अब ट्रांसजेंडरों का भी पूरा होगा विमान उड़ाने का सपना डीजीसीए ने बदली गाइडलाइंस

transgender will become pilot: अब देश में ट्रांसजेंडर भी विमान उड़ा सकेंगे. डीजीसीए ने इस संबंध में गाइडलाइंस जारी किया है जिसके अनुसार कमर्शियल पायलट बनने के इच्छुक ट्रांसजेंडर उम्मीदवार इंडियन एयरफोर्स द्वार नियुक्त डॉक्टरों के सामने अपना मेडिकल परीक्षण करा सकता है.

अब ट्रांसजेंडरों का भी पूरा होगा विमान उड़ाने का सपना डीजीसीए ने बदली गाइडलाइंस
हाइलाइट्सइच्छुक ट्रांसजेंडर की फिटनेस के लिए एयरोमेडिकल असेसमेंट के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैंअमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में इस तरह का सर्कुलर 5-7 साल पहले आ गया है एयर फोर्स के डॉक्टरों द्वारा इसका परीक्षण किया जाएगा नई दिल्ली. देश में पहली बार पायलट बनने के लिए इच्छुक ट्रांसजेंडर की फिटनेस के लिए एयरोमेडिकल असेसमेंट के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इस कदम से उन लोगों को कमर्शियल पायलट बनने का सपना पूरा हो सकता है जो खुद को किसी लैंगिंक पहचान से जोड़ नहीं पाते हैं. नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने बुधवार को एक सर्कुलर जारी किया है जिसमें कहा गया है कि एंडोक्रिनोलॉजिस्ट या संबंधित उम्मीदवारों के विशेष केस को देखने वाले विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर एयर फोर्स के डॉक्टरों द्वारा केस-टू-केस मेडिकल असेसमेंट किया जाना चाहिए. टीओआई की खबर के मुताबिक डीजीसीए के इस गाइडलाइन पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पायलट बनने के इच्छुक एक ट्रांसजेंडर एडम हैरी ने बताया कि यह एक ऐतिहासिक क्षण है. अब तक भारत में जो ट्रांसजेंडर कमर्शियल पायलट बनना चाहता था, उसकी फिटनेस के लिए मेडिकल इवेल्यूवेशन की व्यवस्था नहीं थी जबकि अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों में इस तरह का सर्कुलर 5-7 साल पहले आ गया था. एडम हैरी के कमर्शियल लाइसेंस को लेकर पिछले महीने विवाद हुआ था. हालांकि डीजीसीए ने उन आरोपों का खंडन किया जिसमें कहा गया था कि केरल के ट्रांसजेंडर एडम हैरी को कमर्शियल पायलट लाइसेंस की अनुमति से वंचित कर दिया गया है. गौरतलब है कि स्टूडेंट पायलट लाइसेंस के इच्छुक उम्मीदवार को पहले क्लास 2 का मेडिकल एग्जामिनेशन पास करना होता है, उसके बाद क्लास 1 मेडिकल एग्जामिनेशन पास करना होता है. कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए यह अनिवार्य है. यानी किसी भी एयरलाइन में नौकरी के लिए यही सबसे बुनियादी लाइसेंस है. ट्रांसजेंडर पायलटों के केस में, क्लास 2 मेडिकल एग्जामिनर को इच्छुक उम्मीदवार के उपचार विशेषज्ञ से एक विस्तृत चिकित्सा रिपोर्ट प्राप्त करना होगा जो लिंग पुनर्विनियोजन / पुन: असाइनमेंट (यदि कोई हो) को समझने में सहायता करेगी और इस रिपोर्ट को पूरा करेगी. सर्कुलर के मुताबिक डीजीसीए का मेडिकल मूल्यांकनकर्ता एक ‘अस्थायी अनफिट’ पत्र जारी करेगा और आगे की समीक्षा के लिए केवल भारतीय वायु सेना के एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान में कराने की सिफारिश करेगा. ट्रांसजेंडर पायलटों को जिन चिकित्सीय उपचारों से गुजरना पड़ता है, उन्हें अस्थायी रूप से अनफिट घोषित किए जाने की अधिक संभावना रहती है. डीजीसीए के सर्कुलर के मुताबिक ऐसे ट्रांसजेंडर आवेदक जिन्होंने पिछले पांच सालों के दौरान हार्मोन थेरेपी ली हो या लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी करा चुके हैं, उनकी मानसिक स्वास्थ्य स्थिति भी जांच की जाएगी. थेरेपी या सर्जरी वाले उम्मीदवारों को कम से कम तीन महीने के लिए चिकित्सकीय रूप से अनफिट घोषित किया जा सकता है. दिशानिर्देशों में कहा गया है कि आवेदक को लाइसेंस के लिए अप्लाई करने के समय प्रशिक्षण एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा, जिसमें आवेदक द्वारा लिए जा रहे हार्मोन थेरेपी के विवरण जैसे थेरेपी की अवधि, खुराक, किए गए परिवर्तन, हार्मोन परख रिपोर्ट, साइड इफेक्ट, आदि शामिल होंगे. ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें up24x7news.com हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट up24x7news.com हिंदी | Tags: DGCAFIRST PUBLISHED : August 11, 2022, 08:21 IST