इस सब्जी की खेती से मिलेंगे 3 फायदे पशुओं के लिए नहीं खरीदना पड़ेगा चारा

Green Peas Farming: किसानों के लिए बहुत जरूरी है कि वो मुनाफा कमाने के लिए सही फसल का चुनाव करें. इस फसल को कई काम के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.  

इस सब्जी की खेती से मिलेंगे 3 फायदे पशुओं के लिए नहीं खरीदना पड़ेगा चारा
बलिया: कुछ फसलें किसानों को बंपर मुनाफा देती हैं. जैसे हरे मटर. कमाई के साथ-साथ खेतों तक के लिए मटर की खेती फायदेमंद होती है. साथ ही आप इसके छिलकों को पशु को भी खिला सकते हैं. आइए जानते हैं मटर की खेती से जुड़ी तमाम डिटेल्स. मटर की खेती के लिए बेस्ट मिट्टी कृषि फॉर्म प्रभारी डॉ. कौशल कुमार पाण्डेय ने लोकल 18 को बताया, ‘मटर की खेती को अब कैश क्रॉप के रूप में देखा जा रहा है.’ इस फसल को लगाने वाले किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इसके लिए सितंबर के अंत तक बुवाई कर देनी चाहिए. मटर की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. मटर की कौन-सी प्रजाति की खेती करें मटर की खेती के लिए आर्केल और गोल्डन प्रजातियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. ये दोनों किस्में विशेष रूप से बलिया जनपद में अच्छी पैदावार देती हैं. इनकी खासियत यह है कि सूखने से पहले ही इनकी खरीद-बिक्री कर किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. हरे मटर की स्थिति में यह अधिक मूल्यवान होती है, जबकि सूखने के बाद इसका महत्व कम हो जाता है. इसी कारण से हरे मटर के उद्देश्य से इसकी खेती किसानों के बीच लोकप्रिय हो रही है. किसानों को मिलेगा दोगुना लाभ हरे मटर की खेती करने वाले किसानों को दोहरा लाभ मिलता है. एक तो उन्हें अच्छी कीमत मिलती है और साथ ही मटर के पौधे खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ा देते हैं. क्योंकि इसमें नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है. मटर की कटाई के समय ध्यान रखना चाहिए कि पौधे की जड़ें खेत में ही रह जाएं, जिससे खेत की उर्वरता बनी रहती है. हरे मटर की बिक्री के बाद बचे हुए अवशेष पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग होते हैं, जिससे दूध उत्पादन में भी वृद्धि देखी जाती है. इसे भी पढ़ेंः इस कमाल की सब्जी की करें खेती, 1 एकड़ फसल देगी 2-4 लाख का मुनाफा, घर बैठे हो जाएंगे मजे मटर की खेती के दौरान इन बातों का रखें ध्यान पहले मटर की खेती छिड़काव विधि से की जाती थी. लेकिन अब पौधे से पौधे की दूरी और बुवाई की गहराई जैसे नियमों का पालन कर किसान अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 से.मी और बीज की बुवाई 4 से 5 से.मी गहराई तक करनी चाहिए. खेत की मिट्टी की जांच के आधार पर खाद और उर्वरक का उपयोग भी बेहद महत्वपूर्ण होता है. एक हेक्टेयर में लगभग 80-90 क्विंटल तक पैदावार हो सकती है. आर्केल मटर की फलियां बुवाई के लगभग 60 से 65 दिनों में तोड़ने योग्य हो जाती हैं. Tags: Agriculture, Ballia news, Local18, UP newsFIRST PUBLISHED : September 19, 2024, 11:33 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें
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