सोरेन की जमानत पर सिब्बल दे रहे थे दलीलें ED के वकील राजू ने टोका तो
सोरेन की जमानत पर सिब्बल दे रहे थे दलीलें ED के वकील राजू ने टोका तो
Kapil Sible News:सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल और सोरेन के मामले में अंतर है. इस पर ASG और SG मेहता ने इस दलील पर ऐतराज जताया. सिब्बल ने कहा कि अपराध की आय की व्याख्या सख्ती से की जानी चाहिए और इसे सेडि्युल्ड अपराध से संबंधित होना चाहिए. जमीन पर अवैध कब्जा करना सेड्युल्ड अपराध नहीं है.
नई दिल्ली. झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने मंगलवार को सुनवाई की. हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग ईडी और कपिल सिब्बल की तरफ से दलीलें रखीं गई. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की ओर से सिब्बल ने जवाब देने के लिए कल यानी बुधवार तक का समय मांगा था. सोरेन की अंतरिम जमानत पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि ईडी के पास मेरिट पर अच्छा केस है.
सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने दलील देते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की तरह हेमंत सोरेन ने भी चुनाव प्रचार के लिए कोर्ट से अंतरिम जमानत की मांग की है. वहीं सोरेन की अंतरिम जमानत की मांग का विरोध करते हुए ईडी ने हलफनामा दाखिल कर कहा है कि चुनाव के लिए प्रचार करने का अधिकार न तो मौलिक अधिकार है, न ही संवैधानिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार है.
सोरेन की तरफ से सिब्बल ने दलीलें दी कि सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि कुछ 8.86 एकड़ जमीन का मामला है. यह आदिवासी जमीन है और इस जमीन का ट्रांसफर नहीं हो सकता है. उन्होंने आगे दलील दी कि वहां कुल 12 प्लॉट हैं. गैर-आदिवासियों का नाम रजिस्ट्रर में 1976 से 1986 तक दर्ज था, जबकि उस समय सोरेन की उम्र 4 साल थी. उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है.
सिब्बल का आरोप है कि 2009/10 में इस जमीन पर मैंने जबरन कब्जा किया. 20 अप्रैल 23 को ED ने कार्रवाई शुरू की, जबकि इस पूरी अवधि के दौरान कभी कुछ नहीं किया. यह जमीन मेरे पास है भी नहीं. यह किसी और के नाम पर लीज पर है. ED की तरफ से एएसजी राजू बीच में टोक रहे थे तो सिब्बल ने आपत्ति जताई. कोर्ट ने भी बोला कि आपको बोलने का मौका मिलेगा. सिब्बल ने आरोप लगाया कि 2009/10 में इस जमीन पर मैंने जबरन कब्जा किया. 20 अप्रैल 2023 को ईडी ने कार्रवाई शुरू की, जबकि इस पूरी अवधि के दौरान कभी कुछ नहीं किया. जबकि ये जमीन मेरे पास है भी नहीं है यह किसी और के नाम पर लीज पर है.
केजरीवाल के नाम भी दलीलों में हुआ जिक्र
एएसजे राजू ने कहा कि वो एक बात साफ करना चाहते हैं कि यहां कोर्ट संज्ञान ले चुका है और इस मामले में फर्क है. उन्होंने जमानत भी दाखिल की थी, जो खारिज हो गई और उन्हें चुनावों की घोषणा से कुछ दिन पहले गिरफ्तार नहीं किया गया. ईडी की ओर से ASG एसवी राजू ने कहा कि केजरीवाल को मिली राहत का हवाला देकर सोरेन जमानत की मांग नहीं कर सकते. दोनों केस में तथ्य अलग-अलग है. सोरेन की गिरफ्तारी चुनाव से पहले हो गई थी. फिर इस केस में तो सोरेन के खिलाफ चार्जशीट पर कोर्ट संज्ञान ले चुका है, यानि निचली अदालत ने पहली नजर में उनके खिलाफ केस को माना था. इस आदेश को उन्होंने कहीं चुनौती नहीं दी. यही नहीं सोरेन की जमानत अर्जी भी खारिज हो चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें इस पर संतुष्ट होना होगा कि क्या कोर्ट के संज्ञान लेने के बाद भी क्या गिरफ्तारी को चुनौती दी जा सकती है. प्रवीर पुरकायस्थ का केस अलग था, उसमे तो गिरफ्तारी के ग्राउंड नहीं दिये गये थे. सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि इस पर आप हमें संतुष्ट कर सकते हैं? सिब्बल ने जवाब दिया कि संज्ञान का मतलब कोर्ट को प्रथम दृष्टया लगा कि अपराध घटित हुआ, लेकिन मैं यह कह रहा हूं कि गिरफ़्तारी कानून के खिलाफ है और दोनों अलग मुद्दे हैं.
पुरकायस्थ मामले का सिब्बल ने दिया हवाला
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल और सोरेन के मामले में अंतर है. इस पर ASG और SG मेहता ने इस दलील पर ऐतराज जताया. सिब्बल ने कहा कि अपराध की आय की व्याख्या सख्ती से की जानी चाहिए और इसे सेडि्युल्ड अपराध से संबंधित होना चाहिए. जमीन पर अवैध कब्जा करना सेड्युल्ड अपराध नहीं है. जस्टिस दीपांकर दत्ता ने कहा कि हमें इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि मामले में संज्ञान लेने के आदेश के बाद गिरफ़्तारी का आधार बना रहेगा. पुरकायस्थ मामला तथ्यात्मक रूप से अलग था. वहां, आधार नहीं दिए गए थे.
Tags: Hemant soren, Kapil sibal, Supreme CourtFIRST PUBLISHED : May 21, 2024, 16:19 IST jharkhabar.com India व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें Note - Except for the headline, this story has not been edited by Jhar Khabar staff and is published from a syndicated feed