घर में जरूर लगाएं ये 5 औषधीय पौधेदूर भाग जाएंगे जहरीले सांप!

बारिश के दिनों में घरों में सांप घुसने की घटनाएं आम हो जाती हैं. खासकर जिन लोगों के घर खेतों या फिर जंगली इलाकों में होते हैं. वहां घर में सांप आने की घटनाएं और भी ज्यादा सामने आती हैं. गार्डनिंग एक्सपर्ट मोहम्मद आलम ने बताया कि तुलसी का पौधा, लैवेंडर, नीम का पौधा, सर्पगंधा और लेमन ग्रास के पौधे घर में लगाने से सांप दूर रहते हैं.

घर में जरूर लगाएं ये 5 औषधीय पौधेदूर भाग जाएंगे जहरीले सांप!
निर्मल कुमार राजपूत /मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहां आपको योगीराज कृष्ण की लीलाओं के दर्शन मिलेंगे. 5000 हजार साल का समय भले ही बीत गया हो, लेकिन आज भी उनके मौजूद साक्ष्य उसे पाल की और उस समय की याद को संजोये हुए हैं. योगमाया का यह मंदिर कंस काली के नाम से भी जाना जाता है. यह मंदिर योगमाया के नाम से क्यों जाना जाता है और क्या मान्यता है, आइए जानते हैं. भगवान श्री कृष्ण योगीराज के जन्म से पूर्व इस मंदिर का इतिहास जुड़ा हुआ है. आकाश मार्ग से हुई आकाशवाणी ने जहां कंस को भयभीत कर दिया था, तो वहीं कंस ने भी इसी मंदिर में आकर पूजा की थी. मंदिर 5000 हजार साल पुराना है. कंकाली मंदिर के सेवायत पुजारी ने जानकारी देते हुए बताया कि इस मंदिर पर कंस पूजा करता था. कंस ने जब अपनी चचेरी बहन देव की और बहनोई वासुदेव को आकाशवाणी होने के बाद कारागार में बंदी बनाकर रखा. देवकी के पुत्रों को कंस कारागार में ही मर चुका था. आठवीं योग माया ने जन्म लिया और कंस ने उसे अपने सिपाहियों से योग माया को अपने पास लाने के लिए आदेश दिया. कंस के आदेश को सुनकर सिपाही योग माया को देवकी से छीन कर ले आए और कंस को सौंप दिया. कंस ने जैसे ही उसे कन्या को धरती में करने की कोशिश की, तो वह कंस के हाथों से आकाश मार्ग की ओर उड़ गई. आकाशवाणी करते हुए कहा कि कंस तेरा करने वाला पैदा गोकुल में हो चुका है. कंस ने आकाशवाणी सुनी तो कंस घबरा गया और मां योग माया की शरण में चला गया. कंस ने योग माया मंदिर में भी पूजा की कंस को कंस काली के नाम से इसलिए जाना जाता है. ग्वारियों ने निकाली थी प्रतिमा मंदिर के पुजारी चंद्रशेखर ने बताया कि आदि शक्तिपीठों में से यह शक्तिपीठ है. इस मंदिर को कंकाली के शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है. काले पत्थर का एक बहुत ही बड़ा टीला यहां बना हुआ था. देवकी के साथ बच्चों को इसी पत्थर पर पटक कर कंस ने मारा था. आठवीं जो कन्या आई है उसने भविष्यवाणी की थी. वह पत्थर पाताल में चला गया. उसी पत्थर से स्वत प्रकट हुई हैं महालक्ष्मी, महाकाली, सरस्वती हजारों वर्ष तक यह नीचे मिट्टी में दबी हुई थी. यहां जंगल था तो जंगल में ग्वाले अपने पशु चराने आते थे, तो उन्होंने यहां देखा कि झाड़ियां में पत्थर दबे हुए हैं. उन्होंने यहां से पत्थर निकले तो महारानी प्रकट हुईं. सैकड़ों भक्तों की हुई है मन्नत पूरी मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि जिस भक्त ने मां को सच्चे मन से पुकारा है, तो मां ने उसके सभी दुख दर्द तो दूर किए हैं. कहा जाता है कि माता रानी के दरबार में जो भी आता है, वह खाली लौट कर रही जाता. वह मायूस नहीं होता. कंकाली माता अपने भक्त की मन्नत को जरूर पूरी करती हैं. हर दिन सैकड़ों भक्ति मां के दरबार में अपना मत्था टेकने आते हैं. Tags: Dharma Aastha, Local18, Mathura news, UP newsFIRST PUBLISHED : August 7, 2024, 16:15 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ेंDisclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.
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