें एक घोसला दिया गया था, जिससे उनके घर पर गौरैया आनी शुरू हुई. अब हर साल उनके घर पर गौरैया अंडे देती है और बच्चे भी जन्म लेते हैं. यह सिलसिला लगातार जारी है. इसी प्रकार फ्रेंड्स कॉलोनी के एडवोकेट विक्रम सिंह बताते हैं कि पिछले दस वर्षों से उनके घर पर गौरैया खुद ही घोसला बनाती है और प्रतिवर्ष 10-11 बच्चे पैदा होते हैं, जो बाद में खुले आसमान में उड़ जाते हैं.
गौरैया को बचाने का प्रयास
गौरैया की घटती संख्या को देखते हुए 2010 से गौरैया दिवस मनाया जा रहा है. 2012 में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद उत्तर प्रदेश में गौरैया संरक्षण के लिए वन विभाग ने कई कार्यक्रम शुरू किए, जिससे लोग जागरूक हुए और संरक्षण के प्रयास तेज़ हुए. इटावा में लोगों की जागरूकता और संरक्षण प्रयासों के चलते गौरैया चिड़िया अब हर घर में घोसला बना रही है. कई परिवारों ने पुष्टि की है कि पिछले पांच सालों से उनके घरों में गौरैया घोसला बना रही है और प्रजनन कर रही है.
पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय सोसायटी फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के महासचिव डॉ. राजीव चौहान ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि इटावा में लोग अपने घरों में कृत्रिम घोसले लगा रहे हैं, जहां गौरैया अंडे देकर प्रजनन कर रही है. इन छोटे-छोटे बच्चों को देखकर लोग न केवल खुश होते हैं, बल्कि गौरैया संरक्षण में सक्रिय भूमिका भी निभा रहे हैं.
Tags: Etawah latest news, Hindi news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 11, 2024, 14:46 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed