कुत्ते के पिल्ले ने 2 महीने पहले काटा 14 साल के लड़के की इलाज के दौरान मौत

पुणे में 14 साल के लड़के की कुत्ते के पिल्ले के काटने से इलाज के दौरान मौत हो गई. कुत्ते ने लड़के को 2 महीने पहले काटा था. उसके परिवार वालों ने उसका उचित इलाज नहीं करवाया. इसके कारण रेबीज संक्रमण से उसकी मौत हो गई.

कुत्ते के पिल्ले ने 2 महीने पहले काटा 14 साल के लड़के की इलाज के दौरान मौत
पुणे. पुणे के नायडू इंफेक्शन डिसीज हॉस्पिटल में हाल ही में एक 14 साल के लड़के की कुत्ते के काटने से मौत हो गई. दरअसल अहमदनगर के रहने वाले इस लड़के को 2 महीने पहले रेबीज संक्रमित कुत्ते के पिल्ले ने काट लिया था. इसके बाद उसके परिवार ने घाव को ठीक करने के लिए हल्दी का लेप लगा दिया था, लेकिन डॉक्टर से इलाज नहीं करवाया. इसके चलते लड़के में एक हफ्ते पहले रेबीज के लक्षण बढ़ने लगे. तब बाद में उसे नायडू अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन 17 सितंबर को एडमिट होने के 12 घंटे बाद ही उसकी मौत हो गई. उस लड़के में रेबीज के लक्षण विकसित होने लगे थे. जैसे (हाइड्रोफोबिया) पानी का डर और (एरोफोबिया) हवा का डर इस तरह के लक्षण होने लगे थे उसे पूरी तरह रेबीज हो गया था. विशेषज्ञों ने लोगों से कुत्ते के काटने को नजरअंदाज न करने का आग्रह किया. नायडू अस्पताल में संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुधीर पुत्से ने कहा कि ‘यदि किसी कुत्ते के पिल्ले को कोई दूसरा पागल जानवर काट लेता है, तो वह जल्दी रेबीज वायरस से संक्रमित हो जाता है. रेबीज संक्रमित कुत्ते के पिल्लों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई देते, जबकि वयस्क कुत्ते में दिखाई देते हैं. कुत्ते के पिल्लों में संक्रमण के लक्षण नहीं दिखाई देने के चलते लोग अक्सर कुत्ते के काट लेने को अनदेखा कर देते हैं और इलाज नहीं करवाते. लेकिन एक रेबीज संक्रमित पिल्ले के हल्के से काटने पर भी रेबीज हो सकता है.’ वैश्विक स्तर पर रेबीज होने वाली मौंते भारत में 36 प्रतिशत  अस्पताल ने पिछले साल रेबीज के 14 मामले दर्ज किए थे. इस साल अब तक 15 मामले आ चुके हैं. जिसमें 14 साल के लड़के का मामला भी शामिल है. डॉ. पुत्से ने कहा हमारे पास हर साल रेबीज के मामले आते हैं. जिनमें 7 से 8 मामलों में कुत्ते की पिल्ले के काटने को नजरअंदाज किया जाता है. कुत्तों के एक झुंड में रेबीज को रोकने में ज्यादा समय नहीं लगता है. विशेषज्ञों का कहना है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए संसाधनों की कमी है. इसके साथ ही कुत्ते के काटने पर उपचार के लिए लोगों में जागरूकता की कमी है. जिसके कारण समय पर उपचार नहीं मिलने से लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है. वैश्विक स्तर पर रेबीज से होने वाली मौतों में 36% मौतें भारत में होती हैं. कुत्ते के काटने पर उचित इलाज न लेना रेबीज का मुख्य कारण  विशेषज्ञ बताते हैं कि जानवरों के काटने पर रेबीज वैक्सीन और इम्युनोग्लोबुलिन नाम के एंटी-रेबीज एंटीडॉट लगवाने चाहिए. साथ ही अच्छी तरह देखभाल करने की जरूरत होती है. एसोसिएशन फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ रेबीज (APPCR ) के रेबीज विशेषज्ञ डॉक्टर मुरलीधर तांबे ने कहा कि कुत्ते के काटने को अनदेखा करने के अलावा देरी करना और अच्छी तरह देखभाल ना करना रेबीज के मामले बढ़ने के मुख्य कारणों में से एक है. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: Child death, Dog, Infection, PuneFIRST PUBLISHED : September 21, 2022, 19:39 IST