महाराष्ट्र में मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करेगा TISS एकनाथ शिंदे ने बनायी समिति

सरकार के प्रस्ताव के अनुसार यह अध्ययन मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करेगा. यह समुदाय पर राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, ऋण पहुंच और बुनियादी ढांचे की नीतियों के प्रभाव का भी समझ कर सरकार के सामने पेश करेगा.

महाराष्ट्र में मुस्लिमों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करेगा TISS एकनाथ शिंदे ने बनायी समिति
हाइलाइट्सराज्य सरकार ने इस अध्ययन के लिए 33.9 लाख रुपये के बजट को मंजूरी दी हैपहले भी मुस्लिम समुदाय की स्थिति का अध्ययन करने के महमूदुर रहमान समिति को किया गया था गठित महाराष्ट्र में करीब 60 फीसदी मुसलमान गरीबी रेखा से नीचे अपना जीवन यापन करते हैं मुंबई. महाराष्ट्र में अल्पसंख्यकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने के उद्देश्य से एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) को राज्य में रहने वाले मुस्लिम समुदाय की स्थिति पर एक अध्ययन करने के लिए कहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्य सरकार ने इस अध्ययन के लिए 33.9 लाख रुपये के बजट को मंजूरी दी है. आपको बता दें कि राज्य में मुस्लिमों की आबादी 11 प्रतिशत है. सरकार के प्रस्ताव के अनुसार यह अध्ययन मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण करेगा. यह समुदाय पर राज्य की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, ऋण पहुंच और बुनियादी ढांचे की नीतियों के प्रभाव का भी समझ कर सरकार के सामने पेश करेगा. महमूदुर रहमान समिति भी कर चुकी है अध्ययन इससे पहले भी राज्य में मुस्लिम समुदाय की स्थिति का अध्ययन करने के महमूदुर रहमान समिति को गठित किया गया था जिसने 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, मुस्लिमों के शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने और उनकी स्थिति में सुधार के उपाय सुझाने के लिए 2008 में समिति का गठन किया गया था. सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी महमूद-उर-रहमान की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय समिति में सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस अधिकारी और साथ ही टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) जैसे संस्थानों के प्रोफेसर शामिल थे. 2013 में सौंपी गई रिपोर्ट में कहा गया था कि महाराष्ट्र में करीब 60 फीसदी मुसलमान गरीबी रेखा से नीचे हैं. सरकारी नौकरियों में उनकी हिस्सेदारी केवल 4.4 प्रतिशत और स्नातकों की कुल संख्या केवल 2.2 प्रतिशत थी. रिपोर्ट में राज्य, शिक्षा और आवास – सार्वजनिक और निजी संस्थानों में मुस्लिम समुदाय के लिए आठ प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की गई थी. समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2014 में तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और नौकरियों में मुसलमानों के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की थी. हालांकि फैसले को बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसके बाद आज तक यह फैसला कभी धरातल पर नहीं उतर सका. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Eknath Shinde, Maharashtra, MuslimsFIRST PUBLISHED : September 23, 2022, 12:50 IST